रुद्रपुर: लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर देश के दलित और आदिवासी संगठन मोदी सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक चुके हैं. आज देशभर में दलित और आदिवासी संगठनों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया. हालांकि उधम सिंह नगर में भारत बंद का असर देखने को नहीं मिला, लेकिन यहां दलित संगठनों ने जिला अधिकारी दफ्तर में प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता तो देश में उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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7 सूत्रीय मांगों को लेकर संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने मंगलवार को जिला मुख्यालय रुद्रपुर में जमकर प्रदर्शन किया. जिला संयोजक संविधान बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य अयोध्या प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार द्वारा दलित और आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है. दलित और आदिवासी संगठन ने मिल कर भारत बंद का आह्वान किया है. इसी के चलते वो डीएम दफ्तर में प्रदर्शन कर रहे हैं.
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प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार ने आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग को10% आरक्षण देकर भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है. संविधान के अनुच्छेद 164 में जिस वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, उसको पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के बारे में प्रावधान किया है, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा जिनको शिक्षा नौकरी और राजनीति में अतिरिक्त प्रतिनिधित्व है.
प्रसाद के बताया कि इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के केस में एससी/एसटी और ओबीसी को 49.5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए 50% की सीमा लगाई है तो ऐसे में केंद्र सरकार 10% आरक्षण कहां से देगी, ये स्पष्ट नहीं हो रहा है. प्रसाद ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो उग्र आंदोलन करेंगे.
काशीपुर में भी किया गया प्रदर्शन
काशीपुर में भी संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने प्रदर्शन किया. काशीपुर शाखा के अध्यक्ष लल्लू सिंह के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ता काशीपुर उप जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे, जहां उप जिलाधिकारी से माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया.