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भूख के दर्द को खत्म करने का इन युवाओं ने उठाया बीड़ा, साढ़े 4 लाख लोगों तक पहुंचाया खाना - Dehradun initiative to eradicate hunger

अलग-अलग राज्यों से शिक्षा लेने देहरादून पहुंचे युवाओं के इस ग्रुप ने समाज में नये आयाम स्थापित किये हैं. इस ग्रुप के सदस्य अपने जेब खर्च के पैसों से गरीब और असहाय लोगों तक खाना पहुंचाते हैं.

पेट की भूख मिटाने के लिए छात्रों ने की अनूठी पहल.
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Published : Oct 25, 2019, 7:19 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 8:48 PM IST

देहरादून: भूख के दर्द का एहसास उसी को होता है जो कभी भूखा रहा हो. भूख से आज न जाने कितने ही लोग अपनी जान गंवा देते हैं. ये पेट की भूख ही है जिसके लिए इंसान दिन रात मेहनत करता है. ऐसे में जरा सोचिए कि उन लोगों का क्या होता होगा जो लाख कोशिशों के बाद भी दो वक्त की रोटी के मोहताज हैं. ऐसे ही असहाय लोगों तक खाना और मदद पहुंचाने का जिम्मा उठाया है देहरादून के युवा छात्र-छात्राओं के ग्रुप बिल्डिंग टीम फाउंडेशन ने. ये ग्रुप पिछले 3 सालों में साढ़े चार लाख भूखे लोगों तक खाना पहुंचा चुका है.

भूख के दर्द को खत्म करने का इन युवाओं ने उठाया बीड़ा.

अलग-अलग राज्यों से शिक्षा लेने देहरादून पहुंचे युवाओं के इस ग्रुप ने समाज में नये आयाम स्थापित किये हैं. इस ग्रुप के सदस्य अपने जेब खर्च के लिए मिलने वाले पैसों से गरीब और असहाय लोगों तक खाना पहुंचाते हैं. शुरुआत के समय इन छात्रों ने इस काम के लिए हफ्ते में एक दिन को चुना था लेकिन धीरे-धीरे इनका कारवां बढ़ता गया और आज ये लोग हर दिन स्लम और सड़क किनारे रह रहे लोगों को खाना पहुंचाते हैं.

पढ़ें-हरियाणा : निर्दलीयों के बूते सरकार बनाएगी BJP, गोपाल कांडा और रणजीत चौटाला दिल्ली रवाना

इसके अलावा इस ग्रुप ने अधिक से अधिक भूखे लोगों को खाना मुहैया करवाने के लिए शादी-विवाह पार्टी, भंडारे व लंगरों से संपर्क किया. इन्होंने यहां बचे साफ सुथरे खाने को उसके हकदार लोगों तक पहुंचाया.

पढ़ें-शिक्षकों के पद भरने के लिए छात्र-छात्राओं ने की तालाबंदी, आमरण अनशन की दी चेतावनी

इस युवा ग्रुप के सदस्य हिमांशु का कहना है कि आने वाले दिनों में वे उत्तराखंड के उस हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे जो भूख के कारण अपने जीवन को अंधकारमय समझता है. हिमांशु का कहना है कि भूख एक ऐसी चीज है जो इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है. ऐसे में किसी की भूख मिटाने से बड़ा कोई नेक काम नहीं हो सकता है.

जीरो फूड वेस्टेज का दे रहे संदेश

हर भूखे को खाना पहुंचाने वाले इस युवा ग्रुप की लोग खूब सराहना कर रहे हैं. धीरे-धीरे लोग इनकी मदद के लिए आगे भी आने लगे हैं. ग्रुप में जुड़ी छात्राओं का कहना है जब वह किसी भूखे के आगे खाना रखते हैं तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है वो सुकून देने वाली होती है. ग्रुप के लोगों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि जीरो फूड वेस्टेज के साथ हर उस इंसान को खाना मुहैया कराया जाए जो उसका हकदार है. जिसके लिए उनका ग्रुप लगातार प्रयासरत है.

