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भू कानून पर धामी ने खेला 'मास्टरस्ट्रोक', 2024 में अभी भी कई चुनौतियां, कैसे पार पाएंगे पुष्कर? - सीएम पुष्कर सिंह धामी

Dhami Government Big Challenges in Year 2024 उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साल 2023 में कई ऐसे फैसले लिए और काम किए, जिसकी वजह से उनका राष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ा. साथ ही देश और दुनिया में सुर्खियां भी बटोरी. अगर 2024 की बात करें तो सीएम धामी के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं. हालांकि, सीएम धामी ने साल के पहले दिन ही मास्टरस्ट्रोक खेला है. जिसके तहत उत्तराखंड में बाहरी राज्य का व्यक्ति कृषि और उद्यान के लिए भूमि नहीं खरीद सकेगा. अग्रिम आदेशों तक भूमि खरीद पर रोक लगा दी है. इसके अलावा कई चुनौतियां हैं, जिस पर सीएम धामी पार पाना है.

Dhami Government Big Challenges For 2024
धामी सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 27, 2023, 3:07 PM IST

Updated : Jan 1, 2024, 4:39 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): साल 2023 खत्म हो चुका है और नए साल का आगाज हो चुका है. साल 2023 धामी सरकार के लिए कई मायने में बेहद खास रहा. बीते साल सीएम धामी के कई निर्णयों और कामों ने देश दुनिया में सुर्खियां बटोरी, लेकिन साल 2024 में धामी सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. इसके साथ ही कुछ ऐसे काम भी हैं, जो उत्तराखंड के लिए बेहद खास रहने की संभावना है.

लोकसभा चुनाव 2024: साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां दमखम से तैयारी में जुटी हुई हैं. हालांकि, बीजेपी सरकार के लिए यह लोकसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि, पिछले दो लोकसभा चुनाव से बीजेपी उत्तराखंड की पांचों सीटें जीतती आई है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती यही है कि पांचों सीटें जीतकर हैट्रिक बनाएं. यही वजह है कि धामी सरकार अभी से ही लोकसभा चुनाव की रणनीतियों के तहत काम करना शुरू कर चुकी है.

उत्तराखंड में निकाय चुनाव: उत्तराखंड में निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. ऐसे में इसी साल निकाय चुनाव होने थे, लेकिन निकाय चुनाव नहीं हो पाए. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2024 में लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती यही है कि निकाय चुनाव में वो बेहतर प्रदर्शन करे. हालांकि, बीजेपी संगठन हमेशा ही चुनावी मूड में रहता है, यही वजह है कि बीजेपी अपनी चुनावी तैयारी लगातार जारी रखती है.

उत्तराखंड में यूसीसी: यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता के लिए गठित कमेटी मसौदा लगभग तैयार कर चुकी है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि नए साल पर यूसीसी के लिए गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति, फाइनल ड्राफ्ट उत्तराखंड सरकार को सौंप सकती है. इसके बाद धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को उत्तराखंड में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी.

वहीं, राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती ये भी है कि जब यूसीसी के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, उसके बाद से ही प्रदेश में तमाम संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया था. लिहाजा, जब उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा, उस दौरान भी तमाम राजनीतिक संगठनों का विरोध भी धामी सरकार को झेलना पड़ सकता है.

राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण: लंबे समय से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की मांग कर रहे हैं. अभी तक राज्य आंदोलनकारी को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है. हालांकि, धामी सरकार ने आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिए जाने के लिए विधानसभा में विधेयक भी पेश किया था, लेकिन यह विधेयक आधा-अधूरा होने के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने इसे प्रवर समिति को सौंप दिया था.

लिहाजा, प्रवर समिति ने 9 नवंबर 2023 को फाइनल रिपोर्ट तैयार कर विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी. ऐसे में उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में ही विशेष सत्र के दौरान इस विधेयक को पारित कर दिया जाएगा. जिसके बाद राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिल पाएगा.
ये भी पढ़ेंः देहरादून में पारंपरिक परिधान में गरजे लोग, मूल निवास 1950 और भू कानून को लेकर तानी मुठ्ठी

उत्तराखंड में सख्त भू कानून: उत्तराखंड में सशक्त भू कानून की मांग लंबे समय से चली आ रही है. हालांकि, जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था, उस दौरान पहली निर्वाचित सरकार ने भू कानून को काफी ज्यादा सख्त बनाया था. लेकिन समय के साथ उसमें बदलाव होते रहे. इसी कड़ी में साल 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान भी भू कानून में काफी रियायत दी गई. जिसके चलते उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, तमाम संगठन सख्त भू कानून की मांग कर रहे हैं.

Challenges For Dhami Government
सीएम धामी का बढ़ा कद

इसको देखते हुए हाल ही में धामी सरकार ने भू कानून समिति की रिपोर्ट का परीक्षण किए जाने को लेकर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय 'प्रारूप समिति' का गठन किया है. ऐसे में साल 2024 धामी सरकार के लिए इसलिए भी बड़ा चुनौती पूर्ण रहेगा कि कैसे उत्तराखंड में सख्त भू कानून को लागू किया जाए?

उत्तराखंड में मूल निवास: हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया था. आदेश के तहत जिनके पास मूल निवास प्रमाण पत्र है, उनको अब स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि, इसके बाद ही उत्तराखंड में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 करने की मांग उठने लगी. साथ ही 24 दिसंबर को तमाम संगठनों से जुड़े लोगों ने देहरादून में विशाल महारैली की.

उससे एक दिन पहले ही 23 दिसंबर को सीएम धामी के निर्देश पर निर्णय लिया गया कि भू कानून के लिए गठित प्रारूप समिति मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में मानकों का निर्धारण किए जाने को लेकर अपनी संस्तुति देगी. ऐसे में साल 2024 के दौरान मूल निवास का मामला और बड़े आंदोलन की ओर बढ़ सकता है, जो धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहेगी.

कैबिनेट विस्तार: साल 2024 धामी मंत्रिमंडल विस्तार के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दरअसल, लंबे समय से कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री बनने की आस में तमाम विधायक बैठे हुए हैं. लिहाजा, संभावना जताई जा रही है कि साल 2024 में मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. बता दें कि धामी मंत्रिमंडल में चार सीट खाली चल रही हैं.

हालांकि, साल 2022 में सरकार के गठन के बाद से ही तीन सीटें खाली चल रही थी, लेकिन इसी साल 2023 में कैबिनेट मंत्री रहे चंदन रामदास का निधन हो गया. जिसके चलते धामी मंत्रिमंडल की एक और सीट खाली हो गई थी. लिहाजा, वर्तमान समय में धामी मंत्रिमंडल में चार सीटें खाली हैं. ऐसे में धामी मंत्रिमंडल की खाली सीटों को भरने के लिए विधायकों का चयन धामी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के सालाना बजट से करीब 4 गुना ज्यादा पर MoU साइन, धरातल पर उतरा निवेश तो बदल जाएगी प्रदेश की तस्वीर!

एमओयू की ग्राउंडिंग: डेस्टिनेशन उत्तराखंड और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तराखंड में निवेश के लिए साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू साइन हुए हैं. हालांकि, इन्वेस्टर्स समिट के लिए आयोजित दो दिवसीय मुख्य कार्यक्रम से पहले ही 44 हजार करोड़ रुपए की ग्राउंडिंग हो चुकी थी. वहीं, अब राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती यही है कि जो करार निवेशकों के साथ हुए हैं, उन करार के तहत शत प्रतिशत ग्राउंडिंग की जा सके.

Challenges For Dhami Government
सीएम धामी के नेतृत्व में हुए कई ऐतिहासिक फैसले

हालांकि, इसके लिए इन्वेस्टर्स समिट का मुख्य कार्यक्रम संपन्न होने के बाद ही धामी सरकार कई दौर की बैठक कर चुकी है. साथ ही इस बाबत सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी लोगों के सहयोग से ही ज्यादा से ज्यादा एमओयू को धरातल पर उतारा जा सके. इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को स्थापित किया जा सके. ताकि, स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार मिल सके.

उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति: साल 2024 में लोकायुक्त के नियुक्ति की संभावना है. दरअसल, लंबे समय से लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग उठती आ रही है. जिसको लेकर अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने तीन महीने के भीतर लोकायुक्त के गठन के निर्देश दिए थे. जिसके बाद धामी सरकार की ओर से लोकपाल की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी गठित कर दी गई.

फिर 22 सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सर्च कमेटी की पहली बैठक की गई. जिसमें सर्च कमेटी में विधि वेत्ता की नियुक्ति के लिए नामों पर चर्चा की गयी. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव से पहले धामी सरकार, लोकायुक्त को नियुक्त कर मास्टर स्ट्रोक खेल सकती है.

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन: राज्य को 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है. ऐसे में सफलतापूर्वक 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करना धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहने वाली है. दरअसल, साल 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है. जिसके लिए खेल विभाग तैयारियों को मुकम्मल करने की कवायद में जुटा हुआ है, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय खेलों का आयोजन सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

देवभूमि उत्तराखंड को नशा मुक्त बनानाः उत्तराखंड में अवैध नशे का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. ऐसे में धामी सरकार ने साल 2025 तक ड्रग्स फ्री उत्तराखंड का लक्ष्य रखा है. जिसके तहत राज्य सरकार शहर से लेकर गांव-गांव स्तर पर भी जागरूकता अभियान चलाने जा रही है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में अवैध नशे का कारोबार फैल रहा है, उसे तोड़ना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

यही वजह है कि सरकार आम जनता की भागीदारी के साथ ही स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को अपने इस अभियान में शामिल करने जा रही है. ताकि, सरकार ने जो साल 2025 तक नशा मुक्ति उत्तराखंड का लक्ष्य रखा है, उसको साकार कर सके. ऐसे में नशे पर लगाम लगाकर लक्ष्य को पाना भी एक चुनौती है.

