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300 दुश्मन सैनिकों को अकेले मार गिराने वाले शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा पौड़ी का रांसी स्टेडियम

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Published : Mar 7, 2019, 9:09 PM IST

शिलापट पर शहीद जसवंत सिंह की शौर्य गाथा लिखी जाएगी.

शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा पौड़ी स्टेडियम

पौड़ी: रांसी स्टेडियम अब शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा. पूर्व सैनिक पिछले लंबे समय से रांसी स्टेडियम का नाम शहीद जसवंत सिंह के नाम पर रखने की मांग सरकार से कर रहे थे. जिसके बाद सरकार ने ये फैसला लिया. स्टेडियम की देखरेख का जिम्मा पौड़ी खेल विभाग को दे दिया गया है.

शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा पौड़ी स्टेडियम

पूर्व सैनिक भगवान सिंह पवार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से आग्रह किया था कि पौड़ी के रांसी स्टेडियम शहीद जसवंत सिंह के नाम पर रखा जाए. पवार को खेल विभाग के अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि रांसी स्टेडियम का नाम शहीद जसवंत सिंह स्टेडियम के नाम करने के लिए शासन की ओर से स्वीकृति मिल गई है. अब शिलापट पर शहीद जसवंत सिंह की शौर्य गाथा लिखी जाएगी.

शहीद जसवंत सिंह का परिचय
जसवंत सिंह रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के रहने वाले थे. उनका जन्म 19 अगस्त, 1941 को हुआ था. उनके पिता गुमन सिंह रावत थे. जिस समय जसवंत शहीद हुए उस समय वह राइफलमैन के पद पर थे और गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में सेवारत थे. उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश के तवांग के नूरारंग की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी.

उस समय अपनी वीरता का परिचय देते हुए जसवंत सिंह ने अकेले ही 300 सैनिकों को मार गिराया था. इस दौरान वो 72 घंटों तक अकेले लड़े थे. आज भी उन्हें सेवारत माना जाता है और समय-समय पर उन्हें पदोन्नति भी मिलती रहती है. उनके नाम से अरुणाचल प्रदेश में एक मंदिर भी स्थापित किया गया है. जहां पर जसवंत सिंह की पूजा की जाती है.

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पौड़ी: रांसी स्टेडियम अब शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा. पूर्व सैनिक पिछले लंबे समय से रांसी स्टेडियम का नाम शहीद जसवंत सिंह के नाम पर रखने की मांग सरकार से कर रहे थे. जिसके बाद सरकार ने ये फैसला लिया. स्टेडियम की देखरेख का जिम्मा पौड़ी खेल विभाग को दे दिया गया है.

शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा पौड़ी स्टेडियम

पूर्व सैनिक भगवान सिंह पवार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से आग्रह किया था कि पौड़ी के रांसी स्टेडियम शहीद जसवंत सिंह के नाम पर रखा जाए. पवार को खेल विभाग के अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि रांसी स्टेडियम का नाम शहीद जसवंत सिंह स्टेडियम के नाम करने के लिए शासन की ओर से स्वीकृति मिल गई है. अब शिलापट पर शहीद जसवंत सिंह की शौर्य गाथा लिखी जाएगी.

शहीद जसवंत सिंह का परिचय
जसवंत सिंह रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के रहने वाले थे. उनका जन्म 19 अगस्त, 1941 को हुआ था. उनके पिता गुमन सिंह रावत थे. जिस समय जसवंत शहीद हुए उस समय वह राइफलमैन के पद पर थे और गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में सेवारत थे. उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश के तवांग के नूरारंग की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी.

उस समय अपनी वीरता का परिचय देते हुए जसवंत सिंह ने अकेले ही 300 सैनिकों को मार गिराया था. इस दौरान वो 72 घंटों तक अकेले लड़े थे. आज भी उन्हें सेवारत माना जाता है और समय-समय पर उन्हें पदोन्नति भी मिलती रहती है. उनके नाम से अरुणाचल प्रदेश में एक मंदिर भी स्थापित किया गया है. जहां पर जसवंत सिंह की पूजा की जाती है.

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Intro:
पौड़ी में स्थित एशिया का दूसरे नंबर का सबसे ऊंचाई वाला स्टेडियम रांसी स्टेडियम अब राइफलमैन शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा। पौड़ी के बेरोखाल के बरयूं निवासी राइफलमैन जसवंत सिंह के नाम से पौड़ी का राशि स्टेडियम जाना जायेगा । दरअसलद लंबे समय से पूर्व सैनिक भगवान सिंह पंवार मांग कर रहे थे कि रांसी स्टेडियम का नाम शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाए जिसके बाद अब सरकार की ओर से घोषणा कर दी गई है उसका सारा जिम्मा भी खेल विभाग पौड़ी को दे दिया गया है। पूर्व सैनिक भगवान सिंह पवार ने पर्यटन मंत्री और मुख्यमंत्री से पत्राचार कर आग्रह किया गया था। खेल विभाग के कार्यालय अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि रांची स्टेडियम का नाम शहीद जसवंत सिंह स्टेडियम के नाम करने के लिए शासन की ओर से स्वीकृति मिल गई है अब शिलापट पर शहीद जसवंत सिंह की शौर्य गाथा लिखी जाएगी।


Body:पहाड़ के वीर योद्धा जसवंत सिंह जिन्हें राइफलमैन के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने साल 1962 में जब भारत और चीन का युद्ध हुआ था उस समय अपनी वीरता का परिचय देते हुए जसवंत सिंह ने अकेले ही 300 सैनिकों को मार गिराया था उन्होंने 72 घंटे तक अकेले ही सैनिकों से लड़ते हुए 300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। माना जाता है कि शहीद होने के बाद आज भी उन्हें सेवारत माना जाता है और समय-समय पर उन्हें पदोन्नति भी मिलती रहती है उनके नाम से अरुणाचल प्रदेश में एक मंदिर भी स्थापित किया गया है जहां पर जसवंत सिंह की पूजा की जाती है।


Conclusion:पूर्व सैनिक भगवान सिंह पंवार बताते है कि पहाड़ के वीर सपूत राइफलमैन शहीद जसवंत सिंह की वीर गाथा को रांसी स्टेडियम के शिलापठट पर लिखी जाएगी और रांसी स्टेडियम इन्हीं के नाम से जाना जाए उन्होंने पर्यटन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक इसके लिए पत्राचार किया और अब उन्हें प्रशंसा है कि उनकी मेहनत रंग लाई और पौड़ी का जो रांसी स्टेडियम है वह शहीद जसवंत सिंह के नाम से जाना जाएगा।
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