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...तो अनंत अंबानी को बदरी-केदार मंदिर समिति का सदस्य चुने जाने के पीछे ये है वजह - chardham yatra

गुरुवार को उत्तराखंड सरकार ने मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी को इसी मंदिर समिति का सदस्य चुना है.

अनंत अंबानी
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Published : Mar 8, 2019, 7:29 PM IST

देहरादून: बीते रोज उत्तराखंड सरकार ने दायित्व बांटकर लंबे समय से इंतजार कर रहे पार्टी के वफादार लोगों को तोहफा दिया है. लेकिन इस दायित्व के बारे में एक खास बात यह रही कि पार्टी से बाहर जाकर एक दायित्व दिया गया. जिसने सबको चौंका दिया है. दायित्वधारियों में भारत के बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी को बदरी-केदार मंदिर समिति का सदस्य चुना गया है. अनंत को क्यों बदरी-केदार मंदिर समिति का सदस्य बनाया गया है, इसकी वजह आज हम आपको बताते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा

पढ़ें-टिहरी शराब कांड पर आबकारी मंत्री की सफाई, कहा- ज्यादा सेवन की वजह से हुईं मौतें

उत्तराखंड अपनी चारधाम यात्रा के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इन्ही चार धामों में से दो बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर का अपना अलग महत्व है. यहां हर साल करोड़ों भक्त बदरी-केदार मंदिर के दर्शन करने आते हैं. इन दोनों मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी बदरी-केदार मंदिर समिति को है. गुरुवार को उत्तराखंड सरकार ने मुकेश अंबानीके बेटे अनंत अंबानी को इसी मंदिर समिति का सदस्य चुना है.

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा ने बताया कि मंदिर के संचालन और संसाधनों की पूर्ति के लिए श्रद्धालु हर साल यहां लाखों रुपए चंदा देते हैं. इसके अलावा भगवान बदरी और केदारनाथ के प्रति अंबानी परिवार की आस्था को देखते हुए अनंत को मंदिर समिति में लाया गया है. अंबानी परिवार के मंदिर समिति से जुड़ने से राज्य को लाभ मिलेगा.

1996 में जेपी ग्रुप के अध्यक्ष को बनाया गया था सदस्य
इस बारे में मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीडी सिंह ने बताया कि यह पहली बार नहीं है. जब राज्य के बाहर से किसी व्यक्ति या फिर किसी व्यवसायी को मंदिर समिति में चुना गया हो. इससे पहले 1996 में उत्तर प्रदेश सरकार के समय में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी मंदिर समिति के अध्यक्ष बने थे और उन्होंने जेपी ग्रुप के अध्यक्ष जयप्रकाश गौड को सदस्य चुना था. इसी तरह से समय-समय पर मंदिर में सहयोग करने वाले लोगों को मंदिर समिति में कुछ ना कुछ जिम्मेदारी दी जाती है, ताकि वह मंदिर से भावनात्मक रूप से भी जुड़े रहें.

अंबानी परिवार हर साल मंदिर में संसाधन और सुविधाएं जुटाने के लिए मदद करता है. जिससे इन्फ्राट्रक्चर का निर्माण किया जाता है. जिसमें अब तक धर्मशाला, जिओ रेस्टोरेंट इत्यादि बनाया गया है. इसके अलावा अंबानी परिवार के सहयोग से 3 विश्वविद्यालय में धार्मिक संस्कृतिक पुस्तकालयों का निर्माण किया गया है. इसके अलावा मंदिर में चंदन-केसर इत्यादि तमाम संसाधनों के लिए समय-समय पर अंबानी परिवार से सहयोग मिलता रहता है. जब कभी भी मंदिर समिति को लगता है कि सहयोग की जरूरत है वो अंबानी परिवार से सहयोग के लिए आग्रह करते हैं. अंबानी परिवार बिना रुकावट मंदिर समिति का सहयोग करते हैं.

