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पहाड़ की महिलाओं की आर्थिकी सुधारेंगे स्थानीय अनाज, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान

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Published : May 20, 2019, 8:28 PM IST

केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी सचिव रेनू स्वरूप ने स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया. संस्था का उद्देश्य प्रसाद के कारोबार को राष्ट्रीय स्तर तक ले जा कर राज्य की महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिकेगा स्थानीय अनाजों से बना प्रसाद.

देहरादून: प्रदेश की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी ने एक मुहिम शुरू की है. जिसके लिए स्थानीय व्यंजनों और अनाजों को एक रोजगार के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है. स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. जिसके चलते सोमवार को केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी सचिव रेनू स्वरूप ने स्थानीय प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया. संस्था का उद्देश्य प्रसाद के कारोबार को राष्ट्रीय स्तर तक ले जा कर राज्य की महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है.

जानकारी देती सचिव, केंद्रीय जैव प्रौद्योगिक रेनू स्वरूप.

बता दें कि पूर्व में राज्य सरकार ने प्रदेश के स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद के ट्रेंड को शुरू किया था. जिसके तहत उत्तराखंड के चारधाम में स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद बेचने की शुरुआत की गयी है. जिससे प्रदेश की हजारों महिलाओं को स्वरोजगार मिल रहा है, साथ ही अच्छी आमदनी भी हो रही है. मौजूदा समय में भी चारधाम में स्थानीय प्रसाद से लाखों रुपये का व्यापार हो रहा है. देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं को स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद खूब पसंद आ रहे हैं. जिसके चलते स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर भेजने की तैयारी की जा रही है.

हालांकि प्रदेश की महिलाएं स्थानीय उत्पाद से प्रसाद के साथ-साथ जूट और कैनवस से इको फ्रेंडली बैग भी बना रही हैं. सरकार स्वरोजगार के लिए महिलाओं को रॉ मेटेरियल और डिजाइन मुहैया करा रही है. जिससे महिलाओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है.

वहीं केंद्रीय सचिव रेनू स्वरूप ने बताया कि स्वरोजगार कि लिए प्रसाद को पहले स्थानीय स्तर पर चार धाम में शुरू किया था. कुछ समय बाद प्रसाद को शिवखोड़ी, वैष्णो देवी और अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में भेजा गया जहां प्रसाद की अच्छी खपत होती है. साथ हरी लोगों को प्रसाद बहुत पसंद आती है. जिसके चलते प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया जा रहा है.

देहरादून: प्रदेश की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी ने एक मुहिम शुरू की है. जिसके लिए स्थानीय व्यंजनों और अनाजों को एक रोजगार के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है. स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. जिसके चलते सोमवार को केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी सचिव रेनू स्वरूप ने स्थानीय प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया. संस्था का उद्देश्य प्रसाद के कारोबार को राष्ट्रीय स्तर तक ले जा कर राज्य की महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है.

जानकारी देती सचिव, केंद्रीय जैव प्रौद्योगिक रेनू स्वरूप.

बता दें कि पूर्व में राज्य सरकार ने प्रदेश के स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद के ट्रेंड को शुरू किया था. जिसके तहत उत्तराखंड के चारधाम में स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद बेचने की शुरुआत की गयी है. जिससे प्रदेश की हजारों महिलाओं को स्वरोजगार मिल रहा है, साथ ही अच्छी आमदनी भी हो रही है. मौजूदा समय में भी चारधाम में स्थानीय प्रसाद से लाखों रुपये का व्यापार हो रहा है. देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं को स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद खूब पसंद आ रहे हैं. जिसके चलते स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर भेजने की तैयारी की जा रही है.

हालांकि प्रदेश की महिलाएं स्थानीय उत्पाद से प्रसाद के साथ-साथ जूट और कैनवस से इको फ्रेंडली बैग भी बना रही हैं. सरकार स्वरोजगार के लिए महिलाओं को रॉ मेटेरियल और डिजाइन मुहैया करा रही है. जिससे महिलाओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है.

