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जागरुक हो रहीं देवभूमि की महिलाएं, हर बार चुनाव में बढ़ रहा मतदान प्रतिशत - महिला मतदाता

राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हर चुनाव में महिला मतदाता बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.

चुनाव में बढ़ रहा महिलाओं का मतदान प्रतिशत.
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Published : Apr 5, 2019, 10:16 PM IST

देहरादून: राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हर चुनाव में महिला मतदाता बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इसी क्रम में आगामी 11 अप्रैल को प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं. जिसमें इस बार प्रदेश की 36,45,047 महिला मतदाता हिस्सा ले रही हैं.

चुनाव में बढ़ रहा महिलाओं का मतदान प्रतिशत.

बता दें कि राज्य गठन के बाद 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 52.64 था. साल 2017 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.30 फीसदी तक पहुंच गया था. वहीं, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 44.49 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. साल 2014 में ये आंकड़ा बढ़ कर 63.05 फीसदी तक पहुंच गया था. ये सभी आंकड़े इस बात को साफ करते हैं कि प्रदेश की महिलाएं अपने मताधिकार को लेकर कितनी जागरूक हैं.

पढ़ें: चमोली के इस गांव में होती है अनोखी पूजा, 24 घंटे तक सीमाएं रहती हैं सील

वहीं, इस मामले में समाजसेवी साधना शर्मा का कहना है कि यह गर्व की बात है कि हमारे प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. लेकिन दूसरी ओर महिलाओं को अपने मताधिकार को लेकर और अधिक जागरूक होने की जरूरत है. साधना शर्मा ने कहा कि आज भी कई महिलाएं अपने पति, पिता या किसी परिवार के सदस्य के बहकावे में आकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करती हैं. जबकि महिलाओं को अपने विवेक से किसी प्रत्याशी या दल का चुनाव करना चाहिए.

समाजसेवी साधना शर्मा ने कहा कि राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी है. लेकिन आज भी कई राजनीतिक दल महिला प्रत्याशियों पर कम भरोसा दिखाते हैं. साधना ने सवाल करते हुए कहा कि अगर महिलाएं चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कौन उठाएगा या फिर इस पर कौन काम करेगा.

वहीं, राजधानी देहरादून की कुछ महिला मतदाताओं का कहना था कि महिलाओं को मतदान वाले दिन अपने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. लेकिन मतदान सिर्फ उसी प्रत्याशी के लिए करना चाहिए जो भविष्य में महिलाओं के लिए कोई कार्य कर सके. उन्होंने कहा कि आज भी प्रदेश में महिलाओं के लिए बेहतर अस्पताल नहीं है और कई अस्पतालों में महिला डॉक्टर्स भी नहीं हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र में सरकार चाहे जिसकी भी बने उन्हें महिलाओं को लेकर गंभीरता से कदम उठाने होंगे.

देहरादून: राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हर चुनाव में महिला मतदाता बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इसी क्रम में आगामी 11 अप्रैल को प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं. जिसमें इस बार प्रदेश की 36,45,047 महिला मतदाता हिस्सा ले रही हैं.

चुनाव में बढ़ रहा महिलाओं का मतदान प्रतिशत.

बता दें कि राज्य गठन के बाद 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 52.64 था. साल 2017 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.30 फीसदी तक पहुंच गया था. वहीं, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 44.49 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. साल 2014 में ये आंकड़ा बढ़ कर 63.05 फीसदी तक पहुंच गया था. ये सभी आंकड़े इस बात को साफ करते हैं कि प्रदेश की महिलाएं अपने मताधिकार को लेकर कितनी जागरूक हैं.

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वहीं, इस मामले में समाजसेवी साधना शर्मा का कहना है कि यह गर्व की बात है कि हमारे प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. लेकिन दूसरी ओर महिलाओं को अपने मताधिकार को लेकर और अधिक जागरूक होने की जरूरत है. साधना शर्मा ने कहा कि आज भी कई महिलाएं अपने पति, पिता या किसी परिवार के सदस्य के बहकावे में आकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करती हैं. जबकि महिलाओं को अपने विवेक से किसी प्रत्याशी या दल का चुनाव करना चाहिए.

