नई दिल्ली/ देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक कांड (UKSSSC Recruitment Examination Scam) ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा कराई गई परीक्षाओं में गड़बड़ियों का भांड़ाफोड़ (Uttarakhand Government Jobs Scam) दिया है. पहली शिकायत मिलने के बाद से कई मामले सामने आ गए, जिससे उत्तराखंड की राजनीति में तहलका मचा हुआ है और इस मामले में एक के बाद एक कई लोगों पर गाज गिर चुकी है और मामले में 3 दर्जन से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. यह मामला उत्तराखंड राज्य के सबसे बड़े घोटालों में शामिल हो चुका है. इस कांड के हर एक पहलू पर आपको विस्तृत जानकारी देने की पहल की जा रही है. यहां आप समझ सकते हैं कि यह पूरा मामला क्या था और अब तक क्या कार्रवाई हुई हैं. वहीं इस मामले में चल रही जांच की दिशा और दशा क्या है...
क्या है UKSSSC पेपर लीक कांड
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्रैजुएट लेवल के 916 पदों के विज्ञापन निकालकर 4 और 5 दिसंबर 2021 को परीक्षा करायी, ताकि इन पदों पर चयनित उम्मीदवारों की भर्ती की जा सके. इस पूरे मामले में UKSSSC ने 4 व 5 दिसंबर 2021 को स्नातक स्तर की परीक्षा तीन पालियों में आयोजित की थी, जिसमें करीब 1,90,000 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी एवं 916 अभ्यर्थी चयनित हुये थे, लेकिन इस परीक्षा में नकल व पेपर लीक होने की शिकायतें वायरल होने लगीं तो मामला मीडिया व राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बनने लगा.
ऐसे खुला मामला
जब परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायतें पता चलने लगीं तो बेरोजगार संगठनों एवं कई छात्रों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच हेतु माँग की. जब शिकायतकर्ता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास पहुंचे और उन्होंने कुछ व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट और कुछ तथ्य के मुख्यमंत्री के सामने रखे तो मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से इस मामले पर कार्यवाही के निर्देश दिए. इसके बाद 22 जुलाई 2022 को रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया और बाद में पुलिस ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंप.
इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में की गयी गड़बड़ियों की जांच के लिए देहरादून के रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें निम्नांकित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है...
- आईपीसी 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (सभी विभिन्न प्रकार के फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने से संबंधित), 34 (एकराय होकर अपराध करना)
- उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम -1988
ऐसी हुयी थीं गड़बड़ियां
- आयोग के स्तर से भर्ती परीक्षाओं के काम जिस तरह से करवाए गए हैं, उस पर आयोग लगातार कटघरे में है. कहा जा रहा है कि यहां पर एक ही कंपनी को बार-बार पेपर छपवाने का ठेका दिया गया, आयोग की हाई सिक्योरिटी जोन वाली प्रिंटिंग प्रेस से पेपर चोरी हो गए, कंपनी के साथ अनुबंध संबंधी मामलों में स्थिति स्पष्ट नहीं थी. जिससे लगता है कि इस मामले में आयोग के जिम्मेदार अफसरों ने जमकर नियमों की अनदेखी करते रहे और ऐसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते रहे.
- गिरफ्तार जगदीश गोस्वामी से मिली जानकारी पर एसटीएफ ने बताया कि जगदीश गोस्वामी राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मलसूना, कांडा जिला बागेश्वर में नियुक्त है. इसके द्वारा अपने इलाके और आसपास के छात्रों को इकठ्ठा कर परीक्षा के पहले रात को वाहन से धामपुर ले जाकर प्रश्न पत्र एवं उत्तर याद कराये थे और फिर वापस परीक्षा केंद्रों पर छोड़ दिया था.
- कहा जा रहा है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के टॉयलेट पेपर पर लिखे हुए 63 सवालों के जवाब परीक्षा से छह घंटे पहले ही वायरल हो गए थे. व्हाट्सएप का ऐसा ही स्क्रीनशॉट आयोग के पास पहुंचा था, जिसका मिलान करने पर अधिकारियों के होश उड़ गए थे. उन्होंने तत्काल यह स्क्रीनशॉट पुलिस को उपलब्ध कराया था, जिसकी जांच चल रही है.
- इसके साथ साथ पुरानी परीक्षाओं के रिजल्ट से कुछ उम्मीदवारों के अंकों के ट्रेंड का मिलान किया गया तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. आयोग ने पेपर लीक के 82 संदिग्ध उम्मीदवारों को चिह्नित करने के बाद उनकी जानकारी पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराई थीं. एक टॉयलेट पेपर के तीन फोटो मिले थे. इन पर क्रम में सवालों के नंबर और उनके जवाब लिखे थे. जब पेपर और उनके उत्तरों से मिलान किया तो पता चला कि सभी 63 सवालों के जवाब बिल्कुल ठीक थे.
करोड़ों का हो सकता है खेल
जांच में अभीतक जो सामने आया है, उसके हिसाब से मनोज जोशी और तुषार चौहान ने दोनों अभ्यर्थियों को ये पेपर 15-15 लाख रुपए में बेचा था. एडवांस के तौर पर दोनों से 6 लाख रुपए लिए थे. बाकी के 24 लाख रुपए रिजल्ट आने के बाद लिए गए थे. इस UKSSSC परीक्षा भर्ती मामले में जांच पड़ताल के दौरान 94.79 लाख कैश बरामद हो चुका है. वहीं 30 लाख रुपए बैंक खातों में फ़्रीज़ करवा दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि जैसे जैसे जांच बढ़ेगी वैसे वैसे और भी इसका दायरा बढ़ता जाएगा. एसटीएफ की पड़ताल में अब तक 150 से अधिक अभ्यर्थियों के नाम सामने आ चुके हैं. जबकि, स्क्रीनिंग में केवल 100 अभ्यर्थियों को ही संदिग्ध माना गया था. एसटीएफ का अनुमान है कि इनकी संख्या 250 तक भी पहुंच सकती है. ऐसे में यदि पेपर बिक्री के इस धंधे का आकलन किया जाए तो तकरीबन 30 करोड़ रुपये इधर से उधर हुए हैं.
और भी मामले आए सामने
जांच शुरु हुयी तो कई और परीक्षाओं में भी धांधलेबाजी की शिकायतें आयीं, जिसमें सचिवालय रक्षक भर्ती, कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियरी) परीक्षा, 2020 में उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा वन आरक्षी (फॉरेस्ट गार्ड) परीक्षा शामिल हैं. अब इन सारे मामलों में एसटीएफ के द्वारा जांच की जा रही है. स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के विवादों से घिरे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कई भर्तियां विजिलेंस कार्रवाई की जद में आ गई है. इसके पहले भी 2016 में हुई इस परीक्षा को रद्द किया गया था. इस मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है. मामले में आयोग के ही तत्कालीन कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी. कहा जा रहा है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VDO VPDO Recruitment Exams 2021) के 196 पदों पर भर्ती की परीक्षा कराई थी, इसका परिणाम उसी साल 26 मार्च को जारी किया था. इस भर्ती परीक्षा में आरोप लगे थे कि ओएमआर शीट को दो सप्ताह तक किसी गुप्त स्थान पर रखकर उससे छेड़छाड़ की गई थी. इसके बाद रिजल्ट जारी हुआ था. इस भर्ती में दो सगे भाईयों के टॉपर बनने के साथ ही ऊधमसिंह नगर के एक गांव के 20 से ज्यादा युवाओं के चयन का आरोप लगा था. तब इस मामले में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने उच्च स्तरीय जांच बैठाई थी. विवादों के बीच ही तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. बाद में 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने इस भर्ती को रद्द करते हुए इसकी जांच बैठाई थी. जांच के आधार पर विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया है. इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर 2018 में दोबारा परीक्षा करवाने का आदेश दिया तो आयोग ने 25 फरवरी 2018 को दूसरी बार परीक्षा कराई, जिसमें पूर्व परीक्षा में चयनित हुए 196 उम्मीदवारों में से केवल 8 का चयन हो सका था.
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गिरोह के मास्टर माइंड व सरगना
16 सितंबर को यूकेएसएसएससी पेपर लीक कराने वाले गिरोह के मास्टर माइंड व सरगना सैयद सादिक मूसा व उसके करीबी सहयोगी योगेश्वर राव को आखिरकार यूपी पुलिस के सहयोग से लखनऊ दबोच लिया था. मूसा पर उत्तराखंड पुलिस ने दो लाख और योगेश्वर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. मूसा मूलरूप से अंबेडकरनगर के अब्दुलपुर सहजादपुर का रहने वाला है. वहीं योगेश्वर राव उर्फ राजू गाजीपुर के सहाबुद्दीनपुर भड़सर का निवासी बताया गया था.
हाकम सिंह और भाजपा
कहा जाता है कि अस बीजेपी सरकार पर सवाल खड़े हुए जब उनका पूर्व प्रधान और बीजेपी कार्यकर्ता हाकम सिंह इस पूरे मामले में गिरफ्तार हुआ. हाकम सिंह को लेकर सबसे ज्यादा बीजेपी के ऊपर सवाल खड़े हुए, क्योंकि वह एक अधिकारी का कभी ड्राइवर और बावर्ची हुआ करता था. लेकिन देखते ही देखते वह तमाम बीजेपी के बड़े नेताओं की आंखों का तारा बन गया और इस मामले में तीसरी गिरफ्तारी हाकम सिंह की ही हुई थी. बीजेपी उससे किनारा कर रही थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुलकर यह कहा कि वह हमारा कार्यकर्ता है और अगर कार्यकर्ता कोई गलत काम करता है तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा. हाकम सिंह के पास अकूत संपत्ति जायदाद और आलीशान रिजॉर्ट भी है. इतना ही नहीं उसने कुछ संपत्ति विदेशों में भी बना रखी है. फिलहाल उसकी भी जांच चल रही है. उसकी तस्वीरें बीजेपी के तमाम मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों के साथ-साथ उत्तराखंड के बड़े अधिकारियों के साथ भी वायरल हुई हैं, जिससे भाजपा नेता चाहकर भी पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं.
ऐसे हो रही है धड़ाधड़ कार्रवाई
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में 22 जुलाई को मुकदमा दर्ज हुआ और 24 जुलाई से गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया. 53 दिनों में एसटीएफ इस अकेले मामले में 41 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनसे पूछताछ में पता चला है कि किस तरह से यह पेपर लीक की चेन लखनऊ से शुरू हुई और धामपुर होते हुए उत्तरकाशी तक जा पहुंची. उत्तराखंड एसटीएफ के टारगेट पर अब वो अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने घपला करके परीक्षा दी है. ऐसे करीब 50 अभ्यर्थियों की उत्तराखंड एसटीएफ पहचान कर चुकी है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा.
22 जुलाई 2022 - जांच शुरू करने के 2 दिन बाद ही 6 आरोपी गिरफ्तार किया गया. पहले लगा कि इनमें से ही किसी ने पेपर लीक किया और अपने-अपने संपर्कों में बांटा. पूछताछ और जांच के बाद देहरादून के दो उपनल कर्मचारी नेताओं का नाम सामने आया. आरोपियों से पता चला कि उन्होंने सेलाकुई में रहते हुए वहां के कुछ अभ्यर्थियों को नकल कराई.
24 जुलाई 2022- एसटीएफ ने तीन टीमों का गठन किया. एक गढ़वाल, दूसरी हरिद्वार क्षेत्र और तीसरी टीम उधम सिंह नगर में जांच करने लगी. प्रिंटिंग प्रेस का अभिषेक वर्मा पकड़ में आया. पता चला कि उसने पेपर सेट से एक पेपर निकालकर टेलीग्राम से अपने साथी मनोज जोशी को भेजा था. इस बीच गढ़वाल में जांच कर रही टीम को कुछ अभ्यर्थियों से पता चला कि उनका संपर्क हाकम सिंह से था. हाकम सिंह से पूछताछ हुई तो फिर अलग-अलग दिशाओं में जांच के लिए आठ टीमों को लगाया गया. एक नई टीम को उत्तर प्रदेश में नकल माफिया के पीछे लगाया गया.
- 30 जुलाई 2022- रामनगर रिजॉर्ट पहुंची STF
- 31 जुलाई 2022- कुमाऊं एसपी के गनर सहित दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार
- 1 अगस्त 2022- नैनीताल CJM कोर्ट का कर्मचारी गिरफ्तार
- 2 अगस्त 2022- रामनगर एसीजेएम कोर्ट का सहायक कनिष्ठ गिरफ्तार
- 5 अगस्त 2022- UKSSSC चेयरमैन एस राजू का इस्तीफा, किए गए बड़े खुलासे
- 6 अगस्त 2022- मामले में मिले कुछ अहम सुराग
- 7 अगस्त 2022- अभिषेक वर्मा की रिमांड
- 9 अगस्त 2022- एग्जाम कंट्रोलर से घंटों पूछताछ
- 10 अगस्त 2022- सचिवालय तक पहुंची जांच की आंच
- 11 अगस्त 2022- गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई, डीजीपी ने कहा
- 12 अगस्त 2022- उत्तराखंड सचिवालय से दूसरी गिरफ्तारी
- 13 अगस्त 2022- सचिव संतोष बडोनी पद से हटाए गए, राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज नेटवाड़ में फिजिकल टीचर गिरफ्तार
- 14 अगस्त 2022- हाकम सिंह गिरफ्तार
- 15 अगस्त 2022- STF टीम को अवॉर्ड, हाकम सिंह BJP से 6 साल के लिए निष्कासित
- 16 अगस्त 2022- शिकायतकर्ता को मिलने लगी जान से मारने की धमकी
- 18 अगस्त 2022- मामले में ED की एंट्री, उत्तरकाशी से 19वीं गिरफ्तारी
- 19 अगस्त 2022- त्रिवेंद्र सिंह ने माना- हाकम सिंह बीजेपी नेता
- 19 अगस्त 2022- 3 और भर्ती घोटालों की जांच STF को, सचिवालय रक्षक एवं कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियरी) 2021 व 2020 उत्तराखंड फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा
- 20 अगस्त 2022- UKSSSC Paper Leak Case में 21वीं गिरफ्तारी
- 21 अगस्त 2022- UKSSSC Paper Leak Case में 22वीं गिरफ्तारी
- 23 अगस्त 2022- हाकम सिंह रावत के बिजनौर निवासी साथी केंद्रपाल ने उत्तराखंड एसटीएफ के डर से UP में सरेंडर किया
- 25 अगस्त 2022- हाकम सिंह ने उगले कई राज, पंतनगर विवि का रिटायर AEO अरेस्ट
- 26 अगस्त 2022- नया खुलासा सचिवालय गार्ड भर्ती का पेपर भी हुआ था लीक
- 27 अगस्त 2022- लखनऊ RMS कंपनी का मालिक राजेश चौहान गिरफ्तार
- 29 अगस्त 2022- UKSSSC Paper Leak Case में 28वीं गिरफ्तारी
