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शिक्षा सचिव ने स्वीकारा खामियों से भरा है तबादला एक्ट, जानें- क्या है हकीकत - uttarakhand education secretary

प्रदेश के ट्रांसफर एक्ट को लेकर शिक्षा सचिव ने भी माना की एक्ट में कई तरह की खामियां हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है. ट्रांसफर एक्ट की खामियों को लेकर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

उत्तराखंड ट्रांसफर एक्ट में खामियां.
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Published : Jul 25, 2019, 6:29 PM IST

Updated : Jul 25, 2019, 8:52 PM IST

देहरादून: सरकारी तंत्र की लाख कोशिशों के बावजूद ट्रांसफर एक्ट की खामियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं, जिसका खामियाजा विभागीय कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. इसी क्रम में टीचरों के लिए बनाई गए तबादला एक्ट में भी कई खामियां हैं. ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जानिए आखिर क्या है शिक्षकों के तबादला एक्ट की हकीकत.

उत्तराखंड ट्रांसफर एक्ट में खामियां.

कुछ समय पहले ही प्रदेश सरकार ने तबादला एक्ट लागू किया था. अधिकारियों की मनमानी के चलते कई खामियों समेत ही इस एक्ट को अमलीजामा पहना दिया गया. लेकिन इस एक्ट के हैरान करने वाले पहलू ये हैं कि दस फीसदी की विंडो भी ओपन कर दी गई. इसका विभागीय यूनियन के नेताओं ने कई बार विरोध भी किया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. हालांकि, मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों से सुझाव भी मांगे थे, बावजूद एक्ट की खामियां खत्म नहीं की जा सकीं.

पढ़ें: जल्द रिटायर किये जाएंगे नाकाबिल कर्मचारी, मुख्य सचिव ने आदेश किया जारी

वहीं, शिक्षा विभाग के सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने भी तबादला एक्ट में खामियां होने को स्वीकार किया है. सुंदरम का कहना है कि तबादला एक्ट की धारा 27 के तहत जो अधिनियम में खामियां, एक्ट बनाते समय रह गई हैं, उनके निस्तारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी के समक्ष प्रस्तुत कर उनका समाधान किया जाएगा ताकि विभागीय कर्मचारियों को वास्तव में इस एक्ट का लाभ मिल सके.

तबादला अधिनियम की मुख्य धारा-

  • तबादला एक्ट की धारा-3(घ) के तहत अगर कर्मचारियों के पति/पत्नी व परिवार (जिनमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के माता-पिता) में से कोई गंभीर रोग से ग्रस्त है तो ऐसे कर्मचारी को स्थानांतरण में छूट दी जा सकती है.
  • तबादला एक्ट की धारा-3(झ) के तहत सुगम एवं दुर्गम के कार्यक्षेत्रों का वर्गीकरण.
  • तबादला एक्ट की धारा-7(घ)(चार) में ऐसे पति/पत्नी जिनका इकलौता पुत्र/पुत्री, विकलांगता की परिभाषा में सम्मिलित हो तो उस कर्मचारी को सुगम से दुर्गस क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण में छूट दी जा सकती है.
  • तबादला एक्ट में सुगम से दुर्गम क्षेत्र में जरूरी तबादले के लिए उपलब्ध एवं संभावित रिक्तियों की सीमा में पात्र कार्मिकों की सूची बनाए जाने का उल्लेख है और इसी अनुसार कर्मचारियों के स्थानांतरण किए जाने हैं.
  • तबादला एक्ट की धारा-10 में दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में जरूरी स्थानांतरण के लिए मानक निर्धारित किए हुए हैं.
  • तबादला एक्ट की धारा 13(3) में उत्तराखंड राज्य सरकार की सेवा में कार्यरत पति/पत्नी एक ही स्थान पर तैनाती के इच्छुक हों तो वह दुर्गम/सुगम क्षेत्र में अनुरोध के आधार पर आवेदन कर सकते है, तथा धारा-14 में एक ही स्थान पर तैनाती के लिए आवेदक को 10 इच्छित स्थानों का विकल्प लिए जाने का उल्लेख है.
  • तबादला एक्ट की धारा-13 के तहत अनुरोध के आधार पर तबादले के लिए एक्ट के तहत छ: श्रेणियों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(1)(क) सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरण में दिया गया है कि सबसे पहले स्थानांतरण सुगम क्षेत्र में सबसे अधिक अवधि व्यतीत करने वाले कर्मचारी से प्रारंभ किया जाएगा और दुर्गम क्षेत्र की रिक्त के लिए कार्मिक द्वारा दिए गए विकल्प को स्वीकार किया जाएगा.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(1)(क) में अनुरोध के आधार पर तबादले में 7 श्रेणियों के कर्मचारियों का क्रम से स्थानांतरण किया जाना है, जिसमें अंत में सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरण किए जाने का उल्लेख है.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(2)(क) में समूह 'क' एवं 'ख' के अधिकारियों को उनके गृह जनपद में तैनाती नहीं की जाएगी.
  • तबादला एक्ट की धारा-18(3) में दो कर्मियों के द्वारा उनके इक्छा अनुसार से एक दूसरे के स्थान पर (सुगम एवं दुर्गम अथवा दुर्गम एवं दुर्गम अथवा सुगम एवं सुगम में) स्थानांतरण हेतु आवेदन करने पर पारस्परिक स्थानांतरण किए जाएंगे और सुगम क्षेत्र में ही तैनात दो कार्मिकों को पारस्परिक स्थानांतरण नहीं हो सकता है.
  • तबादला एक्ट की धारा-20(क) में यदि कोई कार्मिक किसी एक कार्यस्थल पर तैनात है या जो 7000 फीट की ऊंचाई से अधिक पर तैनात है तो वहां पर 1 साल तक की सेवा को 2 साल तक सुगम क्षेत्र में की गई सेवा के बराबर मानी जाएगी.
  • तबादला एक्ट की धारा-20(ख) में यदि कोई कार्मिक एक कार्यस्थल पर तैनात है, जो 7000 फीट से कम ऊंचाई पर स्तिथ है या दुर्गम स्थान पर तैनात है तो वहां पर 1 साल तक की सेवा को 1 साल 3 महीने के सुगम क्षेत्र की सेवा के बराबर मानी जायेगी.
  • तबादला एक्ट की परिशिष्ट-1,2,3 का परंतु यह कि कार्य स्थल 7000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है वहां 1 साल की तैनाती, दुर्गम क्षेत्र में 2 साल की तैनाती के बराबर मानी जायएगी.