देहरादून: भूख के दर्द का एहसास उसी को होता है जो कभी भूखा रहा हो. भूख से आज न जाने कितने ही लोग अपनी जान गंवा देते हैं. ये पेट की भूख ही है जिसके लिए इंसान दिन रात मेहनत करता है. ऐसे में जरा सोचिए कि उन लोगों का क्या होता होगा जो लाख कोशिशों के बाद भी दो वक्त की रोटी के मोहताज हैं. ऐसे ही असहाय लोगों तक खाना और मदद पहुंचाने का जिम्मा उठाया है देहरादून के युवा छात्र-छात्राओं के ग्रुप बिल्डिंग टीम फाउंडेशन ने. ये ग्रुप पिछले 3 सालों में साढ़े चार लाख भूखे लोगों तक खाना पहुंचा चुका है.

भूख के दर्द को खत्म करने का इन युवाओं ने उठाया बीड़ा.

अलग-अलग राज्यों से शिक्षा लेने देहरादून पहुंचे युवाओं के इस ग्रुप ने समाज में नये आयाम स्थापित किये हैं. इस ग्रुप के सदस्य अपने जेब खर्च के लिए मिलने वाले पैसों से गरीब और असहाय लोगों तक खाना पहुंचाते हैं. शुरुआत के समय इन छात्रों ने इस काम के लिए हफ्ते में एक दिन को चुना था लेकिन धीरे-धीरे इनका कारवां बढ़ता गया और आज ये लोग हर दिन स्लम और सड़क किनारे रह रहे लोगों को खाना पहुंचाते हैं.

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इसके अलावा इस ग्रुप ने अधिक से अधिक भूखे लोगों को खाना मुहैया करवाने के लिए शादी-विवाह पार्टी, भंडारे व लंगरों से संपर्क किया. इन्होंने यहां बचे साफ सुथरे खाने को उसके हकदार लोगों तक पहुंचाया.

पढ़ें-शिक्षकों के पद भरने के लिए छात्र-छात्राओं ने की तालाबंदी, आमरण अनशन की दी चेतावनी

इस युवा ग्रुप के सदस्य हिमांशु का कहना है कि आने वाले दिनों में वे उत्तराखंड के उस हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे जो भूख के कारण अपने जीवन को अंधकारमय समझता है. हिमांशु का कहना है कि भूख एक ऐसी चीज है जो इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है. ऐसे में किसी की भूख मिटाने से बड़ा कोई नेक काम नहीं हो सकता है.

जीरो फूड वेस्टेज का दे रहे संदेश

हर भूखे को खाना पहुंचाने वाले इस युवा ग्रुप की लोग खूब सराहना कर रहे हैं. धीरे-धीरे लोग इनकी मदद के लिए आगे भी आने लगे हैं. ग्रुप में जुड़ी छात्राओं का कहना है जब वह किसी भूखे के आगे खाना रखते हैं तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है वो सुकून देने वाली होती है. ग्रुप के लोगों का कहना है कि उनकी कोशिश है कि जीरो फूड वेस्टेज के साथ हर उस इंसान को खाना मुहैया कराया जाए जो उसका हकदार है. जिसके लिए उनका ग्रुप लगातार प्रयासरत है.

Intro:pls- महोदय इस स्पेशल स्टोरी से संबंधित कुछ विजुअल ईमेल से भी भेजे गए हैं उठाने का कष्ट करें

summery-पेट की भूख मिटाने के अनूठी पहल,युवाओं ने उठाया भूखों तक खाना पहुँचाने का बीड़ा,जनता को संदेश "खाना नाली में नहीं थाली में हो". ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

भूख का एहसास उसी को होता है.. जो कभी भूखा रहा हो। और जो पेट की आग बुझाएं.. उससे बड़ा भी पुण्य में क्या हो सकता हैं। जिहाँ देहरादून में एक ऐसा युवा छात्र छात्राओं का ग्रुप है जो भूखे लोगों तक खाना पहुंचा कर नेक कार्य में जुटा हुआ है। अलग अलग प्रांतों से देहरादून में शिक्षा ग्रहण करने आए छात्र-छात्राओं द्वारा बिल्डिंग टीम फाउंडेशन नाम से एक ऐसा युवाओं का ग्रुप बनाया गया है जिनके द्वारा पिछले 3 सालों में साढे चार लाख भूखे लोगों तक खाना पहुंचाया जा चुका है।
इस ग्रुप द्वारा शुरुआती समय में अपने जेब ख़र्च इस कार्य को सप्ताह के 1 दिन रविवार को शुरू किया गया था, लेकिन इस मुहिम में कई लोगों का आज साथ मिलने से... पिछले 8 महीने से प्रतिदिन दोपहर के समय शहर के स्लम एरिया व बस्ती सहित सड़क किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर गुरबत का जीवन बसर करने वाले तक खाना पहुंचाने का कार्य बदस्तूर जारी है.