समाजसेवी साधना शर्मा ने कहा कि राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी है. लेकिन आज भी कई राजनीतिक दल महिला प्रत्याशियों पर कम भरोसा दिखाते हैं. साधना ने सवाल करते हुए कहा कि अगर महिलाएं चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कौन उठाएगा या फिर इस पर कौन काम करेगा.

वहीं, राजधानी देहरादून की कुछ महिला मतदाताओं का कहना था कि महिलाओं को मतदान वाले दिन अपने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. लेकिन मतदान सिर्फ उसी प्रत्याशी के लिए करना चाहिए जो भविष्य में महिलाओं के लिए कोई कार्य कर सके. उन्होंने कहा कि आज भी प्रदेश में महिलाओं के लिए बेहतर अस्पताल नहीं है और कई अस्पतालों में महिला डॉक्टर्स भी नहीं हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र में सरकार चाहे जिसकी भी बने उन्हें महिलाओं को लेकर गंभीरता से कदम उठाने होंगे.

Intro:राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। आगामी 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए प्रदेश में मतदान होना है जिसमें इस बार प्रदेश की 36,45,047 महिला मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगी।

बात आंकड़ों कि बात करें तो राज्य गठन के बाद अब तक हुए विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी निरंतर बढ़ती जा रही है। 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में जहां महिलाओं का मतदान प्रतिशत 52.64 था । वहीं साल 2017 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.30 फ़ीसदी तक पहुंच गया। बात लोकसभा चुनाव की करें तो साल 2004 में जो लोकसभा चुनाव हुए थे उसमें प्रदेश में 44.49 फ़ीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था । इसके साथ ही साल 2014 में ये आंकड़ा बढ़ कर 63.05 फ़ीसदी तक पहुंच गया । ये सभी आंकड़े इस बात को साफ करते हैं कि प्रदेश की महिलाएं अपने मताधिकार को लेकर कितनी जागरूक हैं।


Body:गौरतलब है कि इस बार प्रदेश की 36,45,047 महिला मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगी। ऐसे में किसी भी चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका को लेकर जब हमने समाजसेवी साधना शर्मा से बात की तो उनका कहना था कि यह गर्व की बात है कि हमारे प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही हैं । लेकिन वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को अपने मताधिकार को लेकर और अधिक जागरूक होने की जरूरत भी है । समाजसेवी साधना शर्मा का कहना है कि आज भी कई महिलाएं अपने पति , पिता या किसी परिवार के सदस्य के बहकावे में आकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करती हैं। जबकि महिलाओं को अपने विवेक से किसी प्रत्याशी या दल का चुनाव करना चाहिए ।

इसके साथ ही समाजसेवी साधना शर्मा का यह भी मानना है कि राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी बनी चाहिए आज की स्थिति में कोई भी राजनीतिक दल महिला प्रत्याशियों पर कम भरोसा दिखाता है जबकि यदि महिलाएं हैं चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे तो आखिर महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कौन उठाएगा या फिर इस पर कौन काम करेगा।

बाइट- साधना शर्मा समाजसेवी देहरादून


Conclusion:वहीं राजधानी देहरादून की कुछ महिला मतदाताओं से जब हमने उनके मताधिकार को लेकर बात की तो उनका कहना था कि हर एक महिला को मतदान वाले दिन अपने घरों से निकलकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। लेकिन मतदान सिर्फ उसी प्रत्याशी के लिए करना चाहिए जो निकट भविष्य में महिलाओं के लिए कोई कार्य कर सकें। आज प्रदेश में महिलाओं के लिए बेहतर अस्पताल नहीं है , कहीं अस्पताल है तो वहां डॉक्टर्स नहीं है । इसके अलावा कई हेल्पलाइन नंबर भी सरकार की तरफ से शुरू किए गए हैं लेकिन दुर्भाग्यवश उन हेल्पलाइन नंबर्स के बारे में प्रदेश के कई दुरुस्त इलाकों में रहने वाली महिलाओं को पता ही नहीं है ऐसे में यह जरूरी है कि केंद्र में नई सरकार चाहे जिसकी भी बने उन्हें महिलाओं को लेकर गंभीरता से कदम उठाने होंगे ।

बाइट - महिला मतदाता
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