तबादला अधिनियम में नई मांगें-

  • तबादला एक्ट की धारा-17(1)(ख) में नए मांग की अनुरोध के आधार पर तबादले.
  • तबादला एक्ट की धारा-10 में अतिरिक्त भाग जोड़ा जाने हेतु नए प्रस्ताव.
  • तबादला एक्ट की धारा-3(ग) में वरिष्ठ कार्मिक के लिए छूट.
  • तबादला एक्ट की धारा-3(घ) में नए प्रस्ताव.
  • तबादला एक्ट की धारा-7 के तहत सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में तबादला जरूरी.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(ख) में वरिष्ठ कार्मिक श्रेणी के स्थानांतरण.
  • तबादला एक्ट की धारा-4 में पदों को स्थापित करने के लिए वर्गीकरण एवं धारा-5 में सुगम-दुर्गम स्थानों का चिन्हाकन एवं प्रकटीकरण.

प्रदेश के मुखिया भले ही ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर फोकस करने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हो, लेकिन विभागीय अधिकारी हैं जो न सिर्फ अपनी मनमानी से सरकार की छवि को चारचांद लगा रहे हैं बल्कि विभाग के कई कर्मचारियों को भी ट्रांसफर एक्ट की खामियों का दंश झेलना पड़ रहा है.

देहरादून: सरकारी तंत्र की लाख कोशिशों के बावजूद ट्रांसफर एक्ट की खामियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं, जिसका खामियाजा विभागीय कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. इसी क्रम में टीचरों के लिए बनाई गए तबादला एक्ट में भी कई खामियां हैं. ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में जानिए आखिर क्या है शिक्षकों के तबादला एक्ट की हकीकत.

उत्तराखंड ट्रांसफर एक्ट में खामियां.

कुछ समय पहले ही प्रदेश सरकार ने तबादला एक्ट लागू किया था. अधिकारियों की मनमानी के चलते कई खामियों समेत ही इस एक्ट को अमलीजामा पहना दिया गया. लेकिन इस एक्ट के हैरान करने वाले पहलू ये हैं कि दस फीसदी की विंडो भी ओपन कर दी गई. इसका विभागीय यूनियन के नेताओं ने कई बार विरोध भी किया लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. हालांकि, मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों से सुझाव भी मांगे थे, बावजूद एक्ट की खामियां खत्म नहीं की जा सकीं.

