देहरादून: भूख के दर्द का एहसास उसी को होता है जो कभी भूखा रहा हो. भूख से आज न जाने कितने ही लोग अपनी जान गंवा देते हैं. ये पेट की भूख ही है जिसके लिए इंसान दिन रात मेहनत करता है. ऐसे में जरा सोचिए कि उन लोगों का क्या होता होगा जो लाख कोशिशों के बाद भी दो वक्त की रोटी के मोहताज हैं. ऐसे ही असहाय लोगों तक खाना और मदद पहुंचाने का जिम्मा उठाया है देहरादून के युवा छात्र-छात्राओं के ग्रुप बिल्डिंग टीम फाउंडेशन ने. ये ग्रुप पिछले 3 सालों में साढ़े चार लाख भूखे लोगों तक खाना पहुंचा चुका है.
अलग-अलग राज्यों से शिक्षा लेने देहरादून पहुंचे युवाओं के इस ग्रुप ने समाज में नये आयाम स्थापित किये हैं. इस ग्रुप के सदस्य अपने जेब खर्च के लिए मिलने वाले पैसों से गरीब और असहाय लोगों तक खाना पहुंचाते हैं. शुरुआत के समय इन छात्रों ने इस काम के लिए हफ्ते में एक दिन को चुना था लेकिन धीरे-धीरे इनका कारवां बढ़ता गया और आज ये लोग हर दिन स्लम और सड़क किनारे रह रहे लोगों को खाना पहुंचाते हैं.
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इसके अलावा इस ग्रुप ने अधिक से अधिक भूखे लोगों को खाना मुहैया करवाने के लिए शादी-विवाह पार्टी, भंडारे व लंगरों से संपर्क किया. इन्होंने यहां बचे साफ सुथरे खाने को उसके हकदार लोगों तक पहुंचाया.
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इस युवा ग्रुप के सदस्य हिमांशु का कहना है कि आने वाले दिनों में वे उत्तराखंड के उस हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे जो भूख के कारण अपने जीवन को अंधकारमय समझता है. हिमांशु का कहना है कि भूख एक ऐसी चीज है जो इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है. ऐसे में किसी की भूख मिटाने से बड़ा कोई नेक काम नहीं हो सकता है.
जीरो फूड वेस्टेज का दे रहे संदेश
हर भूखे को खाना पहुंचाने वाले इस युवा ग्रुप की लोग खूब सराहना कर रहे हैं. धीरे-धीरे लोग इनकी मदद के लिए आगे भी आने लगे हैं. ग्रुप में जुड़ी छात्राओं का कहना है जब वह किसी भूखे के आगे खाना रखते हैं तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है वो सुकून देने वाली होती है. ग्रुप के लोगों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि जीरो फूड वेस्टेज के साथ हर उस इंसान को खाना मुहैया कराया जाए जो उसका हकदार है. जिसके लिए उनका ग्रुप लगातार प्रयासरत है.