भूखों तक खाना पहुंचाने की मुहिम में इस युवा ग्रुप ने शादी-विवाह पार्टी,भंडारे व लंगर सहित अन्य जगह साफ सुथरा खाना बचने वालों से संपर्क कर उसे अलग अलग स्थानों में भूखे प्यासे लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा भी उठाया है।


Body:वही इस युवा ग्रुप के सदस्य हिमांशु की माने तो इस मुहिम की शुरुआत उन्होंने देहरादून से शुरू की है, और आने वाले दिनों में वह उत्तराखंड के उस हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे जो भूख के कारण अपने जीवन को अंधकार मय समझता है। हिमांशु के अनुसार भूख एक ऐसी चीज है जो इंसान को कुछ भी गलत करने के लिए मजबूर कर देती है,ऐसे में किसी की भूख मिटाने से बड़ा कोई नेक कार्य नहीं हो सकता। उनके ग्रुप का यही संदेश है कि देश में कोई भूखा ना सोए.. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत इस मामले में स्थान अन्य देशों से बेहतर।



जीरो फूड वेस्टेज का संदेश देकर भूखे की थाली में खाना पहुंचाना मकसद: युवा ग्रुप

हर भूखे की थाली पर खाना परोसने वाले इस युवा ग्रुप द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्य को आज काफी लोगों से मदद मिल रही है। ग्रुप में जुड़ी छात्राओं का कहना है जब वह किसी भूखे के आगे खाना रखते हैं तो सामने से जो मुस्कान आती है वह जीवन में सबसे बड़ी सुकून देने वाली होती है। जीरो वेस्टिज फ़ूड के तहत वह आज हर उस जगह से बचा हुआ साफ सुथरा खाना लाने के साथी अपने द्वारा बनाए गए खाने को हर उन लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं जिनके लिए एक वक्त का खाना जुटाना भी मुश्किल होता है।

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए इस युवा ग्रुप ने इस मुहिम से जुड़े अपने मकसद को साझा करते हुए अपने अनुभव को बताया।

one to one

बिल्डिंग ड्रीम्स फाउंडेशन ग्रुप


Conclusion:खाना नाली में नहीं, थाली में हो, इस मुहिम को लेकर आगे बढ़ने वाले इस युवा ग्रुप में शामिल पश्चिम बंगाल निवासी रंजीत बार की माने तो, रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन व सड़क किनारे सहित कई सार्वजनिक स्थानों पर गुरबत की जिंदगी जीने वाले कई लोग भूख से जद्दोजहद कर कई ऐसे अपराध कर देते हैं जो सिर्फ पेट की भूख मिटाने के लिए होती है, ऐसे में उनकी मुहिम का प्रयास यह भी है कि ऐसे लोगों तक भी पहुंचा जाए जो इस तरह के मामलों में जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं।

बाईट-रंजीत बार

भूख मिटाने की मुहिम में शामिल हुई नेपाल मूल की छात्रा प्रतिष्ठा का मानना है कि भले ही उन्होंने इस मुहिम की शुरुआत देहरादून में अपने कुछ साथियों के साथ शुरू की हो लेकिन इस मुहिम में अगर ज्यादा से ज्यादा लोगों का साथ हो जाए तो यह मुहिम नेपाल मैं एक वक्त की रोटी के लिए गुरबत की जिंदगी जीने वाले लोगों तक पहुंचाई जा सकती है।

बाइट - प्रतिष्ठा छात्रा नेपाल मूल

वही अपनी पढ़ाई से कुछ वक्त निकालकर भूखों की थाली में खाना परोसने वाली पश्चिम बंगाल मूल की मयूरी का कहना है कि, जब वह अपने साथियों के साथ मिलकर भूखों की थाली में खाना परोसती है तो, जो खुशी सामने से झलकती है, वह किसी भी दिल को सबसे बड़े सुकून देने वाली होती है।

बाइट- मयूरी, छात्रा ,पश्चिम बंगाल मूल
Last Updated : Oct 25, 2019, 8:48 PM IST
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