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भगत दा की भाषण शैली के विरोधी भी दीवाने, अब संवैधानिक दायरों में खो जाएंगे तंज

चुनावी सभाओं में कोश्यारी के भाषण देने की शैली से उन्हें लोग कई किलोमीटर दूर से ही पहचान लिया करते हैं. उनका वह बारीक आवाज में लंबे सुर के साथ विपक्ष पर व्यंग करने का अंदाज समूचे उत्तर भारत की राजनीति में बिल्कुल अलग और अद्वितीय है.

भगत 'दा' की भाषण शैली के विरोधी भी 'दिवाने'
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Published : Sep 1, 2019, 5:34 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड भाजपा में स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहने वाला भगत सिंह कोश्यारी का नाम अब संवैधानिक दायरों में ही सिमट कर रह जाएगा. महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाये जाने के बाद कोश्यारी का गजब अंदाज अब प्रदेश की राजनीति में देखने को नहीं मिलेगा.भगत सिंह कोश्यारी की भाषण शैली का हर कोई कायल था, अब राज्यपाल बनने के बाद उनके मंचों से दिये जाने वाले बेबाक भाषणों को याद किया जाएगा जिससे वे लोगों को गुदगुदाते थे.

चुनावी सभाओं में कोश्यारी के भाषण देने की शैली से उन्हें लोग कई किलोमीटर दूर से ही पहचान लिया करते हैं. उनका वह बारीक आवाज में लंबे सुर के साथ विपक्ष पर व्यंग करने का अंदाज समूचे उत्तर भारत की राजनीति में बिल्कुल अलग और अद्वितीय है. अपने इसी गजब अंदाज के चलते भगत सिंह कोशियारी प्रदेश की राजनीति में एक परिचित नाम हैं.

पढ़ें-मसूरीः झूठा शपथ पत्र देने पर सभासद गीता कुमाई की सदस्यता निरस्त

उत्तराखंड के दूसरे सफल मुख्यमंत्री और उत्तराखंड विधानसभा में 2002 से 2007 तक विपक्ष के शीर्ष नेता रह चुके भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बना कर एक संवैधानिक पद से सम्मानित किया है. जिसके बाद स्वाभाविक है कि भगत सिंह कोश्यारी अब राजनीतिक गतिविधियों में बहुत ही सीमित प्रतिभाग कर सकेंगे. जिसके चलते उत्तराखंड की राजनीति में और खासतौर से उनके भाषण देने के उस अंदाज को याद किया जाएगा.

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उत्तराखंड में जब भी कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो और उसमें भगत सिंह कोशियारी उपस्थित हो तो लोग कोशियारी के भाषण का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते थे. जब कोश्यारी अपने अंदाज में भाषण देतें थे तो पूरा जनसैलाब हंसी और ठहाकों से उमड़ पड़ता था. आज भगत सिंह कोश्यारी एक प्रदेश के राज्यपाल हो गए हैं और एक संवैधानिक पद के चलते इस पद की अपनी कुछ गरिमायें होती हैं, जिसके कारण अब कोश्यारी जनता के बीच अपने उस अंदाज में नहीं दिख पाएंगे.

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लोकसभा चुनावों में कोश्यारी ने हरीश रावत को कहा था हार 'दा'

उत्तराखंड की राजनीति में भगत सिंह कोश्यारी एक ऐसा नाम है जो कि अपने मुख से निकले शब्दों से सियासत में हंगामा खड़ा कर देते हैं. हाल ही के लोकसभा चुनाव में भगत सिंह कोशियारी और हरीश रावत के बीत काफी जुबानी जंग चली, जिसका लोगों ने खूब लुफ्त उठाया. सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी ने ही हरीश रावत को उनकी लगातार हार से जोड़ते हुए हार'दा' कहा था. जिसके बाद हरीश रावत भी कुछ कम नहीं निकले उन्होंने कोश्यारी को भीगा हुआ घुग्ता कह दिया था. जिसके बाद जुबानी जंग ऐसी छिड़ी की कांग्रेस ने भगत दा को भाग 'दा' कहकर खूब मजाक उडाया.

