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अमेरिका ने भारत को 'फाइव-आइज' स्पाई रिंग में शामिल करने का ड्राफ्ट तैयार किया

स्पष्ट रूप से चीन और रूस को प्रमुख खतरों के रूप में उल्लेख करते हुए, अमेरिका ने एक विधेयक का मसौदा तैयार किया है, जो इस बात की जांच करने का प्रयास कर रहा है कि क्या भारत और तीन अन्य देशों को 'फाइव आइज' जासूसी नेटवर्क में शामिल किया जा सकता है . पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

फाइव-आइज
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Published : Sep 5, 2021, 5:15 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिका और उसके चार प्रमुख अंग्रेजी बोलने वाले सहयोगियों के साथ भारत को पूरी तरह से संरेखित करने वाले एक ऐतिहासिक कदम में, यूएस की इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस की उपसमिति (Subcommittee on Intelligence and Special Operations) ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण विधेयक (National Defense Authorization bill) का मसौदा तैयार किया है. जिसमें उसने सुझाव दिया है कि क्या भारत और तीन अन्य देशों- जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया को 'फाइव आइज' (Five Eyes) इंटेलिजेंस शेयरिंग नेटवर्क ( intelligence sharing network) में शामिल किया जा सकता है.

तदनुसार, समिति ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (Director of National Intelligence) को रक्षा सचिव के साथ समन्वय में सशस्त्र सेवाओं की हाउस कमेटी (House Committee on Armed Services), सशस्त्र सेवाओं की सीनेट समिति और कांग्रेस की खुफिया समितियों को एक रिपोर्ट प्रदान करने का निर्देश दिया है.

फाइव आइज को 1941 में स्थापित किया गया था. यह पांच सरकारों का एक विशिष्ट, बहुत व्यापक और गुप्त क्लब है -यह ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और यूएस- के राजनयिक द्वारा उपयोग किया जाता है. इसका कार्य अन्य देशों के खुफिया सूचना, सुरक्षा, सैन्य और आर्थिक लाभ में सहयोग करना है.

मसौदा बिल में कहा गया है कि किस तरह इनमें से प्रत्येक देश कोई प्रौद्योगिकी और तकनीकी सीमाओं को दूर करने के लिए आवश्यक कार्रवाई, पहचान खुफिया साझाकरण व्यवस्था के विस्तार से जुड़े जोखिमों और प्रत्येक देश को एक करीबी साझा ढांचे में सुरक्षित रूप से शामिल किया जा सकता है.

मसौदा बिल के मुताबिक समिति स्वीकार करती है कि फाइव आइज व्यवस्था (Five Eyes arrangement) की स्थापना के बाद से खतरे का परिदृश्य काफी बदल गया है, प्राथमिक खतरे अब चीन और रूस ( China and Russia) से उत्पन्न हो रहे हैं.

समिति का मानना ​​है कि ग्रेट पावर काम्पिटिशन (great power competition) का सामना करने के लिए फाइव आइज देशों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, साथ ही अन्य समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के लिए विश्वास के चक्र का विस्तार करना चाहिए.

पिछले साल से क्रूर भारत-चीन सीमा झड़पों (brutal India-China border skirmishes) की पृष्ठभूमि में, जिसके कारण पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh) में भारी सैन्य निर्माण हुआ है और इसके चलते अमेरिका भारत को अपने शिविर में ले जाने की इच्छा रखता है, ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या भारत को फाइव आइज में प्रवेश मिल सकता है.

इस मामले पर पहले से ही कुछ डेवलपमेंट हो चुके हैं. 11 अक्टूबर 2020 को भारत 'फाइव आइज' और जापान के साथ एक बैठक में शामिल हुआ था और साथ में एक संयुक्त बयान जारी कर विशाल प्रौद्योगिकी कंपनियों को समाधान प्रदान करने के लिए कहा, ताकि व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर सहित एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड संचार हो सके.

भारतीय और जापानी हस्ताक्षरकर्ताओं का नाम नहीं लेते हुए संयुक्त बयान में अन्य लोगों का नाम लिया गया, जिनमें ब्रिटेन के गृह राज्य सचिव (UK secretary of state for home) प्रीति पटेल (Priti Patel), तत्कालीन अमेरिकी अटॉर्नी-जनरल विलियम पी. बर्र (William P. Barr, ), ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री (Australian home minister) पीटर डटन (Peter Dutton), एंड्रयू लिटिल, न्यूजीलैंड के सुरक्षा और खुफिया मंत्री और कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री बिल ब्लेयर शामिल थे.

पढ़ें - 'फाइव आइज' ने हांगकांग को लेकर चीन की नीति पर जताई चिंता

बैठक से कुछ दिन पहले यूके के रक्षा सचिव (UK defence secretary) बेन वालेस (Ben Wallace) ने कहा था कि ब्रिटेन चीन को संदेश भेजने के लिए और अधिक देशों की भर्ती करके 'फाइव आइज' को मजबूत करना चाहता है.

वालेस ने कहा था, 'चीन को संदेश भेजने के लिए एक-दूसरे के साथ खड़े होने के बारे में आपसी मदद और आपसी संकेत वास्तव में महत्वपूर्ण है.'

इससे पहले दिसंबर 2019 में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य एडम शिफ (Adam Schiff), जो इंटेलिजेंस पर परमानेंट हाउस सेलेक्ट कमेटी की अध्यक्षता (Committee on Intelligence) करते हैं. उन्होंने एक रिपोर्ट में भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को शामिल करके 'फाइव आइज' का विस्तार करने की मांग की थी ताकि तेजी से शक्तिशाली चीन का मुकाबला किया जा सके, जबकि 'फाइव आइज' के विस्तार का विचार कुछ समय से चलन में है.

नई दिल्ली : अमेरिका और उसके चार प्रमुख अंग्रेजी बोलने वाले सहयोगियों के साथ भारत को पूरी तरह से संरेखित करने वाले एक ऐतिहासिक कदम में, यूएस की इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस की उपसमिति (Subcommittee on Intelligence and Special Operations) ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण विधेयक (National Defense Authorization bill) का मसौदा तैयार किया है. जिसमें उसने सुझाव दिया है कि क्या भारत और तीन अन्य देशों- जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया को 'फाइव आइज' (Five Eyes) इंटेलिजेंस शेयरिंग नेटवर्क ( intelligence sharing network) में शामिल किया जा सकता है.

तदनुसार, समिति ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (Director of National Intelligence) को रक्षा सचिव के साथ समन्वय में सशस्त्र सेवाओं की हाउस कमेटी (House Committee on Armed Services), सशस्त्र सेवाओं की सीनेट समिति और कांग्रेस की खुफिया समितियों को एक रिपोर्ट प्रदान करने का निर्देश दिया है.

फाइव आइज को 1941 में स्थापित किया गया था. यह पांच सरकारों का एक विशिष्ट, बहुत व्यापक और गुप्त क्लब है -यह ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और यूएस- के राजनयिक द्वारा उपयोग किया जाता है. इसका कार्य अन्य देशों के खुफिया सूचना, सुरक्षा, सैन्य और आर्थिक लाभ में सहयोग करना है.

मसौदा बिल में कहा गया है कि किस तरह इनमें से प्रत्येक देश कोई प्रौद्योगिकी और तकनीकी सीमाओं को दूर करने के लिए आवश्यक कार्रवाई, पहचान खुफिया साझाकरण व्यवस्था के विस्तार से जुड़े जोखिमों और प्रत्येक देश को एक करीबी साझा ढांचे में सुरक्षित रूप से शामिल किया जा सकता है.

मसौदा बिल के मुताबिक समिति स्वीकार करती है कि फाइव आइज व्यवस्था (Five Eyes arrangement) की स्थापना के बाद से खतरे का परिदृश्य काफी बदल गया है, प्राथमिक खतरे अब चीन और रूस ( China and Russia) से उत्पन्न हो रहे हैं.

समिति का मानना ​​है कि ग्रेट पावर काम्पिटिशन (great power competition) का सामना करने के लिए फाइव आइज देशों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, साथ ही अन्य समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के लिए विश्वास के चक्र का विस्तार करना चाहिए.

पिछले साल से क्रूर भारत-चीन सीमा झड़पों (brutal India-China border skirmishes) की पृष्ठभूमि में, जिसके कारण पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh) में भारी सैन्य निर्माण हुआ है और इसके चलते अमेरिका भारत को अपने शिविर में ले जाने की इच्छा रखता है, ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या भारत को फाइव आइज में प्रवेश मिल सकता है.

इस मामले पर पहले से ही कुछ डेवलपमेंट हो चुके हैं. 11 अक्टूबर 2020 को भारत 'फाइव आइज' और जापान के साथ एक बैठक में शामिल हुआ था और साथ में एक संयुक्त बयान जारी कर विशाल प्रौद्योगिकी कंपनियों को समाधान प्रदान करने के लिए कहा, ताकि व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर सहित एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड संचार हो सके.

भारतीय और जापानी हस्ताक्षरकर्ताओं का नाम नहीं लेते हुए संयुक्त बयान में अन्य लोगों का नाम लिया गया, जिनमें ब्रिटेन के गृह राज्य सचिव (UK secretary of state for home) प्रीति पटेल (Priti Patel), तत्कालीन अमेरिकी अटॉर्नी-जनरल विलियम पी. बर्र (William P. Barr, ), ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री (Australian home minister) पीटर डटन (Peter Dutton), एंड्रयू लिटिल, न्यूजीलैंड के सुरक्षा और खुफिया मंत्री और कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री बिल ब्लेयर शामिल थे.

पढ़ें - 'फाइव आइज' ने हांगकांग को लेकर चीन की नीति पर जताई चिंता

बैठक से कुछ दिन पहले यूके के रक्षा सचिव (UK defence secretary) बेन वालेस (Ben Wallace) ने कहा था कि ब्रिटेन चीन को संदेश भेजने के लिए और अधिक देशों की भर्ती करके 'फाइव आइज' को मजबूत करना चाहता है.

वालेस ने कहा था, 'चीन को संदेश भेजने के लिए एक-दूसरे के साथ खड़े होने के बारे में आपसी मदद और आपसी संकेत वास्तव में महत्वपूर्ण है.'

इससे पहले दिसंबर 2019 में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य एडम शिफ (Adam Schiff), जो इंटेलिजेंस पर परमानेंट हाउस सेलेक्ट कमेटी की अध्यक्षता (Committee on Intelligence) करते हैं. उन्होंने एक रिपोर्ट में भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को शामिल करके 'फाइव आइज' का विस्तार करने की मांग की थी ताकि तेजी से शक्तिशाली चीन का मुकाबला किया जा सके, जबकि 'फाइव आइज' के विस्तार का विचार कुछ समय से चलन में है.

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