ETV Bharat / bharat

तमिलनाडु के राज्यपाल ने किया NEET समर्थन, राजनीतिक दलों ने कहा- संविधान का सम्मान करें आर एन रवि

author img

By

Published : Aug 13, 2023, 7:17 AM IST

भले ही तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित एनईईटी विरोधी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित है, राज्यपाल आरएन रवि ने शनिवार को द्रविड़ राज्य में सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह छूट की मांग करने वाले विधेयक को मंजूरी नहीं देंगे. जैसा कि अनुमान था राज्यपाल के इस बयान को द्रमुक और उसकी सहयोगी कांग्रेस की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. पढ़ें एमसी राजन की रिपोर्ट...

Etv Bharat
Etv Bharat

चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने स्नातक चिकित्सा कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (एनईईटी) को उचित ठहराते हुए राज्य सरकार के खिलाफ एक और मोर्चा खोल दिया है. बता दें कि राज्य सरकार NEET के विरोध में एक बिल ला चुकी है. शनिवार को राज्यपाल ने इसके पक्ष में वकालत करते हुए राज्य सरकार को निशाने पर ले लिया. राष्ट्रपति के पास लंबित बिल पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि मैं इस विधेयक पर कभी भी हस्ताक्षर नहीं करुंगा.

तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा कि मैं इसे मंजूरी देने वाला आखिरी व्यक्ति होऊंगा. मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे बौद्धिक रूप से अक्षम महसूस करें. मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे प्रतिस्पर्धा करें और सर्वश्रेष्ठ बनें. राज्यपाल ने राजभवन में NEET के टॉपर्स को सम्मानित कर रहे थे. एनईईटी को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में कोई बदलाव नहीं होगा. इसके खिलाफ प्रचार निहित स्वार्थों, विशेष रूप से निजी मेडिकल कॉलेजों की लॉबी का काम है.

उन्होंने कहा कि मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से बता रहा हूं, मैं कभी भी NEET को मंजूरी नहीं दूंगा. इसे बिल्कुल स्पष्ट होने दीजिए. वैसे भी ये मामला राष्ट्रपति के पास चला गया है. यह (संविधान की) समवर्ती सूची का विषय है और केवल राष्ट्रपति ही इसे मंजूरी देने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन मुझसे राय ली जायेगी तो मैं इसे कभी मंजूरी नहीं दूंगा.

ये बातें उन्होंने सलेम के एक माता-पिता के सवाल के जवाब में कहीं. जिन्होंने पूछा था कि विधेयक को मंजूरी कब मिलेगी. इसके अलावा, रवि ने दावा किया कि केवल NEET के बाद, लगभग 600 सरकारी स्कूल के छात्र एमबीबीएस में शामिल हुए हैं, जो उनके अनुसार पहले दोहरे अंक में भी नहीं था.

एनईईटी विधेयक के लिए शीघ्र मंजूरी की गुहार लगाने वाले सलेम स्टील प्लांट के अभिभावक अम्मासियप्पन ने कहा कि एनईईटी से पहले भी तमिलनाडु ने ऐसे डॉक्टर तैयार किए हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली देश में सबसे अच्छी है. तमिलनाडु में बहुत अच्छी शिक्षा व्यवस्था है. महामहिम ने भी अपने सम्बोधन में यह स्वीकार किया था कि गरीब तबके के कई माता-पिता अपने बच्चों को NEET कोचिंग के लिए भेजने में असमर्थ हैं. रवि ने आगे उन्हें जवाब देते हुए कहा, 'हमने जो हासिल किया है वह पर्याप्त नहीं है. ऐसे कई छात्र हैं जो बिना कोचिंग के ऐसा कर रहे हैं. स्कूल ऐसा कर रहे हैं. शिक्षकों को यह करना होगा.

