देहरादून (उत्तराखंड): पीएम मोदी 12-13 अक्टूबर को दो दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड आ रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम व पिथौरागढ़ में स्थित आदि कैलाश के दर्शन करेंगे. पीएम मोदी का ये दौरा कई मायनों में खास होने वाला है. पीएम मोदी जिस आदि कैलाश के दर्शन करने के लिए उत्तराखंड पहुंच रहे हैं, वो कई रहस्यों को समेटे हुए है. आदि कैलाश से जुड़े कई रहस्य आज भी दुनिया के लिए पहेली बने हुए हैं. आदि कैलाश पर्वत के नीचे पार्वती कुंड स्थित है जो रहस्यमयी है. अत्यधिक ऊंचाई वाले आदि कैलाश से जुड़ी कई मान्यताएं हैं.
आदि कैलाश के दर्शन करने वाले देश के पहले पीएम होंगे मोदी: नरेंद्र मोदी भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जो भारत-चीन सीमा की सरहद पर स्थित आदि कैलाश के दर्शन करेंगे. इससे पहले आजाद भारत के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री इस यात्रा पर नहीं आया है. आदि कैलाश कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पड़ने वाला एक स्थान है. आदि कैलाश के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर समाधि लेने जा रहे थे तब भगवान शिव और पूरे परिवार ने इसी आदि कैलाश पर रुककर विश्राम किया था. आज भी ऐसी मान्यता है कि यहां पर माता पार्वती का एक मंदिर है, जहां माता पार्वती स्नान किया करती थीं. उस स्थान पर आज भी एक कुंड है. यह कुंड पवित्र और साफ जल से भरा हुआ है.
आदि कैलाश में पल-पल बदलता मौसम: मान्यता है कि आदि कैलाश पर्वत के दर्शन भाग्य से होते हैं. इस इलाके में मौसम पल-पल बदलता रहता है. अगर इस क्षेत्र में कोहरे की चादर ने डेरा डाला तो ओम पर्वत कोहरे की चादर में खो जाता है. ऐसे में वहां पहुंचने वाले श्रद्धालु ज्यादा देर तक इंतजार नहीं कर पाते. कड़कड़ाती ठंड की वजह से उन्हें वापस आना पड़ता है. हालांकि, आदि कैलाश में रुकने का भी बंदोबस्त है, लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि जिसको भगवान आदि कैलाश दर्शन देना चाहते हैं उसी को दर्शन प्राप्त होते हैं.
8 कैलाशों में एक है आदि कैलाश: आदि कैलाश की खासियत यह है कि इस पर्वत पर ओम की आकृति बनी हुई है. जैसे ही पर्वत पर बर्फबारी गिरती है तो वो ओम (ऊं) का आकार ले लेती है. आदि कैलाश के बारे में कहा जाता है आठ कैलाशों में से एक इसी आदि कैलाश की खोज हो पाई है. अन्य सात आदि कैलाश पर्वत कहां हैं इस बात की किसी को कोई जानकारी नहीं है. मान्यता तो यह भी है कि जब इस पर्वत पर बर्फबारी होती है तब बर्फबारी की आवाज ओम (ऊं) की ध्वनि में श्रद्धालुओं को सुनाई देती है.
पढ़ें- PM Modi Pithoragarh Visit: कई मायनों में खास होगा पीएम मोदी का पिथौरागढ़ दौरा, 3 दशक पुरानी यादें होंगी ताजा
सपरिवार यहां विराजते हैं भगवान शिव: आदि कैलाश को छोटा कैलाश या ओम पर्वत भी कहा जाता है. यह समुद्र तल से 5,945 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस पर्वत के बारे में मान्यता है कि आदि अनादि काल में यहां पर ऋषि मन ने तप किया था. मान्यता है कि आज भी भगवान शिव का पूरा परिवार जिसमें पार्वती, गणेश और कार्तिकेय यहां एक साथ निवास करते हैं. यहां पहुंचने के बाद आपको ऐसा प्रतीत होता है मानव संसार मैं आप जो कुछ भी खोज रहे थे वो सब कुछ यहीं है. इस स्थान पर खड़े होकर होकर चारों तरफ ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़ दिखाई देते हैं. यहां ठंडी बर्फीली हवाएं चलती हैं. यहां पहुंचने के लिए पहले लगभग 150 किलोमीटर से भी अधिक पैदल चलना पड़ता था, लेकिन अब सड़क मार्ग की व्यवस्था यहां ठीक कर दी गई है. अब मात्र 3 किलोमीटर पैदल चलकर यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.
बेहद खूबसूरत हैं आदि कैलाश के नजारे: आदि कैलाश, कैलाश मानसरोवर के समान ही खूबसूरत है. यहां का लैंडस्कैप, खूबसूरत नजारें, बर्फ से ढके पहाड़ इसकी सुंरदरता को चार चांद लगाते हैं. कैलाश मानसरोवर के यात्री इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं. यहां पहुंचने के लिए पिथौरागढ़ के सीमांत इलाके धारचूला से सफर की शुरुआत होती है, जिसके बाद आप तवाघाट पहुंचते हैं. यहां से आदि कैलाश के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है.
रोचक अनुभवों को समेटे है आदि कैलाश यात्रा: बीते 15 दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदि कैलाश आने की चर्चाएं हैं. इसी बीच हरिद्वार निवासी सागर कुमार भी आदि कैलाश की यात्रा से लौटे हैं. सागर कहते हैं ये यात्रा उनकी अबतक की जिंदगी की सबसे यादगार यात्राओं में से एक रही है. उन्होंने बताया कि वो कई जगहों की यात्राओं पर पर गये हैं, कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों का दौरा किया है, मगर जैसा उन्हें आदि कैलाश जाकर एहसास हुआ वैसा कहीं भी नहीं हुआ.
पीएम मोदी के दौरे को लेकर आदि कैलाश में तैयारियां: सागर कुमार ने बताया आजकल आदि कैलाश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की तैयारियां जोरों से चल रही हैं. आदि कैलाश में एक हेलीपैड भी बना दिया गया है. सड़क पूरी तरह से आदि कैलाश तक पहुंच गई है, जिससे रोजाना कई श्रद्धालु भी आदि कैलाश पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि, वो ओम पर्वत के दर्शन कर लौटे हैं. सागर कुमार कहते हैं वो आदि कैलाश में दो दिनों तक अपने दोस्तों के साथ रुके. दोनों दिन उन्होंने बेहद नजदीक से ओम पर्वत के दर्शन किए. इसके साथ ही माता पार्वती के कुंड भी पहुंचे. कुंड में बह रहा जल बेहद साफ और पवित्र है.
आदि कैलाश में बिना परमिट के नहीं होती एंट्री: अदि कैलाश में जाने के लिया हर किसी का परमिट बनता है. इनर लाइन होने की वजह से हर कोई सीधे इस क्षेत्र में नहीं जा सकता. नेपाल और चीन की सीमा से सटे इस इलाके में भारतीय सेना की मुस्तैदी हमेशा रहती है. हल्द्वानी से ही लगभग 22 घंटे का सफर तय करके आप यहां तक पहुंच सकतें है. इस क्षेत्र में 12 महीनों ठंड रहती है. इसलिए आप जब भी यहां जाएं तो गर्म कपड़े जरूर साथ लेकर चलें.