देहरादून: हिंदू पंचांग में पूरे वर्ष को 6 ऋतुओं में बांटा जाता है. इनमें वसंत ऋतु , ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल हैं. इस सभी ऋतुओं में से वसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. इसी कारण इस दिन को वसंत पंचमी कहा जाता है. इसी दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. इस ऋतु में खेतों में फसलें लहलहा उठती हैं. फूल खिलने लगते हैं. हर जगह खुशहाली नजर आती है. धरती पर सोना उगता है अर्थात धरती पर फसल लहलहाती है.
मां सरस्वती के जन्मदिन से जुड़ी मान्यता: मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था. इसलिए वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. मां सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है. वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है.
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माघ शुक्ल पंचमी को मनाते हैं वसंत पंचमी: पंचांग के आधार पर हर साल माघ शुक्ल पंचमी के दिन वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती और कामदेव की पूजा होती है. इस बार वसंत पंचमी पर कई सुंदर योग बन रहे हैं. बुधादित्य एवं सिद्ध योग का अद्भुत संयोग बन रहा है. पूरे दिन अबूझ मुहूर्त है.
वसंत पंचमी से शुरू होता है वसंत: वसंत पंचमी के दिन से ऋतुराज वसंत का आगमन शुरू हो गया है. शुभ मुहूर्त में सरस्वती पूजा हो रही है. आइए आपको बताते हैं इस बार वसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त, शुभ योग कब-कब हैं.
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: आज वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक है. करीब साढ़े पांच घंटे के मुहूर्त में सरस्वती पूजा कर लेनी चाहिए.
वसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त एवं शुभ योग: हिंदू पंचांग के अनुसार आज माघ शुक्ल पंचमी तिथि 05 फरवरी दिन शनिवार को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से ही शुरू हो गई है. आज ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा भी विधि विधान से हो रही है. पंचमी तिथि 06 फरवरी दिन रविवार को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक है.
इस बार सिद्ध एवं बुधादित्य योग में वसंत पंचमी: इस बार की वसंत पंचमी विशेष है. इस साल की वसंत पंचमी सिद्ध एवं बुधादित्य योग में मनाई जा रही है. आज सिद्ध योग सुबह से लेकर शाम 05:42 बजे तक है. मकर राशि में बुध और सूर्य मिलकर बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे हैं. नवग्रह चार राशियों में मौजूद होकर केदार शुभ योग बना रहे हैं. इसके अलावा आज वसंत पंचमी पर शाम 04:09 बजे से रवि योग प्रारंभ हो रहा है. रवि योग कल यानी रविवार 06 फरवरी सुबह 07:06 बजे तक है.
वसंत पंचमी पर अबूझ मुहूर्त का संयोग: आज वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. इसलिए इस अवसर पर पूरे दिन अबूझ मुहूर्त होता है. आज आप जो भी शुभ कार्य करना चाहते हैं, वह इस मुहूर्त में कर सकते हैं. वसंत पंचमी को विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार, मकान, वाहन आदि की खरीदारी के लिए भी शुभ मुहूर्त बना हुआ है.
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वसंत पंचमी पर पहनते हैं पीले कपड़े: वसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहन कर पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करते हैं. लोग पतंग भी उड़ाते हैं और खाद्य सामग्री में मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते हैं. पीले रंग को वसंत का प्रतीक माना जाता है.
वसंत पंचमी की पौराणिक कथा: वसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है. सर्वप्रथम श्री कृष्ण और ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की पूजा की थी. देवी सरस्वती ने जब श्री कृष्ण को देखा तो वो उनके रूप को देखकर मोहित हो गयीं और पति के रूप में पाने के लिए इच्छा करने लगीं. इस बात का भगवान श्री कृष्ण को पता लगने पर उन्होंने देवी सरस्वती से कहा कि वे तो राधा के प्रति समर्पित हैं. परन्तु सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान श्री कृष्ण देवी सरस्वती को वरदान देते हैं कि प्रत्येक विद्या की इच्छा रखने वाले माघ महीने की शुक्ल पंचमी को तुम्हारा पूजन करेंगे. यह वरदान देने के बाद सर्वप्रथम ही भगवान श्री कृष्ण ने देवी की पूजा की.
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वसंत पंचमी की कुछ और मान्यताएं: शास्त्रों एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है. कथा कुछ इस प्रकार है- वसंत पंचमी के ऐतिहासिक महत्व को लेकर यह मान्यता है कि सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी. ब्रह्मा जी जब सृष्टि की रचना करके उस संसार में देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता है. वातावरण बिल्कुल शांत लगता है. जैसे किसी की वाणी ना हो. यह सब करने के बाद भी ब्रह्मा जी मायूस, उदास और संतुष्ट नहीं थे.
तब ब्रह्मा जी भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिड़कते हैं. कमंडल से धरती पर गिरने वाले जल से पृथ्वी पर कंपन होने लगता है और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी (चार भुजाओं वाली) सुंदर स्त्री प्रकट होती है. उस देवी के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा होती है. बाकी अन्य हाथ में पुस्तक और माला थी. ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध करते हैं. देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त को जाती है. उस पल के बाद से देवी को “सरस्वती” कहा गया. उस देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी. इसलिए वसंत पंचमी के दिन घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है. अर्थात दूसरे शब्दों में वसंत पंचमी का दूसरा नाम “सरस्वती पूजा” भी है. देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है.
(नोट- ये सभी पौराणिक मान्यताएं और वेद पुराणों, कथा-कहानियों में लिखी बातें हैं. अधिक जानकारी के लिए इस विषय से संबंधित जानकारों से संपर्क कर सकते हैं)