पढ़ें: जल्द रिटायर किये जाएंगे नाकाबिल कर्मचारी, मुख्य सचिव ने आदेश किया जारी

वहीं, शिक्षा विभाग के सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने भी तबादला एक्ट में खामियां होने को स्वीकार किया है. सुंदरम का कहना है कि तबादला एक्ट की धारा 27 के तहत जो अधिनियम में खामियां, एक्ट बनाते समय रह गई हैं, उनके निस्तारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी के समक्ष प्रस्तुत कर उनका समाधान किया जाएगा ताकि विभागीय कर्मचारियों को वास्तव में इस एक्ट का लाभ मिल सके.

तबादला अधिनियम की मुख्य धारा-

  • तबादला एक्ट की धारा-3(घ) के तहत अगर कर्मचारियों के पति/पत्नी व परिवार (जिनमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के माता-पिता) में से कोई गंभीर रोग से ग्रस्त है तो ऐसे कर्मचारी को स्थानांतरण में छूट दी जा सकती है.
  • तबादला एक्ट की धारा-3(झ) के तहत सुगम एवं दुर्गम के कार्यक्षेत्रों का वर्गीकरण.
  • तबादला एक्ट की धारा-7(घ)(चार) में ऐसे पति/पत्नी जिनका इकलौता पुत्र/पुत्री, विकलांगता की परिभाषा में सम्मिलित हो तो उस कर्मचारी को सुगम से दुर्गस क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण में छूट दी जा सकती है.
  • तबादला एक्ट में सुगम से दुर्गम क्षेत्र में जरूरी तबादले के लिए उपलब्ध एवं संभावित रिक्तियों की सीमा में पात्र कार्मिकों की सूची बनाए जाने का उल्लेख है और इसी अनुसार कर्मचारियों के स्थानांतरण किए जाने हैं.
  • तबादला एक्ट की धारा-10 में दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में जरूरी स्थानांतरण के लिए मानक निर्धारित किए हुए हैं.
  • तबादला एक्ट की धारा 13(3) में उत्तराखंड राज्य सरकार की सेवा में कार्यरत पति/पत्नी एक ही स्थान पर तैनाती के इच्छुक हों तो वह दुर्गम/सुगम क्षेत्र में अनुरोध के आधार पर आवेदन कर सकते है, तथा धारा-14 में एक ही स्थान पर तैनाती के लिए आवेदक को 10 इच्छित स्थानों का विकल्प लिए जाने का उल्लेख है.
  • तबादला एक्ट की धारा-13 के तहत अनुरोध के आधार पर तबादले के लिए एक्ट के तहत छ: श्रेणियों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(1)(क) सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरण में दिया गया है कि सबसे पहले स्थानांतरण सुगम क्षेत्र में सबसे अधिक अवधि व्यतीत करने वाले कर्मचारी से प्रारंभ किया जाएगा और दुर्गम क्षेत्र की रिक्त के लिए कार्मिक द्वारा दिए गए विकल्प को स्वीकार किया जाएगा.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(1)(क) में अनुरोध के आधार पर तबादले में 7 श्रेणियों के कर्मचारियों का क्रम से स्थानांतरण किया जाना है, जिसमें अंत में सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरण किए जाने का उल्लेख है.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(2)(क) में समूह 'क' एवं 'ख' के अधिकारियों को उनके गृह जनपद में तैनाती नहीं की जाएगी.
  • तबादला एक्ट की धारा-18(3) में दो कर्मियों के द्वारा उनके इक्छा अनुसार से एक दूसरे के स्थान पर (सुगम एवं दुर्गम अथवा दुर्गम एवं दुर्गम अथवा सुगम एवं सुगम में) स्थानांतरण हेतु आवेदन करने पर पारस्परिक स्थानांतरण किए जाएंगे और सुगम क्षेत्र में ही तैनात दो कार्मिकों को पारस्परिक स्थानांतरण नहीं हो सकता है.
  • तबादला एक्ट की धारा-20(क) में यदि कोई कार्मिक किसी एक कार्यस्थल पर तैनात है या जो 7000 फीट की ऊंचाई से अधिक पर तैनात है तो वहां पर 1 साल तक की सेवा को 2 साल तक सुगम क्षेत्र में की गई सेवा के बराबर मानी जाएगी.
  • तबादला एक्ट की धारा-20(ख) में यदि कोई कार्मिक एक कार्यस्थल पर तैनात है, जो 7000 फीट से कम ऊंचाई पर स्तिथ है या दुर्गम स्थान पर तैनात है तो वहां पर 1 साल तक की सेवा को 1 साल 3 महीने के सुगम क्षेत्र की सेवा के बराबर मानी जायेगी.
  • तबादला एक्ट की परिशिष्ट-1,2,3 का परंतु यह कि कार्य स्थल 7000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है वहां 1 साल की तैनाती, दुर्गम क्षेत्र में 2 साल की तैनाती के बराबर मानी जायएगी.

