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चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के हार्ट पर "अटैक", जानें कैसे बचाई जा सकती है जान - चारधाम यात्रियों को पड़ रहा दिल का दौरा

उत्तराखंड चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं जिनकी मौत हो रही है उनमें से ज्यादातर दिल का दौरा पड़ने से जान गंवा रहे हैं. बीते 11 दिन की चारधाम यात्रा में ही 32 श्रद्धालु दम तोड़ चुके हैं. इस यात्रा में सबसे बड़ी कमी हृदय विशेषज्ञ डॉक्टरों की महसूस हो रही है. अगर चारधाम यात्रा रूट पर हृदय विशेषज्ञ डॉक्टर होते और इन श्रद्धालुओं को समय पर इलाज मिलता तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

Chardham Yatra.
उत्तराखंड चारधाम यात्रा.
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Published : May 14, 2022, 3:35 PM IST

Updated : May 14, 2022, 3:43 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा के दौरान पुराना मर्ज और हाड़ कंपाने वाली ठंड श्रद्धालुओं के दिलों पर भारी पड़ रही है. स्थिति यह है कि जान गंवाने वाले यात्रियों का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है, और सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग भी इन हालातों पर खुद को बेबस बताने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहा है. हालांकि हार्ट पर हो रहे इस अटैक का सही समय पर उपचार हो जाए तो श्रद्धालुओं की जान बचाई भी जा सकती है.

चारधाम यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं का दिल उनका साथ नहीं दे रहा. 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने से लेकर अब तक 32 श्रद्धालु स्वास्थ्य कारणों से अपनी जान गंवा चुके हैं. अधिकतर श्रद्धालुओं की मौत का कारण हार्ट अटैक माना गया है. पिछले 10 दिनों के भीतर ही अचानक इतनी मौतें होने के बाद न केवल उत्तराखंड सरकार में हड़कंप मचा हुआ है, बल्कि भारत सरकार भी इसका संज्ञान ले चुकी है. इन परिस्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के लिए 01 कार्डिक वैन भी रवाना की है.
ये भी पढ़ें: यमुनोत्री पैदल मार्ग पर दो और तीर्थ यात्रियों की मौत, चारधाम यात्रा पर मरने वालों का आंकड़ा 32 पहुंचा

उधर केदारनाथ और बदरीनाथ के लिए फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यूं तो शहरों में भी दिल का दौरा किसी भी व्यक्ति की जान ले सकता है. ऐसे में चारधाम यात्रा जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ खास नहीं है, वहां पर तो यह अटैक जानलेवा ही है. वैसे स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर मुख्य सचिव तक प्रदेश में कार्डियोलॉजिस्ट की कमी होने का रोना रो चुके हैं. जाहिर है कि सरकार और शासन श्रद्धालुओं पर भारी पड़ते हार्ट अटैक को लेकर सरेंडर कर चुके हैं. लिहाजा ऐसे हालातों में श्रद्धालु भगवान भरोसे ही हैं.

चारधाम यात्रा में महसूस की जा रही हृदय विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी.

उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है. उधर पहाड़ी जिलों में तो कार्डियोलॉजिस्ट की मौजूदगी ही ना के बराबर है. इन हालातों के बीच चारधाम रूट पर श्रद्धालुओं को अचानक आ रहे हार्टअटैक का समाधान निकालना सरकारी सिस्टम में तो नहीं दिखाई दे रहा. इसके बावजूद यदि श्रद्धालु सजग हों और सरकार कुछ व्यवस्थाएं कर सिस्टम को तेज कर दे, तो इन घटनाओं से बचा जा सकता है. जानिए दून मेडिकल कॉलेज में तैनात सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अमर उपाध्याय मौजूदा परिस्थितियों में चार धाम यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की जान बचाने के लिए क्या सुझाव दे रहे हैं.

ठंड और पुरानी बीमारी ले रही जान: चारधाम यात्रा रूट पर जिन श्रद्धालुओं की जान गई है, उनमें अधिकतर पुरानी बीमारी से ग्रसित मरीज थे. खास तौर पर जिन मरीजों को बीपी और शुगर की शिकायत थी, ऐसे मरीज यात्रा के दौरान हार्टअटैक का शिकार हो गए. करीब 90% मरने वाले श्रद्धालु ऐसी ही बीमारी से ग्रसित थे. हालांकि कुछेक श्रद्धालुओं में पोस्ट कोविड-19 के होने की भी जानकारी आई है. उधर विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रा के दौरान हार्ट अटैक की दूसरी बड़ी वजह ठंड भी है. अचानक तापमान में कमी और ठीक से गर्म कपड़े नहीं पहनने के कारण भी श्रद्धालुओं को हार्ट अटैक आने की आशंका ज्यादा रहती है.

मैदानी राज्यों के श्रद्धालुओं की गई जान: राज्य में अब तक हुई श्रद्धालुओं की मौत से यह साफ होता है कि चारों धामों में जिन श्रद्धालुओं की जान गई है, वह मैदानी राज्यों से थे. इसमें उत्तराखंड या हिमालयी राज्यों के श्रद्धालुओं की संख्या ना के बराबर है. इस पर भी चिकित्सक मानते हैं कि जिन जगहों से ही श्रद्धालु आए हैं, वहां पर तापमान काफी ज्यादा रहा है. ऐसे में अचानक तापमान में बदलाव के कारण भी हार्ट अटैक का कारण हो सकता है.
ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत बड़ा कलंक, सरकार चंपावत उपचुनाव में मस्त: सुमित हृदयेश

मौतों का आंकड़ा बढ़ने के बाद जागी सरकार: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा मार्ग पर मौतों का आंकड़ा जैसे ही तेज होने लगा सरकार भी हरकत में आ गई. आनन-फानन में दो मंत्रियों को केदारनाथ और बदरीनाथ की जिम्मेदारी दी और सभी जगहों पर नोडल अफसर भी तैनात किए जाने लगे. उधर पर्यटन विभाग के मंत्री दुबई में हैं और महकमे की तरफ से भी कुछ खास व्यवस्थाएं यात्रा रूट पर नहीं की गई हैं.

फिलहाल राज्य में यह है मौत का आंकड़ा: उत्तराखंड के चारधाम में मरने वालों का आंकड़ा 32 पहुंच गया है. सबसे ज्यादा मौतें यमुनोत्री धाम में हुई हैं. यहां पर अब तक 13 श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं. गंगोत्री धाम में अब तक 3 श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है. बदरीनाथ धाम में यह आंकड़ा अब 6 हो चुका है तो केदारनाथ में 11 श्रद्धालु स्वास्थ्य कारणों से अपनी जान गंवा चुके हैं.

विशेषज्ञ चिकित्सक इन हालातों में यह देते हैं सलाह: बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों को देखते हुए चिकित्सक कुछ खास सलाह देते हैं जिन पर यदि श्रद्धालु और स्वास्थ्य विभाग ध्यान दें तो श्रद्धालुओं की जान बचाई जा सकती है. विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि एक तरफ सबसे पहले श्रद्धालुओं को जागरूक होना होगा. सीने में दर्द होने के साथ ही फौरन पास के ईसीजी सेंटर पर जाकर अपना चेकअप कराना होगा.

खून पतला करने वाली दवाई लें: यदि हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई दें तो इस दौरान श्रद्धालु खून पतला करने वाली किसी दवा को ले सकते हैं. इसमें सामान्य रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एस्प्रिन या डिस्प्रिन जैसी गोली का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को हार्ट अटैक की स्थिति में खून पतला करने वाले इंजेक्शन की व्यवस्था करनी चाहिए. ताकि हार्ट अटैक आने की स्थिति में श्रद्धालु को फौरन आराम दिया जा सके. इसके बाद मरीज के इलाज के लिए फौरन उसे किसी कार्डियोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए. श्रद्धालु या मरीज जितनी जल्दी कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाएगा, मरीज के दिल की सुरक्षा के चांसेस उतने ही ज्यादा होंगे.
ये भी पढ़ें: आम हो या खास, अब केदारनाथ धाम में नहीं होंगे VIP दर्शन, बाबा के दर पर सभी एक समान