- 30 अगस्त 2022- लोहाघाट से शिक्षक गिरफ्तार
- 31 अगस्त 2022- फिरोज हैदर को गोवा से किया अरेस्ट
- 1 सितंबर 2022- मामले में पुलिस का जवान अरेस्ट- 31वीं गिरफ्तारी
- 2 सितंबर 2022- सचिव संतोष बडोनी को किया सस्पेंड, टिहरी पॉलिटेक्निकल का कर्मचारी राजवीर गिरफ्तार, RMS कंपनी जल्द होगी ब्लैक लिस्ट
- 3 सितंबर 2022- UKSSSC Paper Leak Case में 33वीं गिरफ्तारी, सैय्यद सादिक मूसा निकला UKSSSC पेपर लीक गिरोह का सरगना
- 4 सितंबर 2022- प्रियंका गांधी ने मामले में दिया बयान, सरगना सैय्यद का गुर्गा राव भी हुआ अरेस्ट
- 5 सितंबर 2022- HC ने MLA भुवन कापड़ी से पूछा STF जांच पर क्यों है शक
- 6 सितंबर 2022- व्यापम घोटाले में ब्लैकलिस्टेड कंपनी से कराई वन दारोगा परीक्षा
- 7 सितंबर 2022- तीन कॉलेजों का मालिक गिरफ्तार
- 9 सितंबर 2022- धामी कैबिनेट ने UKSSSC की 5 परीक्षाएं निरस्त कर दीं
- 10 सितंबर 2022- ED ने हाकम, मनराल और राजेश की प्रॉपर्टी का मांगा ब्यौरा
- 11 सितंबर 2022- जांच के दायरे में आए पूर्व सचिव और परीक्षा नियंत्रक
- 12 सितंबर 2022-3 कर्मचारियों को सचिव ने उनके पद से हटाया गया, HC ने राज्य सरकार से जवाब तलब, पुलिस रैंकर्स भर्ती परीक्षा पर CM की सफाई, जांच की रडार पर आए पूर्व सचिव बडोनी सहित पांच अधिकारी
- 13 सितंबर 2022- UKSSSC Paper Leak Case में 39वीं गिरफ्तारी
- 15 सितंबर 2022- UKSSSC Paper Leak Case में लखनऊ से मास्टरमाइंड मूसा गिरफ्तार, साथी योगेश्वर राव भी अरेस्ट
- 17 सितंबर 2022- UKSSSC Paper Leak Case में काशीपुर से मुकेश चौहान गिरफ्तार
एजेंसी पर भी सवाल
यूकेएसएसएससी के साथ टेक्निकल सपोर्ट के लिए काम करने वाली आउटसोर्सिंग एजेंसी आरएमएस टेक्नोसोल्यूशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कंप्यूटर ऑपरेटर जय जीत दास का नाम सामने आया है, इसके बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी पर सवाल खड़े होने लाजमी हैं.
एस. राजू व संतोष बड़ोनी नपे, कई हटाए गए
यूकेएसएसएससी के चेयरमैन व पूर्व आईएएस अधिकारी एस राजू ने 5 अगस्त 2022 इस्तीफा दे दिया. यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था. उसके बाद 13 अगस्त 2022 विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक विवाद में घिरे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी को शासन ने निलंबित कर दिया. उन्हें सचिव पद पर रहते हुए अपने कार्यों को ठीक से न करने और उदासीनता बरतने का दोषी मानते हुए निलंबित किया गया था. उन्हें राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के नियम तीन के उप नियम 1 व 2 और उत्तराखंड सरकारी सेवक संशोधन नियमावली 2010 के नियम 4 के उपनियम 1 के तहत निलंबित किया गया है.