तबादला अधिनियम में नई मांगें-

  • तबादला एक्ट की धारा-17(1)(ख) में नए मांग की अनुरोध के आधार पर तबादले.
  • तबादला एक्ट की धारा-10 में अतिरिक्त भाग जोड़ा जाने हेतु नए प्रस्ताव.
  • तबादला एक्ट की धारा-3(ग) में वरिष्ठ कार्मिक के लिए छूट.
  • तबादला एक्ट की धारा-3(घ) में नए प्रस्ताव.
  • तबादला एक्ट की धारा-7 के तहत सुगम क्षेत्र से दुर्गम क्षेत्र में तबादला जरूरी.
  • तबादला एक्ट की धारा-17(ख) में वरिष्ठ कार्मिक श्रेणी के स्थानांतरण.
  • तबादला एक्ट की धारा-4 में पदों को स्थापित करने के लिए वर्गीकरण एवं धारा-5 में सुगम-दुर्गम स्थानों का चिन्हाकन एवं प्रकटीकरण.

प्रदेश के मुखिया भले ही ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर फोकस करने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हो, लेकिन विभागीय अधिकारी हैं जो न सिर्फ अपनी मनमानी से सरकार की छवि को चारचांद लगा रहे हैं बल्कि विभाग के कई कर्मचारियों को भी ट्रांसफर एक्ट की खामियों का दंश झेलना पड़ रहा है.

Intro:exclusive story.....

यू तो प्रदेश मे तबादला एक्ट कई बार चर्चाओं में रहा, बावजूद इसके सरकारी तंत्र की लाख कोशिशों के बाद भी ट्रान्सफर एक्ट की तमाम खामियां खत्म नही हो पाई, जिसका खामियाजा विभागीय कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा हैं लिहाजा प्रदेश में शिक्षकों के लिए बनायी गयी तबादला एक्ट में तमाम खामियां होने के चलते, शिक्षकों को कैसे तबादला एक्ट का लाभ मिल पायेगा ये एक बड़ा सवाल है? हालांकि प्रदेश के कुछ शिक्षक ऐसे है जो अपने आकाओं के चलते अपना तबादला तो कही भी करा लेते है। लेकिन जिसकी ऊची पहुच नही है वह तबादला एक्ट के तहत स्थानान्तरण का इंतजार कर रहे हैं। आखिर क्या हैं शिक्षकों के लिए इस तबादला एक्ट की हकीकत की तस्वीर, देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लुसिव पड़ताल......


Body:कुछ समय पहले प्रदेश सरकार ने तबादला एक्ट लागू किया था। अधिकारियों की मनमानी के चलते कई खामियों समेत ही इस एक्ट को अमलीजामा पहना दिया लेकिन हैरान करने वाला पहलू इस एक्ट के ये हैं कि दस फीसदी की विंडो भी ओपन कर दी गई। जिसको लेकर विभागीय यूनियन के नेताओ कई बार इसका जमकर विरोध भी किया लेकिन परिणाम शून्य ही रहा। नतीजा वास्तविक लाभार्थियों को इसका लाभ नही मिल पाया हालांकि मुख्य सचिव ने सभी सम्बंधित विभागों से सुझाव भी मांगे थे इसके बाद भी एक्ट की खामियां खत्म नही की जा सकी।


शिक्षा विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तबादला एक्ट में तमाम खामियां हैं। आइए आपको बताते है कि तबादला अधिनियम की मुख्य खामियों के धाराओं को.......

1) धारा-3 (घ) में गंभीर रोग से ग्रस्त कार्मिकों की पति पत्नी व परिवार (जिनमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के माता-पिता) है तो उन्हें स्थानांतरण में छूट अनुमन्य है। 

2) धारा-3 (झ) में कार्यस्थलों का कोटीकरण 

3) धारा-7 (घ)(चार)में ऐसे पति/पत्नी जिनका इकलौता पुत्र/ पुत्री विकलांगता की परिभाषा में सम्मिलित हो को सुगम से दुर्गसम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण में छूट अनुमन्य है।

4) सुगम दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण के लिए उपलब्ध एवं संभावित रिक्तियों की सीमा में पात्र कार्मिकों की सूची बनाए जाने का उल्लेख है तथा तदनुसार स्थानांतरण किए जाने हैं। 

5) धारा-10 में दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण के मानक निर्धारित हैं। 

6) धारा 13 (3) में उत्तराखंड राज्य सरकार की सेवा में कार्यरत पति/पत्नी एक ही स्थान पर तैनाती के इच्छुक हों तो वे दुर्गम/ सुम गम क्षेत्र में अनुरोध के आधार पर आवेदन करने के पात्र होंगे, तथा धारा-14 में अनुरोध हेतु 10 इच्छित स्थानों का विकल्प ले जाने का उल्लेख है।