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उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है की उत्तराखंड में भाजपा को मजबूत करने के लिए भगत सिंह कोश्यारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा के लिए कई योगदान दिए हैं, जिसे देखते हुए उन्हें राज्यपाल बनाया गया है. देवेंद्र भसीन ने कहा कि आज भी उनके व्यक्तित्व और उनकी कार्यशैली का प्रदेश भाजपा लगातार अनुसरण कर रही है और आगे भी करती रहेगी.

देहरादून: उत्तराखंड भाजपा में स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहने वाला भगत सिंह कोश्यारी का नाम अब संवैधानिक दायरों में ही सिमट कर रह जाएगा. महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाये जाने के बाद कोश्यारी का गजब अंदाज अब प्रदेश की राजनीति में देखने को नहीं मिलेगा.भगत सिंह कोश्यारी की भाषण शैली का हर कोई कायल था, अब राज्यपाल बनने के बाद उनके मंचों से दिये जाने वाले बेबाक भाषणों को याद किया जाएगा जिससे वे लोगों को गुदगुदाते थे.

चुनावी सभाओं में कोश्यारी के भाषण देने की शैली से उन्हें लोग कई किलोमीटर दूर से ही पहचान लिया करते हैं. उनका वह बारीक आवाज में लंबे सुर के साथ विपक्ष पर व्यंग करने का अंदाज समूचे उत्तर भारत की राजनीति में बिल्कुल अलग और अद्वितीय है. अपने इसी गजब अंदाज के चलते भगत सिंह कोशियारी प्रदेश की राजनीति में एक परिचित नाम हैं.

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उत्तराखंड के दूसरे सफल मुख्यमंत्री और उत्तराखंड विधानसभा में 2002 से 2007 तक विपक्ष के शीर्ष नेता रह चुके भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बना कर एक संवैधानिक पद से सम्मानित किया है. जिसके बाद स्वाभाविक है कि भगत सिंह कोश्यारी अब राजनीतिक गतिविधियों में बहुत ही सीमित प्रतिभाग कर सकेंगे. जिसके चलते उत्तराखंड की राजनीति में और खासतौर से उनके भाषण देने के उस अंदाज को याद किया जाएगा.

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उत्तराखंड में जब भी कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो और उसमें भगत सिंह कोशियारी उपस्थित हो तो लोग कोशियारी के भाषण का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते थे. जब कोश्यारी अपने अंदाज में भाषण देतें थे तो पूरा जनसैलाब हंसी और ठहाकों से उमड़ पड़ता था. आज भगत सिंह कोश्यारी एक प्रदेश के राज्यपाल हो गए हैं और एक संवैधानिक पद के चलते इस पद की अपनी कुछ गरिमायें होती हैं, जिसके कारण अब कोश्यारी जनता के बीच अपने उस अंदाज में नहीं दिख पाएंगे.

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लोकसभा चुनावों में कोश्यारी ने हरीश रावत को कहा था हार 'दा'

उत्तराखंड की राजनीति में भगत सिंह कोश्यारी एक ऐसा नाम है जो कि अपने मुख से निकले शब्दों से सियासत में हंगामा खड़ा कर देते हैं. हाल ही के लोकसभा चुनाव में भगत सिंह कोशियारी और हरीश रावत के बीत काफी जुबानी जंग चली, जिसका लोगों ने खूब लुफ्त उठाया. सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी ने ही हरीश रावत को उनकी लगातार हार से जोड़ते हुए हार'दा' कहा था. जिसके बाद हरीश रावत भी कुछ कम नहीं निकले उन्होंने कोश्यारी को भीगा हुआ घुग्ता कह दिया था. जिसके बाद जुबानी जंग ऐसी छिड़ी की कांग्रेस ने भगत दा को भाग 'दा' कहकर खूब मजाक उडाया.

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उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है की उत्तराखंड में भाजपा को मजबूत करने के लिए भगत सिंह कोश्यारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा के लिए कई योगदान दिए हैं, जिसे देखते हुए उन्हें राज्यपाल बनाया गया है. देवेंद्र भसीन ने कहा कि आज भी उनके व्यक्तित्व और उनकी कार्यशैली का प्रदेश भाजपा लगातार अनुसरण कर रही है और आगे भी करती रहेगी.