देहरादून: बीते रोज उत्तराखंड सरकार ने दायित्व बांटकर लंबे समय से इंतजार कर रहे पार्टी के वफादार लोगों को तोहफा दिया है. लेकिन इस दायित्व के बारे में एक खास बात यह रही कि पार्टी से बाहर जाकर एक दायित्व दिया गया. जिसने सबको चौंका दिया है. दायित्वधारियों में भारत के बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी को बदरी-केदार मंदिर समिति का सदस्य चुना गया है. अनंत को क्यों बदरी-केदार मंदिर समिति का सदस्य बनाया गया है, इसकी वजह आज हम आपको बताते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा

पढ़ें-टिहरी शराब कांड पर आबकारी मंत्री की सफाई, कहा- ज्यादा सेवन की वजह से हुईं मौतें

उत्तराखंड अपनी चारधाम यात्रा के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इन्ही चार धामों में से दो बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर का अपना अलग महत्व है. यहां हर साल करोड़ों भक्त बदरी-केदार मंदिर के दर्शन करने आते हैं. इन दोनों मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी बदरी-केदार मंदिर समिति को है. गुरुवार को उत्तराखंड सरकार ने मुकेश अंबानीके बेटे अनंत अंबानी को इसी मंदिर समिति का सदस्य चुना है.

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा ने बताया कि मंदिर के संचालन और संसाधनों की पूर्ति के लिए श्रद्धालु हर साल यहां लाखों रुपए चंदा देते हैं. इसके अलावा भगवान बदरी और केदारनाथ के प्रति अंबानी परिवार की आस्था को देखते हुए अनंत को मंदिर समिति में लाया गया है. अंबानी परिवार के मंदिर समिति से जुड़ने से राज्य को लाभ मिलेगा.

1996 में जेपी ग्रुप के अध्यक्ष को बनाया गया था सदस्य
इस बारे में मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीडी सिंह ने बताया कि यह पहली बार नहीं है. जब राज्य के बाहर से किसी व्यक्ति या फिर किसी व्यवसायी को मंदिर समिति में चुना गया हो. इससे पहले 1996 में उत्तर प्रदेश सरकार के समय में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी मंदिर समिति के अध्यक्ष बने थे और उन्होंने जेपी ग्रुप के अध्यक्ष जयप्रकाश गौड को सदस्य चुना था. इसी तरह से समय-समय पर मंदिर में सहयोग करने वाले लोगों को मंदिर समिति में कुछ ना कुछ जिम्मेदारी दी जाती है, ताकि वह मंदिर से भावनात्मक रूप से भी जुड़े रहें.

अंबानी परिवार हर साल मंदिर में संसाधन और सुविधाएं जुटाने के लिए मदद करता है. जिससे इन्फ्राट्रक्चर का निर्माण किया जाता है. जिसमें अब तक धर्मशाला, जिओ रेस्टोरेंट इत्यादि बनाया गया है. इसके अलावा अंबानी परिवार के सहयोग से 3 विश्वविद्यालय में धार्मिक संस्कृतिक पुस्तकालयों का निर्माण किया गया है. इसके अलावा मंदिर में चंदन-केसर इत्यादि तमाम संसाधनों के लिए समय-समय पर अंबानी परिवार से सहयोग मिलता रहता है. जब कभी भी मंदिर समिति को लगता है कि सहयोग की जरूरत है वो अंबानी परिवार से सहयोग के लिए आग्रह करते हैं. अंबानी परिवार बिना रुकावट मंदिर समिति का सहयोग करते हैं.