वहीं केंद्रीय सचिव रेनू स्वरूप ने बताया कि स्वरोजगार कि लिए प्रसाद को पहले स्थानीय स्तर पर चार धाम में शुरू किया था. कुछ समय बाद प्रसाद को शिवखोड़ी, वैष्णो देवी और अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में भेजा गया जहां प्रसाद की अच्छी खपत होती है. साथ हरी लोगों को प्रसाद बहुत पसंद आती है. जिसके चलते प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया जा रहा है.

Intro:प्रदेश की महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने, स्थानीय व्यंजनों और अनाजों को एक रोजगार के रूप में विकसित करने को लेकर केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी सचिव ने राष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय उत्पाद से बने प्रसाद को लॉन्च किया। देहरादून के शुक्लापुर स्थित एक गैर सरकारी संस्थान में प्रसाद लॉन्च करने के बाद सचिव रेनू स्वरूप और किस पहलुओं पर फोकस करने को जरूरी बताया। कि आखिर प्रसाद से कैसे बढेगा स्वरोजगार और कैसे करोड़ो के प्रसाद से उत्तराखण्ड की आर्थिकी मजबूत होगी।


Body:हालांकि राज्य सरकार द्वारा पहले ही प्रदेश के स्थानीय अनाजों से बने प्रसाद के ट्रेंड को शुरू किया था। इसके तहत उत्तराखंड के चारधाम में स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद की शुरुवात की गयी थी। जिसे हजारों महिलाओं को स्वरोजगार के साथ हु अच्छी आमदनी हुई है। और मौजूद समय मे चारधाम में स्थानीय अनाजो से बने प्रसाद से लाखों रुपये का व्यापार हो रहा है। इसके साथ देश विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं को भी स्थानीय अनाजो से बने प्रसाद खूब पसंद आ रहे है। जिसके बाद तब स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद को राष्ट्रीय स्तर पर भेजने की तैयारी की जा रही है।

गांव की महिलाएं ना सिर्फ स्थानीय उत्पाद से प्रसाद बनाती है बल्कि जूट और कैनवस के बैग भी बनाती हैं जो कि कंपलीटली इको फ्रेंडली हैं और यह सारे गांव की औरतों के द्वारा बनाए जाते हैं, ताकि उन्हें अच्छा मुनाफा हो सके और उनको स्वरोजगार से भी जोड़ा जा सके। इसके साथ ही करीब 200 महिलाएं ऐसे हैं जो झूठ और कैनवस के बैग बनाने का काम करती है। और वह अपने घर में रहकर बैग बनाने का काम कर सकती हैं इसके लिए उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है हालांकि वो गांव की औरतों को रॉ मेटेरियल प्रदान करते हैं और डिजाइन प्रदान करते हैं जिसके बाद उन्हें वो बैग को तैयार करते है। 

बाइट - गरिमा (जूट कैनवस बैग निर्माता)

केंद्रीय सचिव रेनू स्वरूप ने बताया कि यह एक बहुत जरूरी प्रोग्राम है जो कुछ साल पहले छोटे से स्तर पर प्रसाद बनाना शुरू किया गया था। जिसका मकसद था कि स्थानीय उत्पादों का उपयोग कर स्थानीय महिला कैसे अपना रोजगार बना सकती हैं। और प्रसाद बढ़ाने की प्रक्रिया में वह खुद का स्वरोजगार बना सकती है इसके साथ ही अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे सकती हैं। इस प्रसाद को पहले स्थानीय स्तर पर और चार धाम में शुरू किया गया इसके बाद इस प्रसाद को शिवखोड़ी, वैष्णो देवी और अन्य प्रसिद्ध मंदिरों तक ले गए। और इन जगहों पर प्रसाद की अच्छी खपत हुई और लोगों को पसंद भी आयी। जिसको देखते हुए अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया जा रहा है।

बाइट - रेनू स्वरूप (केंद्रीय सचिव, केंद्रीय जैव प्रौद्योगिक)





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