देहरादून: उत्तराखंड में उपनल कर्मियों के वेतनमान पर मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट एक बार फिर कैबिनेट की बैठक में नहीं रखी गई. सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट की बैठक में इस बात को लेकर हरक सिंह रावत ने गहरी नाराजगी जाहिर की है. बता दें कि यह दूसरा मौका है जब कैबिनेट की बैठक में हरक सिंह रिपोर्ट को तवज्जो न देने को लेकर बेहद ज्यादा नाराज हुए हैं.
बता दें कि धामी कैबिनेट की बैठक के दौरान 24 मामलों पर मंत्रिमंडल ने अपनी मोहर लगा दी है. वहीं, उपनल कर्मियों के वेतनमान को लेकर जो सबसे ज्यादा उम्मीदें लगाई जा रही थी इस मुद्दे पर कैबिनेट में अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. सूत्र बताते हैं कि हरक सिंह रावत ने उपनल कर्मियों के वेतन बढ़ोतरी को लेकर कैबिनेट की बैठक में जोरदार पैरवी की और मंत्रिमंडल से इस मामले पर निर्णय लेने के लिए दबाव भी बनाया, लेकिन अधिकारियों के अपने तर्कों के चलते एक बार फिर उपनल कर्मियों को कैबिनेट की बैठक से निराश होना पड़ा.
वैसे इससे पहले हुई कैबिनेट की बैठक में भी हरक सिंह रावत ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए यह साफ किया था कि जब मंत्रिमंडलीय समिति ने उनकी अध्यक्षता में रिपोर्ट तैयार कर दी है तो फिर शासन के अधिकारी क्यों प्रस्ताव को कैबिनेट में नहीं पेश कर रहे. इस पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की इसी नाराजगी को देखते हुए अगली कैबिनेट में उपनल कर्मियों की रिपोर्ट रखे जाने का फैसला हुआ था.
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वहीं, इस बार भी कैबिनेट में इस मामले को टाल दिया गया और अब अगली कैबिनेट में इस पर विचार किए जाने की बात कही जा रही है. बहरहाल, हरक सिंह रावत इस बात से नाराज दिख रहे हैं कि उपनल कर्मियों के वेतनमान में बढ़ोतरी का जो फैसला मंत्रिमंडल उप समिति की तरफ से लिया गया था उस पर आखिर क्यों धामी सरकार फैसला नहीं ले पा रही है.
उपनल कर्मियों की प्रमुख मांगें:
- उपनल संविदा कार्मिकों के लिए समान कार्य समान वेतन.
- स्वयं सहायता समूह के तहत कार्यरत कर्मचारियों को पूरा वेतन व ईपीएफ की सही कटौती.
- नियमित कर्मचारियों की पुरानी एसीपी की व्यवस्था.
- पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए.