ETV Bharat / briefs

करोड़ों के घाटे पर वन विकास निगम, अब डिपो पर रहेगी 'तीसरी आंख' की नजर

न विकास निगम के अधीन आने वाले 32 खनन गेटों पर भी सालाना राजस्व का घाटा बढ़ता जा रहा है. भारी अनियमितताओं के चलते अब खनन गेटों से भी वन विकास निगम को सालाना करोड़ों का घाटा हो रहा है.

करोड़ों के घाटे पर वन विकास निगम
author img

By

Published : May 11, 2019, 12:04 AM IST

देहरादूनः उत्तराखंड वन विकास निगम बीते कुछ सालों से लगातार भारी अनिमितताओं के चलते करोड़ों रुपये के घाटे में चल रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह निगम के अंतर्गत आने वाले 35 टिंबर डिपो में भारी अनियमितताओं को माना जा रहा है. इतना ही नहीं वन निगम के अधीन आने वाले 32 खनन के गेटों पर भी राजस्व वसूली में भारी गड़बड़ी के चलते निगम मुनाफे की जगह घाटे में आ गया है. वहीं, अब वन विकास निगम अपने बेशकीमती लकड़ी के डिपो और खनन गेटों पर ऑनलाइन सीसीटीवी लगाने जा रही है. जिससे अनिमितताओं पर नजर रखी जा सके.

भारी अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटा वन विकास निगम.


बता दें कि उत्तराखंड वन विकास निगम के प्रदेश भर में 35 टिंबर के डिपो हैं. जहां वनों से काट कर लाई गई लकड़ियों को बेचा जाता है. इतना ही नहीं प्रदेशभर में वन निगम के 20 बहुमूल्य टिंबर डिपो भी हैं. जहां से देवदार, सागवान, शीशम, फर, कैल जैसी बेशकीमती लकड़ी को बेचकर सालाना औसतन 350 से 400 करोड़ का राजस्व निगम को प्राप्त होता है, लेकिन बीते कुछ सालों से वन विकास निगम को अपने इन बहुमूल्य डिपो से लगातार राजस्व का घाटा होना निगम के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक निगम को 50 करोड़ से अधिक का घाटा हो चुका है. निगम अलग-अलग टिंबर डिपो में चेकिंग अभियान के साथ वहां होने वाले अनियमितताओं को सही करने में जुटा है.


वन निगम को इन बहुमूल्य टिंबर डिपो से मिल रही सबसे ज्यादा अनियमितताओं की शिकायतें
लालकुआं, बीबीवाला, हरबर्टपुर, सेलाकुई, आमडंडा, कालाढूंगी, पनियाली, रायवाला टनकपुर और खटीमा.


उधर, वन निगम के खनन गेटों में भी भारी अनियमितताएं सामने आ रही है. वन विकास निगम के अधीन आने वाले 32 खनन गेटों पर भी सालाना राजस्व का घाटा बढ़ता जा रहा है. वन विकास निगम इन 32 खनन गेटों से सालाना 700 से 750 करोड़ राजस्व निगम को प्राप्त होता है, लेकिन भारी अनियमितताओं के चलते अब खनन गेटों से भी वन विकास निगम को सालाना करोड़ों का घाटा हो रहा है.

ये भी पढ़ेंः राम मंदिर पर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, कहा- मध्यस्थों को ज्यादा समय देने का कोई औचित्य नहीं

वहीं, मामले पर वन विकास निगम चेयरमैन सुरेश परिहर की मानें तो उनसे पहले रहे चेयरमैन और अन्य अधिकारियों की शय पर अनिमितताओं के चलते बंदरबांट और भ्रष्टाचार का खेल हुआ है. जिसके चलते टिंबर डिपो और खनन गेटों से भारी मुनाफे की जगह घाटे का मुंह देखना पड़ रहा है. चेयरमैन परिहर के मुताबिक अब वह सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के चलते निगम को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. निगम के चेयरमैन सुरेश परिहर ने बहुमूल्य टिंबर डिपो और खनन गेटों में गड़बड़ी करने वाले निगम कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है.


उधर, वन विकास निगम के प्रमुख वन संरक्षक मोनीष मलिक का कहना है कि अगले कुछ दिनों में निगम की बोर्ड बैठक में घाटे से उबरने के लिए उचित कदम उठाएगी. साथ ही कहा कि प्रदेश में मौजूद बहुमूल्य टिंबर डिपो और खनन गेटों पर ऑनलाइन सीसीटीवी लगाएगी. जिससे मॉनिटरिंग कर राजस्व को पहले की तरह मुनाफे में लाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाया जाएगा.

देहरादूनः उत्तराखंड वन विकास निगम बीते कुछ सालों से लगातार भारी अनिमितताओं के चलते करोड़ों रुपये के घाटे में चल रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह निगम के अंतर्गत आने वाले 35 टिंबर डिपो में भारी अनियमितताओं को माना जा रहा है. इतना ही नहीं वन निगम के अधीन आने वाले 32 खनन के गेटों पर भी राजस्व वसूली में भारी गड़बड़ी के चलते निगम मुनाफे की जगह घाटे में आ गया है. वहीं, अब वन विकास निगम अपने बेशकीमती लकड़ी के डिपो और खनन गेटों पर ऑनलाइन सीसीटीवी लगाने जा रही है. जिससे अनिमितताओं पर नजर रखी जा सके.

भारी अनियमितताओं पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटा वन विकास निगम.


बता दें कि उत्तराखंड वन विकास निगम के प्रदेश भर में 35 टिंबर के डिपो हैं. जहां वनों से काट कर लाई गई लकड़ियों को बेचा जाता है. इतना ही नहीं प्रदेशभर में वन निगम के 20 बहुमूल्य टिंबर डिपो भी हैं. जहां से देवदार, सागवान, शीशम, फर, कैल जैसी बेशकीमती लकड़ी को बेचकर सालाना औसतन 350 से 400 करोड़ का राजस्व निगम को प्राप्त होता है, लेकिन बीते कुछ सालों से वन विकास निगम को अपने इन बहुमूल्य डिपो से लगातार राजस्व का घाटा होना निगम के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक निगम को 50 करोड़ से अधिक का घाटा हो चुका है. निगम अलग-अलग टिंबर डिपो में चेकिंग अभियान के साथ वहां होने वाले अनियमितताओं को सही करने में जुटा है.


वन निगम को इन बहुमूल्य टिंबर डिपो से मिल रही सबसे ज्यादा अनियमितताओं की शिकायतें
लालकुआं, बीबीवाला, हरबर्टपुर, सेलाकुई, आमडंडा, कालाढूंगी, पनियाली, रायवाला टनकपुर और खटीमा.


उधर, वन निगम के खनन गेटों में भी भारी अनियमितताएं सामने आ रही है. वन विकास निगम के अधीन आने वाले 32 खनन गेटों पर भी सालाना राजस्व का घाटा बढ़ता जा रहा है. वन विकास निगम इन 32 खनन गेटों से सालाना 700 से 750 करोड़ राजस्व निगम को प्राप्त होता है, लेकिन भारी अनियमितताओं के चलते अब खनन गेटों से भी वन विकास निगम को सालाना करोड़ों का घाटा हो रहा है.

ये भी पढ़ेंः राम मंदिर पर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, कहा- मध्यस्थों को ज्यादा समय देने का कोई औचित्य नहीं

वहीं, मामले पर वन विकास निगम चेयरमैन सुरेश परिहर की मानें तो उनसे पहले रहे चेयरमैन और अन्य अधिकारियों की शय पर अनिमितताओं के चलते बंदरबांट और भ्रष्टाचार का खेल हुआ है. जिसके चलते टिंबर डिपो और खनन गेटों से भारी मुनाफे की जगह घाटे का मुंह देखना पड़ रहा है. चेयरमैन परिहर के मुताबिक अब वह सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के चलते निगम को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. निगम के चेयरमैन सुरेश परिहर ने बहुमूल्य टिंबर डिपो और खनन गेटों में गड़बड़ी करने वाले निगम कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है.


उधर, वन विकास निगम के प्रमुख वन संरक्षक मोनीष मलिक का कहना है कि अगले कुछ दिनों में निगम की बोर्ड बैठक में घाटे से उबरने के लिए उचित कदम उठाएगी. साथ ही कहा कि प्रदेश में मौजूद बहुमूल्य टिंबर डिपो और खनन गेटों पर ऑनलाइन सीसीटीवी लगाएगी. जिससे मॉनिटरिंग कर राजस्व को पहले की तरह मुनाफे में लाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाया जाएगा.

Intro:भारी मुनाफे में चलने वाला वन विकास निगम,नए वित्तीय वर्ष के कुछ दिनों में 50 करोड़ के घाटे पर

देहरादून- उत्तराखंड का सबसे अधिक कमाऊ वन विकास निगम पिछले कुछ वर्षों से लगातार भारी अनिमितताओं के चलते करोड़ों घाटा चल रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह निगम के अंतर्गत आने वाले 35 टिंबर डिपो में भारी अनिमितताओं को माना जा रहा हैं। इतना ही नहीं वन निगम के अधीन आने वाले 32 खनन के गेटों पर भी राजस्व वसूली में भारी गड़बड़ी के चलते निगम मुनाफ़े की जगह घाटे में आ गया हैं, ऐसे में अब वन विकास निगम अपने बेशकीमती लकड़ी के डिपो और खनन के गेटो पर ऑनलाइन सीसीटीवी के जरिए निगरानी कर अनिमितताओं में अंकुश लगा अपने सालाना घाटे से उभरने का प्रयास करेगा। मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक निगम को 50 करोड से अधिक का घाटा हो चुका है।





