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Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा, जाने मुहूर्त विधि

मां दुर्गा का रौद्ध रूप मां कालरात्रि हैं. जिसका वर्ण काला है इसलिए इन्हें मां काली या कालिका के नाम से भी जाना जाता है. माता का यह रूप अत्यंत भयावह है, लेकिन भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फलदायी है. माना जाता है कि मां काली की पूजा करने से सभी प्रकार का भय खत्म होता है. आइये आज जानते हैं माता से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में....

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मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 21, 2023, 12:09 PM IST

मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा

नई दिल्ली: नवरात्री का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है. इस दिन देवी दुर्गा की 7वीं शक्ति देवी कालरात्रि की उपासना होती है. दुष्टों का विनाश करने वाली मां कालरात्रि को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. जिनका रूप रौद्र और विकराल है. मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति पर आने वाले आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है.

मां कालरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा

मां का यह स्वरूप शत्रु और दुष्‍टों का संहार करने वाला है. देवीभागवत पुराण के अनुसार शुंभ निशुंभ तथा रक्तबीज नाम के राक्षसों ने स्वर्ग लोक में त्राहिमाम मचा दिया था. उनके भय से सभी देवता कैलाश पर्वत पर भगवान शिव से सहायता मांगने गए. तब भगवान शिव ने माता पार्वती से देवताओं की रक्षा करने का अनुरोध किया. माँ पार्वती ने अपने तेज से माँ दुर्गा को प्रकट किया जिन्होंने राक्षसों की सेना के साथ युद्ध किया. माँ ने शुंभ निशुंभ राक्षस का वध कर दिया लेकिन जब रक्तबीज का वध किया तब उसके शरीर से निकली रक्त की बूंदे भूमि पर गिरी. उस राक्षस के रक्त की जितनी भी बूंदे भूमि पर गिरी उससे उतने ही रक्तबीज राक्षस बनते गए

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रक्तबीजों की एक एक बूदे से और रक्तबीज बनते गए.यह देखकर दुर्गा माँ ने अपनी शक्ति से एक और माता को उत्पन्न किया. जिनका नाम कालरात्रि था. माता अपना भयंकर रूप लिए हुए थी. उसके बाद जैसे ही माँ दुर्गा रक्तबीज का वध करती तो उसके शरीर के रक्त की बूंदे माँ कालरात्रि भूमि पर गिरने से पहले ही पी जाती. इस प्रकार माँ दुर्गा ने एक एक कर सभी रक्तबीज राक्षसों का वध कर दिया

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि की स्वरूप की बात करें तो मां का रूप रौद्र और विकराल है. गर्दभ की सवारी, काला रंग,खुले केश,गले में मुंडमाला, एक हाथ वर मुद्रा में, एक हाथ अभय मुद्रा में एक हाथ में लोहे का कांटा एक हाथ में खड्ग है.

मां कालरात्रि की पूजा का मुहूर्त

सुबह का मुहूर्त - 06.25 - 07.50

रात्रि का मुहूर्त - 21 अक्टूबर 2023, 11.41 - 22 अक्टूबर 2023, 12.31

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मां कालरात्रि की पूजा विधि

सप्तमी की पूजा के लिए प्रात:स्नान के बाद मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, फल, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. इस दौरान मां कालरात्रि के मंत्र का उच्चारण करते रहें. उसकेvबाद मां को गुड़ का भोग लगाएं.

यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

यह भी पढ़ें- 7th day of shardiya navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन आज, झंडेवालान और छतरपुर देवी के करीए दर्शन

मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा

नई दिल्ली: नवरात्री का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है. इस दिन देवी दुर्गा की 7वीं शक्ति देवी कालरात्रि की उपासना होती है. दुष्टों का विनाश करने वाली मां कालरात्रि को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. जिनका रूप रौद्र और विकराल है. मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति पर आने वाले आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है.

मां कालरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा

मां का यह स्वरूप शत्रु और दुष्‍टों का संहार करने वाला है. देवीभागवत पुराण के अनुसार शुंभ निशुंभ तथा रक्तबीज नाम के राक्षसों ने स्वर्ग लोक में त्राहिमाम मचा दिया था. उनके भय से सभी देवता कैलाश पर्वत पर भगवान शिव से सहायता मांगने गए. तब भगवान शिव ने माता पार्वती से देवताओं की रक्षा करने का अनुरोध किया. माँ पार्वती ने अपने तेज से माँ दुर्गा को प्रकट किया जिन्होंने राक्षसों की सेना के साथ युद्ध किया. माँ ने शुंभ निशुंभ राक्षस का वध कर दिया लेकिन जब रक्तबीज का वध किया तब उसके शरीर से निकली रक्त की बूंदे भूमि पर गिरी. उस राक्षस के रक्त की जितनी भी बूंदे भूमि पर गिरी उससे उतने ही रक्तबीज राक्षस बनते गए

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रक्तबीजों की एक एक बूदे से और रक्तबीज बनते गए.यह देखकर दुर्गा माँ ने अपनी शक्ति से एक और माता को उत्पन्न किया. जिनका नाम कालरात्रि था. माता अपना भयंकर रूप लिए हुए थी. उसके बाद जैसे ही माँ दुर्गा रक्तबीज का वध करती तो उसके शरीर के रक्त की बूंदे माँ कालरात्रि भूमि पर गिरने से पहले ही पी जाती. इस प्रकार माँ दुर्गा ने एक एक कर सभी रक्तबीज राक्षसों का वध कर दिया

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि की स्वरूप की बात करें तो मां का रूप रौद्र और विकराल है. गर्दभ की सवारी, काला रंग,खुले केश,गले में मुंडमाला, एक हाथ वर मुद्रा में, एक हाथ अभय मुद्रा में एक हाथ में लोहे का कांटा एक हाथ में खड्ग है.

मां कालरात्रि की पूजा का मुहूर्त

सुबह का मुहूर्त - 06.25 - 07.50

रात्रि का मुहूर्त - 21 अक्टूबर 2023, 11.41 - 22 अक्टूबर 2023, 12.31

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मां कालरात्रि की पूजा विधि

सप्तमी की पूजा के लिए प्रात:स्नान के बाद मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, फल, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. इस दौरान मां कालरात्रि के मंत्र का उच्चारण करते रहें. उसकेvबाद मां को गुड़ का भोग लगाएं.

यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

यह भी पढ़ें- 7th day of shardiya navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन आज, झंडेवालान और छतरपुर देवी के करीए दर्शन

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