एनईईटी विरोधी अभियान पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए राज्यपाल ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेज पैसे और प्रभाव वाले लोगों द्वारा चलाए जाते हैं. ये वो लोग हैं जो डोनेशन फीस के तौर पर करोड़ों रुपये वसूलते हैं. कम योग्यता वाले लोग अधिक पैसे देकर प्रवेश पा रहे हैं. यह 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार है. NEET से भ्रष्टाचार कम हुआ है. एनईईटी विरोधी प्रचार निहित स्वार्थों द्वारा किया जा रहा है. यही ताकतवर लॉबी है, जिसने इतना उत्पात मचाया कि छात्र आत्महत्या कर रहे हैं. हमारे बच्चे गलत प्रचार के शिकार हैं.

उन्होंने कहा कि सीबीएसई पाठ्यक्रम NEET की परिक्षा के लिए पर्याप्त है. उन्होंने एनईईटी को दोष देने के बजाय राज्य पाठ्यक्रम को अपग्रेड करने की आवश्यकता पर जोर दिया. बता दें कि सत्तारूढ़ द्रमुक और विपक्षी अन्नाद्रमुक दोनों एनईईटी के विरोध में एक ही पृष्ठ पर हैं. एनईईटी विरोधी प्रचारकों का एक प्रमुख आरोप यह है कि राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा निजी और स्व-वित्तपोषित मेडिकल कॉलेजों पर लगाम लगाने में विफल रही. डीएमके ने राज्यपाल पर 'तमिल लोगों का अपमान' करने का आरोप लगाते हुए उनके बयान की कड़ी आलोचना की है.

द्रमुक के प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि राज्यपाल रवि, जो संविधान का सम्मान नहीं करते हैं, आरएसएस के पिट्ठू हैं और अपने उच्च पद को बदनाम कर रहे हैं. यह उनका कर्तव्य है कि वह संविधान के अनुसार कार्य करें, न कि अपनी सनक और पसंद के अनुसार. उन्हें याद रखना चाहिए कि वह राज्य के लोगों द्वारा नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त गये हैं. उन्होंने जो कहा वह तमिलनाडु की विधायिका का अपमान है.

ये भी पढ़ें

एक कदम आगे बढ़ते हुए, कांग्रेस विधायक दल के नेता के सेल्वा पेरुंथगाई ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से विधानसभा का सत्र बुलाने और राज्यपाल को वापस बुलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया. उन्होंने एक बयान में कहा कि राज्यपाल का लगातार आचरण संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन है और विधायिका के साथ-साथ निर्वाचित सरकार की गरिमा के खिलाफ है.

चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने स्नातक चिकित्सा कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (एनईईटी) को उचित ठहराते हुए राज्य सरकार के खिलाफ एक और मोर्चा खोल दिया है. बता दें कि राज्य सरकार NEET के विरोध में एक बिल ला चुकी है. शनिवार को राज्यपाल ने इसके पक्ष में वकालत करते हुए राज्य सरकार को निशाने पर ले लिया. राष्ट्रपति के पास लंबित बिल पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि मैं इस विधेयक पर कभी भी हस्ताक्षर नहीं करुंगा.

तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा कि मैं इसे मंजूरी देने वाला आखिरी व्यक्ति होऊंगा. मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे बौद्धिक रूप से अक्षम महसूस करें. मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे प्रतिस्पर्धा करें और सर्वश्रेष्ठ बनें. राज्यपाल ने राजभवन में NEET के टॉपर्स को सम्मानित कर रहे थे. एनईईटी को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में कोई बदलाव नहीं होगा. इसके खिलाफ प्रचार निहित स्वार्थों, विशेष रूप से निजी मेडिकल कॉलेजों की लॉबी का काम है.

उन्होंने कहा कि मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से बता रहा हूं, मैं कभी भी NEET को मंजूरी नहीं दूंगा. इसे बिल्कुल स्पष्ट होने दीजिए. वैसे भी ये मामला राष्ट्रपति के पास चला गया है. यह (संविधान की) समवर्ती सूची का विषय है और केवल राष्ट्रपति ही इसे मंजूरी देने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन मुझसे राय ली जायेगी तो मैं इसे कभी मंजूरी नहीं दूंगा.

