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यहां पेड़ पर चढ़ लोग करते हैं मोबाइल से बात, जानते हैं क्यों? - मजबूरी का मोबाइल कनेक्शन

दिल्ली से अलवर की दूरी ज्यादा नहीं है, फिर भी इनके लिए दिल्ली दूर है! ऐसे कई गांव हैं जहां लोग अपने दूर बसे रिश्तेदारों से बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं (Mobile Signal on Tree). 150 किलोमीटर बसी दिल्ली देखने के लिए नहीं बल्कि एक मजबूरी के चलते. आइए जानते हैं उस मजबूरी का सबब क्या है.

Mobile Signal on Tree in Alwar
पेड़ पर चढ़ लोग करते हैं मोबाइल से बात
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Published : Nov 28, 2022, 1:37 PM IST

अलवर. अलवर के इस गांव में लोग बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं. करीबी जनों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इन्हें पेड़ों का ही सहारा है (Mobile Signal on Tree). यानी इनकी मजबूरी का मोबाइल कनेक्शन है. जिस दौर में डिजिटल युग की बात की जा रही हो उसमें मोबाइल मजबूरी तो हो सकती है लेकिन मजबूरी के लिए पेड़ की चढ़ाई हैरान करती है.

डिजिटल इंडिया की हकीकत: अलवर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर अख़बरपुर के पास कालीखोर गांव में आज भी मोबाइल से सम्पर्क साधने के लिए 'रेंज' की तलाश में कभी पेड़ पर, कभी पहाड़ी पर तो कभी छत पर तो कभी गांव के बाहर निकल जाते हैं. ये अकेला गांव नहीं बल्कि अलवर जिले में 68 ऐसे क्षेत्र हैं जहां मोबाइल नेटवर्क शून्य है.गांव में अगर कोई इमरजेंसी होती है तो बड़े परेशानी आती है. इसके अलावा ये गांव में राशन का वितरण भी ऑनलाइन नहीं कर पाते हैं. चूंकि आजकल सब कम्प्यूटराइज्ड और डिजिटलाइज्ड है तो स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी इसकी मार पड़ती है. एएनएम को भी काम करने में नाको चने चबाने पड़ते हैं क्योंकि एंट्री तो ऑनलाइन ही मुमकिन है. तो इस तरह यहां कई सरकारी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं.

यहां पेड़ पर चढ़ लोग करते हैं मोबाइल से बात

हाथों में मोबाइल किसलिए!: राजस्थान सरकार महिलाओं को जल्द ही स्मार्ट मोबाइल देने जा रही है. इस मोबाइल में सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी महिलाओं को मिलेगी. राशन की सुविधा हो या स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए इंटरनेट सुविधा जरूरी होगी. मोबाइल में निशुल्क इंटरनेट पर बात करने की सुविधा होगी. सुनने में सुखद है लेकिन हकीकत में दुखद. मोबाइल वितरण की बात कर सरकार तो अपने नम्बर बढ़ा रही है लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है.

दिल्ली से महज 150 किलोमीटर दूर अलवर के कुछ गांव आज भी मोबाइल नेटवर्क की तलाश में हलकान हो रहे हैं. इतना की जान को जोखिम में डाल पेड़ की ऊंची डाल पर चढ़कर मोबाइल से बात करते हैं. हां अगर थोड़ा और वक्त मिले तो बात करने के लिए दो से तीन किलोमीटर दूर गांव से बाहर चले जाते हैं.

पढ़ें- पंजाब और हरियाणा की मुर्गियां खा रहीं अलवर का बाजरा!

5जी के दौर में 4जी की बात! : जब बीएसएनएल विभाग के अधिकारियों से इस अति अहम मसले पर सवाल किया तो उन्होंने वही रटारटाया जवाब दे दिया. बोले- सरकार ने अलवर जिले के 68 क्षेत्र चयनित किए हैं. जहां आने वाले कुछ साल में नेटवर्क की व्यवस्था होगी. उसके लिए काम शुरू हो चुका है. डेढ़ से दो साल बाद लोगों को 4G नेटवर्क सुविधा मिल सकेगी. 4जी की बात तब जब दुनिया 5जी नेटवर्क के दौर में कदम रख रही है बेहद हास्यास्पद लगती है.

अलवर. अलवर के इस गांव में लोग बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं. करीबी जनों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इन्हें पेड़ों का ही सहारा है (Mobile Signal on Tree). यानी इनकी मजबूरी का मोबाइल कनेक्शन है. जिस दौर में डिजिटल युग की बात की जा रही हो उसमें मोबाइल मजबूरी तो हो सकती है लेकिन मजबूरी के लिए पेड़ की चढ़ाई हैरान करती है.

डिजिटल इंडिया की हकीकत: अलवर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर अख़बरपुर के पास कालीखोर गांव में आज भी मोबाइल से सम्पर्क साधने के लिए 'रेंज' की तलाश में कभी पेड़ पर, कभी पहाड़ी पर तो कभी छत पर तो कभी गांव के बाहर निकल जाते हैं. ये अकेला गांव नहीं बल्कि अलवर जिले में 68 ऐसे क्षेत्र हैं जहां मोबाइल नेटवर्क शून्य है.गांव में अगर कोई इमरजेंसी होती है तो बड़े परेशानी आती है. इसके अलावा ये गांव में राशन का वितरण भी ऑनलाइन नहीं कर पाते हैं. चूंकि आजकल सब कम्प्यूटराइज्ड और डिजिटलाइज्ड है तो स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी इसकी मार पड़ती है. एएनएम को भी काम करने में नाको चने चबाने पड़ते हैं क्योंकि एंट्री तो ऑनलाइन ही मुमकिन है. तो इस तरह यहां कई सरकारी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं.

यहां पेड़ पर चढ़ लोग करते हैं मोबाइल से बात

हाथों में मोबाइल किसलिए!: राजस्थान सरकार महिलाओं को जल्द ही स्मार्ट मोबाइल देने जा रही है. इस मोबाइल में सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी महिलाओं को मिलेगी. राशन की सुविधा हो या स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए इंटरनेट सुविधा जरूरी होगी. मोबाइल में निशुल्क इंटरनेट पर बात करने की सुविधा होगी. सुनने में सुखद है लेकिन हकीकत में दुखद. मोबाइल वितरण की बात कर सरकार तो अपने नम्बर बढ़ा रही है लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है.

दिल्ली से महज 150 किलोमीटर दूर अलवर के कुछ गांव आज भी मोबाइल नेटवर्क की तलाश में हलकान हो रहे हैं. इतना की जान को जोखिम में डाल पेड़ की ऊंची डाल पर चढ़कर मोबाइल से बात करते हैं. हां अगर थोड़ा और वक्त मिले तो बात करने के लिए दो से तीन किलोमीटर दूर गांव से बाहर चले जाते हैं.

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