हैदराबाद : भारत को पहली महिला मुख्य न्यायाधीश मिलने की संभावना बढ़ गई है. सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट की महिला जज बीवी नागरत्ना का नाम अनुशंसित किया है.
जस्टिस बीवी नागरत्ना कर्नाटक हाईकोर्ट में जज हैं. हाईकोर्ट के जजों की वरिष्ठता के मामले में वह 33वें स्थान पर हैं.
उन्होंने 1987 में अपने करियर की शुरुआत की थी. 23 सालों तक वकालत करने के बाद वह जज बनीं. उन्हें हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. 17 फरवरी 2010 को वह स्थायी जज बन गईं.
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने उनके नाम की संस्तुति की है. अगर भारत सरकार उनके नाम पर मुहर लगा देती है, तो नागरत्ना भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनेंगी. फरवरी 2027 से अक्टूबर 2027 तक वह पद संभाल सकती हैं.
आपको बता दें कि जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं.
एक बार जस्टिस नागरत्ना को दो अन्य जजों के साथ एक कमरे में बंद कर दिया गया था. उनके खिलाफ कुछ वकीलों ने विरोध किया था. घटना 2009 की है. कर्नाटक के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरन उनके साथ थे. नागरत्ना ने कहा था कि वह किसी के दबाव में नहीं आने वाली हैं. वकील अगर कोई दबाव बनाना चाहते हैं, तो यह संभव नहीं है.
हालांकि, इस घटना के बाद नागरत्ना ने कहा था कि उनके मन में वकीलों के प्रति कोई नाराजगी नहीं है. लेकिन इस घटना से वह दुखी जरूर हैं.
महत्वपूर्ण फैसले
2012 में उन्होंने ब्रॉडकास्ट मीडिया को लेकर केंद्र सरकार को बड़ा निर्देश दिया था.
2019 में उन्होंने अपने एक फैसले में कहा था कि मंदिर कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं है, इसलिए उसके कर्चमारी ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं.
2020 में एक फैसले के दौरान उन्होंने कहा था कि माता-पिता भी अपने बच्चों को यह नहीं सिखाते हैं कि उन्हें एक सशक्त महिला के साथ किस तरह से पेश आना चाहिए, कैसा बर्ताव रखना चाहिए. महिला सशक्तिकरण की बात सिर्फ बोलने से नहीं आती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने तीन महिला न्यायाधीशों के नाम भेजे हैं, जिसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना शामिल हैं. पांच सदस्यीय कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव भी हिस्सा हैं.