राज्य सरकार ने हार्ट कमांड सेंटर के लिए 25 करोड़ किए आवंटित: उत्तराखंड सरकार ने भी हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों और दिल के मरीजों को राहत देने के लिए 25 करोड़ की राशि आवंटित करने का आदेश जारी किया है. इसके जरिए देहरादून मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में हार्ट कमांड सेंटर की स्थापना की जा सकेगी. जिससे भविष्य के लिए कम से कम दिल के मरीजों को बड़ी राहत मिल पाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा के दौरान पुराना मर्ज और हाड़ कंपाने वाली ठंड श्रद्धालुओं के दिलों पर भारी पड़ रही है. स्थिति यह है कि जान गंवाने वाले यात्रियों का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है, और सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग भी इन हालातों पर खुद को बेबस बताने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहा है. हालांकि हार्ट पर हो रहे इस अटैक का सही समय पर उपचार हो जाए तो श्रद्धालुओं की जान बचाई भी जा सकती है.

चारधाम यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं का दिल उनका साथ नहीं दे रहा. 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने से लेकर अब तक 32 श्रद्धालु स्वास्थ्य कारणों से अपनी जान गंवा चुके हैं. अधिकतर श्रद्धालुओं की मौत का कारण हार्ट अटैक माना गया है. पिछले 10 दिनों के भीतर ही अचानक इतनी मौतें होने के बाद न केवल उत्तराखंड सरकार में हड़कंप मचा हुआ है, बल्कि भारत सरकार भी इसका संज्ञान ले चुकी है. इन परिस्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के लिए 01 कार्डिक वैन भी रवाना की है.
ये भी पढ़ें: यमुनोत्री पैदल मार्ग पर दो और तीर्थ यात्रियों की मौत, चारधाम यात्रा पर मरने वालों का आंकड़ा 32 पहुंचा

उधर केदारनाथ और बदरीनाथ के लिए फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यूं तो शहरों में भी दिल का दौरा किसी भी व्यक्ति की जान ले सकता है. ऐसे में चारधाम यात्रा जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ खास नहीं है, वहां पर तो यह अटैक जानलेवा ही है. वैसे स्वास्थ्य महानिदेशक से लेकर मुख्य सचिव तक प्रदेश में कार्डियोलॉजिस्ट की कमी होने का रोना रो चुके हैं. जाहिर है कि सरकार और शासन श्रद्धालुओं पर भारी पड़ते हार्ट अटैक को लेकर सरेंडर कर चुके हैं. लिहाजा ऐसे हालातों में श्रद्धालु भगवान भरोसे ही हैं.

चारधाम यात्रा में महसूस की जा रही हृदय विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी.

उत्तराखंड में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है. उधर पहाड़ी जिलों में तो कार्डियोलॉजिस्ट की मौजूदगी ही ना के बराबर है. इन हालातों के बीच चारधाम रूट पर श्रद्धालुओं को अचानक आ रहे हार्टअटैक का समाधान निकालना सरकारी सिस्टम में तो नहीं दिखाई दे रहा. इसके बावजूद यदि श्रद्धालु सजग हों और सरकार कुछ व्यवस्थाएं कर सिस्टम को तेज कर दे, तो इन घटनाओं से बचा जा सकता है. जानिए दून मेडिकल कॉलेज में तैनात सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अमर उपाध्याय मौजूदा परिस्थितियों में चार धाम यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की जान बचाने के लिए क्या सुझाव दे रहे हैं.

ठंड और पुरानी बीमारी ले रही जान: चारधाम यात्रा रूट पर जिन श्रद्धालुओं की जान गई है, उनमें अधिकतर पुरानी बीमारी से ग्रसित मरीज थे. खास तौर पर जिन मरीजों को बीपी और शुगर की शिकायत थी, ऐसे मरीज यात्रा के दौरान हार्टअटैक का शिकार हो गए. करीब 90% मरने वाले श्रद्धालु ऐसी ही बीमारी से ग्रसित थे. हालांकि कुछेक श्रद्धालुओं में पोस्ट कोविड-19 के होने की भी जानकारी आई है. उधर विशेषज्ञ कहते हैं कि यात्रा के दौरान हार्ट अटैक की दूसरी बड़ी वजह ठंड भी है. अचानक तापमान में कमी और ठीक से गर्म कपड़े नहीं पहनने के कारण भी श्रद्धालुओं को हार्ट अटैक आने की आशंका ज्यादा रहती है.