ये बातें उन्होंने सलेम के एक माता-पिता के सवाल के जवाब में कहीं. जिन्होंने पूछा था कि विधेयक को मंजूरी कब मिलेगी. इसके अलावा, रवि ने दावा किया कि केवल NEET के बाद, लगभग 600 सरकारी स्कूल के छात्र एमबीबीएस में शामिल हुए हैं, जो उनके अनुसार पहले दोहरे अंक में भी नहीं था.

एनईईटी विधेयक के लिए शीघ्र मंजूरी की गुहार लगाने वाले सलेम स्टील प्लांट के अभिभावक अम्मासियप्पन ने कहा कि एनईईटी से पहले भी तमिलनाडु ने ऐसे डॉक्टर तैयार किए हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली देश में सबसे अच्छी है. तमिलनाडु में बहुत अच्छी शिक्षा व्यवस्था है. महामहिम ने भी अपने सम्बोधन में यह स्वीकार किया था कि गरीब तबके के कई माता-पिता अपने बच्चों को NEET कोचिंग के लिए भेजने में असमर्थ हैं. रवि ने आगे उन्हें जवाब देते हुए कहा, 'हमने जो हासिल किया है वह पर्याप्त नहीं है. ऐसे कई छात्र हैं जो बिना कोचिंग के ऐसा कर रहे हैं. स्कूल ऐसा कर रहे हैं. शिक्षकों को यह करना होगा.

एनईईटी विरोधी अभियान पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए राज्यपाल ने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेज पैसे और प्रभाव वाले लोगों द्वारा चलाए जाते हैं. ये वो लोग हैं जो डोनेशन फीस के तौर पर करोड़ों रुपये वसूलते हैं. कम योग्यता वाले लोग अधिक पैसे देकर प्रवेश पा रहे हैं. यह 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार है. NEET से भ्रष्टाचार कम हुआ है. एनईईटी विरोधी प्रचार निहित स्वार्थों द्वारा किया जा रहा है. यही ताकतवर लॉबी है, जिसने इतना उत्पात मचाया कि छात्र आत्महत्या कर रहे हैं. हमारे बच्चे गलत प्रचार के शिकार हैं.

उन्होंने कहा कि सीबीएसई पाठ्यक्रम NEET की परिक्षा के लिए पर्याप्त है. उन्होंने एनईईटी को दोष देने के बजाय राज्य पाठ्यक्रम को अपग्रेड करने की आवश्यकता पर जोर दिया. बता दें कि सत्तारूढ़ द्रमुक और विपक्षी अन्नाद्रमुक दोनों एनईईटी के विरोध में एक ही पृष्ठ पर हैं. एनईईटी विरोधी प्रचारकों का एक प्रमुख आरोप यह है कि राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा निजी और स्व-वित्तपोषित मेडिकल कॉलेजों पर लगाम लगाने में विफल रही. डीएमके ने राज्यपाल पर 'तमिल लोगों का अपमान' करने का आरोप लगाते हुए उनके बयान की कड़ी आलोचना की है.

द्रमुक के प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि राज्यपाल रवि, जो संविधान का सम्मान नहीं करते हैं, आरएसएस के पिट्ठू हैं और अपने उच्च पद को बदनाम कर रहे हैं. यह उनका कर्तव्य है कि वह संविधान के अनुसार कार्य करें, न कि अपनी सनक और पसंद के अनुसार. उन्हें याद रखना चाहिए कि वह राज्य के लोगों द्वारा नहीं बल्कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त गये हैं. उन्होंने जो कहा वह तमिलनाडु की विधायिका का अपमान है.

ये भी पढ़ें

एक कदम आगे बढ़ते हुए, कांग्रेस विधायक दल के नेता के सेल्वा पेरुंथगाई ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से विधानसभा का सत्र बुलाने और राज्यपाल को वापस बुलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया. उन्होंने एक बयान में कहा कि राज्यपाल का लगातार आचरण संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन है और विधायिका के साथ-साथ निर्वाचित सरकार की गरिमा के खिलाफ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.