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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक प्रकरण में विजिलेंस जांच की जद में आए अनुभाग अधिकारी व समीक्षा अधिकारियों को आयोग ने हटा दिया गया. इनमें से दो को बाध्य प्रतीक्षा में डाल दिया है, जबकि एक को अनुभाग से हटाकर लोक सूचना अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही 16 अन्य कर्मचारियों को भी आयोग के सचिव एसएस रावत ने इधर से उधर कर दिया गया. कैलाश चंद्र जोशी को परीक्षा अनुभाग से हटाते हुए लोक सूचना अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई. समीक्षा अधिकारी बीएल बहुगुणा को अधियाचन अनुभाग से हटाकर बाध्य प्रतीक्षा में डाल दिया गया. सहायक समीक्षा अधिकारी प्रवीण राणा को लोक सूचना अधिकारी से हटाकर अधियाचन अनुभाग की जिम्मेदारी दी गई. प्रभारी अनुसचिव राजन नैथानी को विभागीय नियमावली आदि के कार्यों से हटाकर जांच से संबंधित काम दिया गया. अनुभाग अधिकारी संतोष कुमार निराला को परीक्षा से गोपन, सहायक लेखाकार भरत सिंह चौहान को बजट से लेखा के सभी काम, सुभाष घिल्डियाल को अधियाचन से हटाकर परीक्षा अनुभाग, प्रमीत अधिकारी को अति गोपन से हटाकर गोपन अनुभाग, सतीश चंद्र उप्रेती को विधि, बबीता को परीक्षा अनुभाग, सपना को परीक्षा अनुभाग, अरविंद सिंह को गोपन अनुभाग, अनिल कुमार को विधि अनुभाग, विनीत रावत को गोपन और पंकज सुंद्रियाल को लेखा अनुभाग की जिम्मेदारी दी गई है.
कितने सरकारी अफसर व कर्मचारी अरेस्ट
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में उत्तराखंड एसटीएफ ने सचिवालय में लोक निर्माण एवं वन विभाग में तैनात निजी सचिव गौरव चौहान को गिरफ्तार करने के बाद उत्तराखंड एसटीएफ ने उत्तराखंड सचिवालय के एक और अधिकारी अपर निजी सचिव सूर्य प्रताप न्याय विभाग को गिरफ्तार किया गया. इसके साथ ही मामले में दो पुलिस के जवानों के अलावा दो आरोपी नैनीताल जिले में अलग-अलग कोर्ट ने कनिष्ठ सहायक के पद पर तैनात लोगों को भी जांच टीम ने दबोचा है.
अब तक 41 लोगों की गिरफ्तारी
UKSSSC भर्ती मामले में अब तक 41 आरोपियों की गिरफ़्तारी हो चुकी है और इनमें से कुल 18 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. जबकि गैंगस्टर एक्ट हेतु 21 आरोपियों की जुडिशल रिमांड स्वीकृत हो चुकी है. एसटीएफ ने प्रमुख कड़ियों को जोड़ते हुए तीन ऐसे अभियुक्तों को भी गिरफ़्तार किया है जो UKSSSC और सचिवालय रक्षक परीक्षा धांधली दोनों में शामिल हैं. इसके अलावा वर्ष 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भर्ती मामले में भी दो आरोपियों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
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ऐसी है जांच की दशा व दिशा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह मामले को लेकर अपना रुख अख्तियार किए हैं, उसको देखकर ऐसा लगता है कि राज्य के दामन पर लगे इस दाग को धोने के लिए किसी भी दोषी को बख्शने की मंशा नहीं है. इसीलिए मामले में धड़ाधड़ तरीके से कार्रवाइयां हो रही हैं. साथ ही जांच पूरी होने तक कई और अधिकारियों के मामले में दबोचे जाने की संभावनाएं बन रही हैं. साथ ही सारी भर्तियों को अब उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग को सौंपकर अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं कि किसी भी हालत में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए और इमानदारी से परीक्षा करवाकर सबको योग्यता के हिसाब से नौकरी पाने का मौका दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बोले
''सरकार प्रदेश में सुशासन के संकल्प के साथ युवाओं के हित में तत्परता से काम कर रही है. जब तक एक एक दोषी को सजा नहीं मिलती तब तक सरकार चैन से नहीं बैठेगी.''
नए सिरे से होंगी भर्तियां
कैबिनेट के निर्णय के बाद उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग (UKPSC) को मिली समूह ग परीक्षा कराने की ज़िम्मेदारी दी गयी है. UKSSSC द्वारा गतिमान 7000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया को राज्य लोक सेवा आयोग को हस्तान्तरित करने के सम्बंध में 9 सिंतबर को कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कर दिया गया था. इसके लिए उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग ने प्रथम चरण की परीक्षाओं का कैलेण्डर निर्धारित कर दिया है.
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