7) धारा-13 के अंतर्गत अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण के लिए छ: श्रेणियों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी। 

8) धारा-17 (1)(क) सुगम स्थान से दुर्गम में स्थानांतरण में उल्लेखित है कि सर्वप्रथम स्थानांतरण सुगम क्षेत्र में सबसे अधिक अवधि व्यतीत करने वाले कार्मिक से प्रारंभ किए जाएंगे, और दुर्गम क्षेत्र की रिक्त के लिए कार्मिक द्वारा दिए गए विकल्प को स्वीकार किया जाएगा।

9) धारा-17 (1)(क) में अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण में 07 श्रेणियों के कार्मिकों का क्रम से स्थानांतरण किया जाना है, जिसमें अंत में सुगम से दुर्गम में स्थानांतरण किए जाने का उल्लेख है।

10) धारा-17 (2)(क) में समूह 'क' एव 'ख' के अधिकारियों को उनके गृह जनपद में तैनाती नहीं किया जाएगा।

11) धारा-18 (3)में दो कर्मियों के द्वारा स्वेच्छा से एक दूसरे के स्थान पर (सुगम एवं दुर्गम अथवा दुर्गम एवं दुर्गम अथवा सुगम एवं सुगम में) स्थानांतरण हेतु आवेदन करने पर पारस्परिक स्थानांतरण किये जायेंगे। तथा सुगम कार्य स्थलों पर ही तैनात दो कार्मिकों को पारस्परिक स्थानांतरण अनुमन्य न होने का उल्लेख है।

12) धारा-20 (क) में यदि कोई कार्मिक किसी एक कार्यस्थल पर तैनात है, जो 7000 फीट से ज्यादा पर स्तिथ पर तैनात है तो वहा पर 1 वर्ष के की गई सेवा को 2 वर्ष के सुगम स्थान की सेवा के समतुल्य मानी जायेगी। 
धारा-20 (ख)में यदि कोई कार्मिक एक कार्यस्थल पर तैनात है, जो 7000 फीट से कम ऊँचाई पर स्तिथ दुर्गम स्थान पर तैनात है तो वहाँ पर 1 वर्ष की की गयी सेवा को 1 वर्ष 3 माह के सुगम की सेवा के समतुल्य मानी जायेगी। 

13) परिशिष्ट-1,2,3 का परंतु यह कि कार्य स्थल 7000 फीट से अधिक ऊँचाई पर स्थित है वहाँ 1 वर्ष की तैनाती की 2 वर्ष की दुर्गम क्षेत्र में तैनाती के समतुल्य माना जायेगा।

14) नवीन मांग जो जोड़ी जानी है।

15) धारा-17 (1)(ख) नवीन मांग अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण

16) धारा-10 में अतिरिक्त अंश जोड़ा जाने हेतु नवीन प्रस्ताव

17) धारा-3(ग) में वरिष्ठ कार्मिक 

18) धारा-3(घ)का में नवीन प्रस्ताव

19) धारा-7 के अंतर्गत सुगम से दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य स्थानांतरण

20) धारा-17 (ख) में स्थानांतरण

21) धारा-4 में पदस्थापना हेतु वर्गीकरण एवं धारा 5 में सुगम -दुर्गम स्थानों का चिन्हाकन एवं प्रकटीकरण



शिक्षा विभाग के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने भी तबादला एक्ट बनाते समय कुछ खामियां होने को स्वीकार किया है। साथ ही मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि तबादला एक्ट की धारा 27 के तहत जो अधिनियम में खामियां, एक्ट बनाते समय रह गई हैं। उनके निस्तारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी के समक्ष प्रस्तुत कर उनका समाधान किया जाएगा। ताकि विभागीय कर्मचारियों को वास्तव में इस एक्ट का लाभ मिल पाए।

बाइट - आर मीनाक्षी सुंदरम, शिक्षा सचिव, उत्तराखंड




Conclusion:प्रदेश के मुखिया भले ही ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर फोकस करने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हो, लेकिन विभागीय अधिकारी हैं जो न सिर्फ अपनी मनमानी से सरकार की छवि को चारचांद लगा रहे हैं। बल्कि विभाग के कई कर्मचारियों को भी ट्रान्सफर एक्ट की खामियों का दंश झेलना पड़ रहा हैं। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि इस तबादला एक्ट के पारदर्शिता का सपना आखिर कब तक पूरा हो पायेगा। 


Last Updated : Jul 25, 2019, 8:52 PM IST
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