रांची : हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 08 जुलाई 2021, दिन गुरुवार को है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं.
जो भगवान भोलेनाथ की भक्ति करता है उसके लिए आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाला मासिक शिवरात्रि काफी महत्वपूर्ण है. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष का मासिक शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए काफी फलदायक होता है. इसको लेकर रांची के ज्योतिषाचार्य जितेंद्र महाराज बताते हैं कि जो व्यक्ति आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि का व्रत करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
ऐसे करें पूजन
ज्योतिषाचार्य जितेंद्र महाराज ने बताया कि आषाढ़ माह के बाद सावन का महीना आता है, जो भगवान भोलेनाथ के पूजा के लिए सबसे उत्तम और पवित्र महीना माना जाता है. इसीलिए सावन से पहले आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए काफी महत्व रखता है. मासिक शिवरात्रि के दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है. ज्योतिषाचार्य जितेंद्र महाराज ने बताया कि आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में होने वाले मासिक शिवरात्रि के दिन भक्त बेलपत्र, भांग, चंदन, शहद, गंगाजल, गाय का दूध और मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री आदि अर्पित कर पूजा कर सकते हैं. लोग इस दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखते हैं.
पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि हिंदी पंचांग के अनुसार माह के कृष्ण पक्ष के प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) और अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 8 जुलाई को शाम 4:00 बजे के बाद से पूजा करने का शुभ मुहूर्त होता है. जो भक्त भगवान शिव के लिए शिवरात्रि का व्रत रखेंगे दूसरे दिन के सूर्योदय तक बिना अन्न के भगवान भोलेनाथ की प्रार्थना करेंगे. उसके बाद ही व्रत रखने वाले लोग पारण करेंगे.
मासिक शिवरात्रि पर बन रहे दो शुभ योग
मासिक शिवरात्रि के दिन वृद्धि और ध्रुव योग बन रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, वृद्धि योग शाम 04 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. इसके बाद ध्रुव योग लग जाएगा. ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योगों को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इन योग में किये गए कार्य सफल होते हैं. वहीं ज्योतिषाचार्य का कहना है कि आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का मासिक शिवरात्रि सभी राशि के लोगों के लिए महत्व रखता है, लेकिन खासकर तुला, मकर, कुंभ, और कर्क राशि के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव आर शक्ति की देवी मां पार्वती का मिलन हुआ था, इसी वजह से हर शिवरात्रि को शिव और शक्ति की पूजा की जाती है. भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामना पूरी होती है.
मासिक शिवरात्रि पूजन विधि
- श्रद्धालुओं को शिवरात्रि की रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए.
- मासिक शिवरात्रि वाले दिन आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के बाद किसी मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें.
- पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें.
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. अब आप भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें.
- शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें.
- इसके बाद शाम के समय फल खा सकते हैं, लेकिन व्रती को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें.
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