देहरादून: केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट अटल आयुष्मान योजना पर निजी अस्पतालों ने ग्रहण लगा दिया है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि 50 अस्पतालों में से लगभग एक दर्जन से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों ने ही इस योजना में कई गड़बड़ियों को अंजाम दिया है. लिहाजा सरकार ने अब तक आधे दर्जन से ज्यादा अस्पतालों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है. जबकि इससे ज्यादा अस्पतालों पर जांच की तलवार लटक रही है. ऐसे में जिस दावे के साथ प्रदेश में इस योजना की शुरुआत की गई थी, वे दावे हकीकत से परे नजर आ रहे हैं.
लिहाजा अभी तक दर्जनों मामलों में राज्य स्वास्थ्य अभिकरण उत्तराखंड ने कार्रवाई की है. फर्जीवाड़ा करने वाले निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही कर न सिर्फ उनकी सूचीबद्धता खत्म की गई है बल्कि इन अस्पतालों द्वारा क्लेम कर जो पैसा सरकार से लिया गया था, उसकी भी रिकवरी की जा रही है. इसके साथ ही तमाम अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं.
50 से ज्यादा निजी अस्पताल किये गए थे सूचीबद्ध
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने उत्तराखंड के 23 लाख परिवारों को शामिल करते हुए अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को पिछले साल लॉन्च किया था. इस योजना में प्रत्येक परिवार के लिए 5 लाख तक के कैशलेस इलाज की व्यवस्था की गई थी. हालांकि प्रदेश के भीतर अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को सिर्फ सरकारी अस्पतालों में लॉन्च किया गया था लेकिन तमाम मरीजों को सही समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से राज्य सरकार ने इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए सरकारी अस्पतालों के अलावा 50 से ज्यादा निजी अस्पतालों को भी इलाज के लिए सूचीबद्ध किया था.
प्रदेश के 14 निजी अस्पतालों पर की गयी कार्रवाई
प्रदेश के मरीजों का इलाज करने के मामले में लाखों का फर्जीवाड़ा करने वाले 14 निजी अस्पतालों में से सबसे ज्यादा 8 निजी अस्पताल जिला उधम सिंह नगर के हैं. जिसमें से 4 निजी अस्पतालों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. इसके साथ ही 4 निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जा रही है. हरिद्वार जिले के 3 निजी अस्पतालों में से 2 निजी अस्पतालों को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है और 1 निजी अस्पताल को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जा रही है. इसके साथ ही देहरादून के 2 निजी अस्पतालों और नैनीताल के 1 निजी अस्पताल पर कार्रवाई की जा रही है.
फर्जीवाड़ा के 755 से ज्यादा मामले आए है सामने
प्रदेश के 14 अस्पतालों में अभी तक 755 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें इलाज के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है. इन सभी अस्पतालों से करीब 2 करोड़ की रिकवरी भी की जानी है. इतनी बड़ी संख्या में निजी अस्पतालों के द्वारा फर्जीवाड़े का मामला सामने आने पर राज्य सरकार की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है.