Intro:एंकर- बीते रोज उत्तराखंड सरकार ने दायित्व बांटकर लंबे समय से इंतजार कर रहे पार्टी के वफादार लोगों को राहत दी है। लेकिन इस दायित्व के बारे में एक खास बात यह रही कि पार्टी से इतर जाकर एक दायित्व दिया गया। कल आवंटित हुए दायित्वों में सुप्रसिद्ध अनिल अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी को उत्तराखंड में मौजूद धार्मिक केंद्र बद्री केदार समिति का सदस्य चुना गया लेकिन इस चुनाव के पीछे का मकसद क्या है और इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है आइए आपको बताते हैं।


Body:पूरे भारत वर्ष का धार्मिक केंद्र बिंदु उत्तराखंड के चार धाम में मौजूद है। इन्ही चार धामों में बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर का अपनी एक अलग महत्व है। हर साल उत्तराखंड में स्थित चार धाम के दर्शन करने के लिए लाखों हिंदू तीर्थयात्री उत्तराखंड आते हैं । वहीं उत्तराखंड केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के संचालन के लिए सरकार द्वारा चुनी गई समिति में इस बार अंबानी परिवार के एक सदस्य को सदस्य चुना गया है। गुरुवार को उत्तराखंड सरकार द्वारा बांटे गए 51 दायित्व में से बद्री केदार मंदिर समिति के सदस्य के रूप में सुप्रसिद्ध व्यवसायी अनिल अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी को मंदिर समिति का सदस्य चुना गया।

उत्तराखंड के जानकार बताते हैं कि आदि अनादि काल से मंदिर के संचालन और संसाधनों की पूर्ति के लिए हर साल सदियों से मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहयोग किया जाता है। इस कड़ी में पिछले कई सालों से अंबानी परिवार का बद्री-केदार में खासा सहयोग देखने को मिला है और यही वजह है कि बद्री-केदार मंदिर समिति में अम्बानी परिवार से अनंत अम्बानी को सदस्य चुना गया है। जानकारों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय के बाद मंदिर से संसाधनों में अम्बानी परिवार का सहयोग बना रहेगा....
बाइट- भगीरथ शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

अम्बानी परिवार का बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर के प्रति सहयोग और समर्पण के बारे में जब हमने मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि यह पहली दफा नहीं है जब राज्य के बाहर से किसी व्यक्ति या फिर किसी व्यवसायी को मंदिर समिति में चुना गया हो। बद्री-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने मिशाल के तौर पर बताया की इससे पहले 1996 में उत्तर प्रदेश सरकार के समय में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी मंदिर समिति के अध्यक्ष बने थे और उन्होंने जेपी ग्रुप के अध्यक्ष जयप्रकाश गौड को सदस्य चुना था और इसी तरह से समय-समय पर मंदिर में सहयोग करने वाले लोगों को मंदिर समिति में कुछ ना कुछ जिम्मेदारी दी जाती है ताकि वह मंदिर से भावनात्मक रूप से भी जुड़े रहे।
अंबानी परिवार के बद्री केदार मंदिर में सहयोग को लेकर मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह ने बताया कि अंबानी परिवार द्वारा हर साल मंदिर में संसाधन और सुविधाएं जुटाने के लिए मदद की जाती है। जिससे इन्फ्राट्रक्चर का निर्माण किया जाता है। जिसमें अब तक धर्मशाला, जिओ रेस्टोरेंट इत्यादि बनाया गया है। इसके अलावा अम्बानी परिवार के सहयोग से 3 विश्वविद्यालयों में धार्मिक संस्कृतिक पुस्तकालयों का निर्माण पुत्र अंनत अम्बानी के नाम से अनंत पुस्तकालय का निर्माण किया गया है। इसके अलावा मंदिर में चंदन-केसर इत्यादि तमाम संसाधनों के लिए समय-समय पर अंबानी परिवार से सहयोग मिलता रहता है। और जब कभी भी मंदिर समिति को लगता है कि सहयोग की जरूरत है तो अंबानी परिवार से सहयोग के लिए आग्रह किया जाता है जिसके बाद अंबानी परिवार द्वारा बिना रुकावट बद्री केदार मंदिर समिति के माध्यम से सहयोग किया जाता है।


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