मैदानी राज्यों के श्रद्धालुओं की गई जान: राज्य में अब तक हुई श्रद्धालुओं की मौत से यह साफ होता है कि चारों धामों में जिन श्रद्धालुओं की जान गई है, वह मैदानी राज्यों से थे. इसमें उत्तराखंड या हिमालयी राज्यों के श्रद्धालुओं की संख्या ना के बराबर है. इस पर भी चिकित्सक मानते हैं कि जिन जगहों से ही श्रद्धालु आए हैं, वहां पर तापमान काफी ज्यादा रहा है. ऐसे में अचानक तापमान में बदलाव के कारण भी हार्ट अटैक का कारण हो सकता है.
ये भी पढ़ें: चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की मौत बड़ा कलंक, सरकार चंपावत उपचुनाव में मस्त: सुमित हृदयेश

मौतों का आंकड़ा बढ़ने के बाद जागी सरकार: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा मार्ग पर मौतों का आंकड़ा जैसे ही तेज होने लगा सरकार भी हरकत में आ गई. आनन-फानन में दो मंत्रियों को केदारनाथ और बदरीनाथ की जिम्मेदारी दी और सभी जगहों पर नोडल अफसर भी तैनात किए जाने लगे. उधर पर्यटन विभाग के मंत्री दुबई में हैं और महकमे की तरफ से भी कुछ खास व्यवस्थाएं यात्रा रूट पर नहीं की गई हैं.

फिलहाल राज्य में यह है मौत का आंकड़ा: उत्तराखंड के चारधाम में मरने वालों का आंकड़ा 32 पहुंच गया है. सबसे ज्यादा मौतें यमुनोत्री धाम में हुई हैं. यहां पर अब तक 13 श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं. गंगोत्री धाम में अब तक 3 श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है. बदरीनाथ धाम में यह आंकड़ा अब 6 हो चुका है तो केदारनाथ में 11 श्रद्धालु स्वास्थ्य कारणों से अपनी जान गंवा चुके हैं.

विशेषज्ञ चिकित्सक इन हालातों में यह देते हैं सलाह: बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों को देखते हुए चिकित्सक कुछ खास सलाह देते हैं जिन पर यदि श्रद्धालु और स्वास्थ्य विभाग ध्यान दें तो श्रद्धालुओं की जान बचाई जा सकती है. विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि एक तरफ सबसे पहले श्रद्धालुओं को जागरूक होना होगा. सीने में दर्द होने के साथ ही फौरन पास के ईसीजी सेंटर पर जाकर अपना चेकअप कराना होगा.

खून पतला करने वाली दवाई लें: यदि हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई दें तो इस दौरान श्रद्धालु खून पतला करने वाली किसी दवा को ले सकते हैं. इसमें सामान्य रूप से इस्तेमाल की जाने वाली एस्प्रिन या डिस्प्रिन जैसी गोली का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को हार्ट अटैक की स्थिति में खून पतला करने वाले इंजेक्शन की व्यवस्था करनी चाहिए. ताकि हार्ट अटैक आने की स्थिति में श्रद्धालु को फौरन आराम दिया जा सके. इसके बाद मरीज के इलाज के लिए फौरन उसे किसी कार्डियोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए. श्रद्धालु या मरीज जितनी जल्दी कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाएगा, मरीज के दिल की सुरक्षा के चांसेस उतने ही ज्यादा होंगे.
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राज्य सरकार ने हार्ट कमांड सेंटर के लिए 25 करोड़ किए आवंटित: उत्तराखंड सरकार ने भी हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों और दिल के मरीजों को राहत देने के लिए 25 करोड़ की राशि आवंटित करने का आदेश जारी किया है. इसके जरिए देहरादून मेडिकल कॉलेज और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में हार्ट कमांड सेंटर की स्थापना की जा सकेगी. जिससे भविष्य के लिए कम से कम दिल के मरीजों को बड़ी राहत मिल पाएगी.

Last Updated : May 14, 2022, 3:43 PM IST
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