Intro:This is Special Story about koshyari---

एंकर- उत्तराखंड भाजपा में स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहने वाला भगत सिंह कोशियारी का नाम अब संवैधानिक दायरे में सिमट कर रह जाएगा। हालांकि भाजपा के लोग महाराष्ट्र का राज्यपाल बनने पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता भगत सिंह कोश्यारी को लेकर जश्न में है लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं कि अब भाजपा के मंचो से वह गजब का अंदाज गायब रहेगा जो लोगों को ठहाके मारने पर मजबूर कर देता था।


Body:वीओ- चुनावी सभाओं में कोश्यारी के भाषण देने की शैली से उन्हें लोग कई किलोमीटर दूर से ही पहचान लिया करते हैं। उनका वह बारीक आवाज में लंबे सुर के साथ विपक्ष पर व्यंग करने का अंदाज समूचे उत्तर भारत की राजनीति में बिल्कुल अलग और अद्वितीय है। अपने इसी गजब के अंदाज के चलते भगत सिंह कोशियारी भारत की राजनीति में एक परिचित नाम है।

उत्तराखंड के दूसरे सफल मुख्यमंत्री और उत्तराखंड विधानसभा में 2002 से 2007 तक विपक्ष के शीर्ष नेता रह चुके भगत सिंह कोश्यारी को आज पार्टी ने महाराष्ट्र का राज्यपाल बना कर एक संवैधानिक पद से सम्मानित किया है। जिसके बाद स्वाभाविक है कि भगत सिंह कोश्यारी अब राजनीतिक गतिविधियों में बहुत ही सीमित प्रतिभाग करेंगे जिसके चलते उत्तराखंड की राजनीति में और खासतौर से उनके भाषण देने के उस अंदाज को याद किया जाएगा।

उत्तराखंड में जब भी कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो और उसमें भगत सिंह कोशियारी उपस्थित हो तो लोग कोशियारी के भाषण का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। और जब वह अपने उसी अंदाज में भाषण देतें है तो पूरा जनसैलाब हंसी और ठहाकों से उमड़ पड़ता है। आज भगत सिंह कोश्यारी एक प्रदेश के राज्यपाल हो गए हैं और एक संवैधानिक पद के चलते इस पद के अपने कुछ दायरे होते हैं। राज्यपाल बनने के बाद निश्चित तौर से अब उस तरह से पक्ष विपक्ष और आरोप-प्रत्यारोप का दौर कोश्यारी के जीवन में मुश्किल ही देखने को मिलेगा। हालांकि उनका जो व्यक्तित्व है वह अपने आप में आज भी खास है।


लोकसभा चुनावों में कोश्यारी डाला था मशाला, हरीश रावत को कहा था हार दा---

उत्तराखंड की राजनीति में भगत सिंह कोशियारी एक ऐसा नाम है जो कि अपने मुख से निकले शब्दों से सियासत में हंगामा खड़ा कर देते हैं। हाल ही के लोकसभा चुनाव में भगत सिंह कोशियारी और हरीश रावत में काफी जुबानी जंग चली जिसका लोगों ने खूब लुफ्त उठाया।
सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी ने हरीश रावत की लगातार हार से जोड़ते हुए हरदा को हार दा बोला तो वहीं हरीश रावत भी कुछ कम नहीं निकले उन्होंने कोशियारी को भीगा हुआ घुग्ता बोल दिया जिसके बाद दोनों में जुबानी जंग छिड़ गई। यहां तक की कांग्रेस के लोगों ने भगत दा को भाग दा भी बोल दिया और इस तरह से जिन लोगों का राजनीति से दूर-दूर तक संबंध भी नहीं था उन्होंने इन नेताओं की बातों का खूब मजा लिया।

उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है की उत्तराखंड में भाजपा को मजबूत करने के लिए भगत सिंह कोशियारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा के लिए कई योगदान दिए हैं जिसको देखते हुए आज उन्हें राज्यपाल बनाया गया है लेकिन आज भी उनके व्यक्तित्व और उनकी कार्यशैली का प्रदेश भाजपा लगातार अनुसरण कर रही है और आगे भी करती रहेगी।

बाइट- देवेंद्र भसीन, प्रदेश मीडिया प्रभारी, उत्तराखंड भाजपा


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