देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे के बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया है. जानकारी मिली है कि बीती रात सीएम तीरथ सिंह रावत की गृहमंत्री अमित शाह के घर पर बैठक हुई. बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. यह बैठक रात करीब 12 बजे तक चली. इस दौरान विधायक की मौत के बाद खाली हुई हल्द्वानी और गंगोत्री सीटों के संबंध में चर्चा हुई.
बता दें, रामनगर में चल रहे चिंतन शिविर के तुरंत बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बीजेपी आलाकमान के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे हैं. सीएम के अचानक दिल्ली दौरे के प्रोग्राम से राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं तेज हैं. हालांकि, सीएम ने साफ किया है कि उनका ये दौरा आगामी चुनाव की रणनीति और चिंतन शिविर में हुई चर्चाओं पर बातचीत को लेकर है.
सीएम तीरथ का त्रिवेंद्र जैसा हाल
इसी बीच कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस प्रकार से गैरसैंण सत्र के दौरान त्रिवेंद्र रावत को हाईकमान ने अचानक दिल्ली बुलाया था, उसके बाद क्या हुआ यह सबने देखा. अब भगवान न करे कि जो त्रिवेंद्र रावत के साथ हुआ वहीं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ हो.
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कहां फंस रहा पेंच
दरअसल, सबसे खास बात ये है कि सीएम तीरथ सिंह रावत को 9 सितंबर से पहले विधायक का चुनाव जीतना जरूरी होगा. इस बीच कांग्रेस ने सवाल उठाया कि ऐसे प्रावधान हैं कि अगर एक वर्ष के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं, तो उपचुनाव नहीं होंगे. अभी तीरथ सिंह राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं हैं. वह वर्तमान में टिहरी गढ़वाल से लोकसभा सांसद हैं. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा सीट जीतना जरूरी है.
इसलिए छाया है राजनीति संकट
9 सितंबर के बाद सीएम पद पर बने रहने के लिए तीरथ सिंह रावत को विधायक का चुनाव जीतना जरूरी होगा. इसी मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर है. वहीं, जन प्रतिनिधिएक्ट के सेक्शन 151 ए के तहत फिलहाल उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है. इसलिए सीएम तीरथ सिंह की कुर्सी पर संकट के बादल छाए हुए हैं.