नई दिल्ली : युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में पाकिस्तान विरोधी लहर को भांपते हुए पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ ने 18 जनवरी को अफगानिस्तान की यात्रा की योजना (Pakistan's NSA planned visit to Afghanistan) अंतिम समय पर रद्द कर दी. पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक शर्मिंदगी के बीच एनएसए मोईद यूसुफ ने 18-19 जनवरी को काबुल की यात्रा को रद्द कर दिया. यह यात्रा अफगानिस्तान में उठ रहे पाकिस्तान विरोध आवाजों को देखते हुए रद्द किया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनकी यात्रा रद्द कर दी गई क्योंकि बड़ी संख्या में अफगान के काबुल हवाई अड्डे पर पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शन के लिए लोगों के आने की उम्मीद थी. इसलिए उस आक्रोश को भांपते हुए पूर्व निर्धारित यात्रा को रद्द कर दी गई. इस यात्रा का अंतिम समय में रद्द होना दर्शाता है कि पाकिस्तान और तालिबान के बीच कोई आपसी समझ नहीं है, अन्यथा ऐसी यात्रा निर्धारित नहीं होती.
इस रूख से एक बात निश्चित रूप से स्पष्ट हो गई है कि अफगानिस्तान के लोग इस समय भी जब युद्धग्रस्त राष्ट्र सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पतन का सामना कर रहा है तो भी अपने आंतरिक मामलों में पाकिस्तान से हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति मामलों के प्रोफेसर डॉ स्वर्ण सिंह कहते हैं कि यह उन दोनों के बीच बढ़ती दूरी को दर्शाता है. और इसका पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है.
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पाकिस्तान के आधिकारिक पक्ष के अनुसार, पाकिस्तानी एनएसए मोईद यूसुफ की काबुल की नियोजित यात्रा खराब मौसम के कारण स्थगित कर दी गई थी. यहां यह ध्यान देने योग्य है कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान के एनएसए ने अफगान लोगों को भारत की 50,000 टन गेहूं की सहायता को पब्लिसिटी स्टंट करार दिया और आरोप लगाया कि भारत नरसंहार की सभी हदें पार कर रहा है और दुनिया इस पर चुप है.