देहरादून: राजधानी में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जैसी मांगों को लागू करने को लेकर उत्तराखंड के सैकड़ों अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को सचिवालय कूच किया. वकीलों के सचिवालय पहुंचने से पहले ही पुलिस ने बेरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया. सचिवालय कूच के दौरान अधिवक्ताओं ने मांगे पूरी न होने पर राजनीतिक नेताओं के मुकदमे न लड़ने की चेतावनी दी.
अन्य प्रदेशों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, रजिस्टर्ड वकीलों के चेंबर बनाने के लिए जमीन मुहैया कराने और अधिवक्ता कल्याण कोष बनाने सहित प्रमुख मांगों को लेकर अधिवक्ता मुखर हुए. देहरादून बार एसोसिएशन सहित उत्तराखंड के कई एसोसिएशन के सैकड़ों वकीलों ने शुक्रवार प्रदर्शन करते हुए सचिवालय का कूच किया. हालांकि, इस दौरान भारी पुलिस बल ने प्रदर्शनकारी वकीलों को सचिवालय से पहले बैरिकेडिंग लगाकर आगे जाने से रोक दिया.
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मांगें पूरी न होने तक नेताओं के मुकदमे नहीं लड़ेगे: बार एसोसिएशन अध्यक्ष
बार एसोसिएशन के वकीलों की मांग है कि 9 नवंबर 2000 से पहले के सभी वकीलों को राज्य आंदोलनकारी घोषित किया जाए. आंदोलित अधिवक्ताओं ने कहा कि जब तक राज्य सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती तब तक बार एसोसिएशन के कोई भी अधिवक्ता उत्तराखंड के राजनीतिक दलों के नेताओं का मुकदमा नहीं लड़ेगा.
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आज वकीलों में असुरक्षा का भाव हैं: बार एसोसिएशन अध्यक्ष
वहीं, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जैसी मांगों को उत्तराखंड में लागू करने की मांग करते हुए देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने कहा कि आज वकील की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने का समय आ गया है. आजकल अकारण ही वकीलों पर कई तरह के हमले हो रहे हैं. जिसके लिए कानून बनाना बहुत जरूरी है.
अधिवक्ताओं की प्रमुख चार मांगें
- वकीलों के सुरक्षा के अधिकारों को लेकर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए
- रजिस्टर्ड अधिवक्ताओं को चेम्बर बनाने के लिए जमीन मुहैया कराई जाए
- 9 नवंबर 2000 राज्य स्थापना दिवस से पहले कार्यरत वकीलों को राज्य आंदोलनकारी घोषित किया जाए.
- राज्य सरकार अधिवक्ताओं के लिए कल्याण कोष का तत्काल गठन करे.