Body:35 टिंबर डिपो से सालाना 700 करोड़ का राजस्व

उत्तराखंड वन विकास निगम के प्रदेश भर में 35 टिंबर के डिपो है जहां वनों से काट कर लायी गयी लकड़ियों को बेचा जाता है। इतना ही नहीं प्रदेशभर में वन निगम के 20 ऐसे बहुमूल्य टिंबर डिपो है जहां सबसे ज्यादा डिमांड वाली लकड़ी जैसे- देवदार, सागवान, शीशम ,फर ,कैल जैसी बेशकीमती लकड़ी को बेचकर सालाना औसतन 350 से 400 करोड़ का राजस्व निगम को प्राप्त होता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वन विकास निगम को अपने इन बहुमूल्य डिपो में लगातार राजस्व का घाटा होना निगम के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है।

इन जगहों पर है 35 निगम के टिंबर डिपो:-

हरबर्टपुर,सेलाकुई, चंद्रबनी, बीवीवाला (ऋषिकेश) रायवाला, छिद्दरवाला, पनियाली (कोटद्वार) चिड़ियापुर (1) हरिद्वार चिड़ियापुर (2 ) (हरिद्वार) अंजनीचौड़ ( हरिद्वार ) आसिफनगर (मंगलोर हरिद्वार ) कालाढूंगी (1)कालाढूंगी (2)कालाढूंगी (3) आमडंडा ((नैनीताल)आमडंडा (2) आमडंडा (3) चांदनी (नैनीताल) चुनाखान(नैनीताल)
पतरामपुर लउधम सिंह नगर) हरियावाला ( उधम सिंह नगर)
हल्द्वानी (1) हल्द्वानी (2)लालकुआं (1) लालकुआं (2)लालकुआं (3) लालकुआं लालकुआं (5) लालकुआं (6) टनकपुर (1) (चंपावत)टनकपुर (2) टनकपुर( 3) खटीमा (उधम सिंह नगर) नौगांव ( 1) ( उधम सिंह नगर )नौगांव (2).


वन निगम को इन बहुमूल्य टिंबर डिपो से मिल रही सबसे ज्यादा अनियमितताओं की शिकायतें

लालकुआं ,बीबीवाला (ऋषिकेश) हरबर्टपुर,सेलाकुई (देहरादून)आमडंडा (रामनगर) कालाढूंगी (नैनीताल हल्द्वानी) पनियाली (कोटद्वार) रायवाला (देहरादून) टनकपुर, खटीमा.

वन निगम के खनन गेटों में भी भारी अनियमितताएं

उधर उत्तराखंड वन विकास निगम के अधीन आने वाले 32 खनन गेटो पर भी सालाना राजस्व का घाटा बढ़ता जा रहा है, वन विकास निगम इन 32 खनन गेटों से सालाना 700 से 750 करोड़ राजस्व निगम को प्राप्त होता है। लेकिन भारी अनियमितताओं के चलते अब खनन गेटों से भी वन विकास निगम को सालाना करोड़ों का घाटा हो रहा है।
इस मामले पर आचार संहिता के चलते कैमरे के आगे कुछ ना बोलते हुए वर्तमान में वन विकास निगम चेयरमैन सुरेश परिहर की माने तो उनसे पूर्व में रहे चेयरमैन और अन्य अधिकारियों की शय पर अनिमितताओं के चलते बंदरबांट भ्रष्टाचार का खेल शुरू हुआ,जिसके कारण टिंबर डिपो व खनन गेटों से भारी मुनाफ़े की जगह वन निगम को घाटे मुंह देखना पड़ रहा है। चेयरमैन परिहर के मुताबिक अब वह सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के चलते निगम को घाटे से उबारने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।


Conclusion:टिंबर डिपो व खनन गेटों में गड़बड़ी फैलाने वाले कर्मचारी हटाए गए

प्रदेश का एकमात्र मुनाफे वाला वन विकास निगम भी वर्तमान में घाटे की ओर जाना एक चिंता का विषय बनता जा रहा है ऐसे में निगम अलग अलग टिंबर डिपो में चेकिंग अभियान के साथ-साथ वहां होने होने वाले अनियमितताओं को सही करने में जुटा है। वर्तमान में नियुक्त हुए वन विकास निगम चेयरमैन सुरेश परिहर द्वारा बहुमूल्य टिंबर डिपो व खनन गेटों में गड़बड़ी फैलाने वाले निगम कर्मचारियों को हटाकर व्यवस्था सही ढर्रे पर लाने का दावा किया जा रहा है।

निगम को घाटे से मुनाफे की तरफ ले जाने के लिए उचित कार्रवाई जारी है:प्रमुख वन संरक्षक


उधर सालों से मुनाफे की जगह वर्तमान में वन निगम के भारी घाटे विषय में वन विकास निगम के प्रमुख वन संरक्षक मोनीष मलिक के मुताबिक अगले कुछ ही दिनों में निगम की बोर्ड बैठक में घाटे से उबरने के लिए उचित कदम उठाने के साथ थी प्रदेश में मौजूद बहुमूल्य टिंबर डिपो व खनन गेटो पर ऑनलाइन सीसीटीवी द्वारा मॉनिटरिंग कर राजस्व को पहले की तरफ मुनाफ़े में लाने के प्रभावशाली कदम उठाए जाने की तैयारी होगी।

PTC
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.