टीबी मुक्त उत्तराखंड: सरकार ने साल 2024 तक उत्तराखंड राज्य को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. उस दिशा में स्वास्थ्य विभाग बृहद स्तर पर अभियान चला रहा है. ताकि, उत्तराखंड को टीबी मुक्त किया जा सके. ऐसे में धामी सरकार के लिए साल 2024 तक टीबी मुक्त उत्तराखंड के लक्ष्य को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. क्योंकि, मौजूदा समय में उत्तराखंड में करीब साढ़े 12 हजार मरीज टीबी से ग्रसित हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी से ग्रसित मरीजों को ठीक करने के लिए नि-क्षय मित्र बनाए गए हैं.
ये भी पढ़ेंः 'नए साल पर यूसीसी कमेटी सरकार को सौंपेगी ड्राफ्ट, उत्तराखंड में जल्द लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड'

देहरादून (उत्तराखंड): साल 2023 खत्म हो चुका है और नए साल का आगाज हो चुका है. साल 2023 धामी सरकार के लिए कई मायने में बेहद खास रहा. बीते साल सीएम धामी के कई निर्णयों और कामों ने देश दुनिया में सुर्खियां बटोरी, लेकिन साल 2024 में धामी सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. इसके साथ ही कुछ ऐसे काम भी हैं, जो उत्तराखंड के लिए बेहद खास रहने की संभावना है.

लोकसभा चुनाव 2024: साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां दमखम से तैयारी में जुटी हुई हैं. हालांकि, बीजेपी सरकार के लिए यह लोकसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि, पिछले दो लोकसभा चुनाव से बीजेपी उत्तराखंड की पांचों सीटें जीतती आई है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती यही है कि पांचों सीटें जीतकर हैट्रिक बनाएं. यही वजह है कि धामी सरकार अभी से ही लोकसभा चुनाव की रणनीतियों के तहत काम करना शुरू कर चुकी है.

उत्तराखंड में निकाय चुनाव: उत्तराखंड में निकायों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. ऐसे में इसी साल निकाय चुनाव होने थे, लेकिन निकाय चुनाव नहीं हो पाए. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2024 में लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती यही है कि निकाय चुनाव में वो बेहतर प्रदर्शन करे. हालांकि, बीजेपी संगठन हमेशा ही चुनावी मूड में रहता है, यही वजह है कि बीजेपी अपनी चुनावी तैयारी लगातार जारी रखती है.

उत्तराखंड में यूसीसी: यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता के लिए गठित कमेटी मसौदा लगभग तैयार कर चुकी है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि नए साल पर यूसीसी के लिए गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति, फाइनल ड्राफ्ट उत्तराखंड सरकार को सौंप सकती है. इसके बाद धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को उत्तराखंड में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी.

वहीं, राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती ये भी है कि जब यूसीसी के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, उसके बाद से ही प्रदेश में तमाम संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया था. लिहाजा, जब उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा, उस दौरान भी तमाम राजनीतिक संगठनों का विरोध भी धामी सरकार को झेलना पड़ सकता है.

राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण: लंबे समय से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की मांग कर रहे हैं. अभी तक राज्य आंदोलनकारी को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है. हालांकि, धामी सरकार ने आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिए जाने के लिए विधानसभा में विधेयक भी पेश किया था, लेकिन यह विधेयक आधा-अधूरा होने के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने इसे प्रवर समिति को सौंप दिया था.

लिहाजा, प्रवर समिति ने 9 नवंबर 2023 को फाइनल रिपोर्ट तैयार कर विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी. ऐसे में उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में ही विशेष सत्र के दौरान इस विधेयक को पारित कर दिया जाएगा. जिसके बाद राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिल पाएगा.
ये भी पढ़ेंः देहरादून में पारंपरिक परिधान में गरजे लोग, मूल निवास 1950 और भू कानून को लेकर तानी मुठ्ठी

उत्तराखंड में सख्त भू कानून: उत्तराखंड में सशक्त भू कानून की मांग लंबे समय से चली आ रही है. हालांकि, जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था, उस दौरान पहली निर्वाचित सरकार ने भू कानून को काफी ज्यादा सख्त बनाया था. लेकिन समय के साथ उसमें बदलाव होते रहे. इसी कड़ी में साल 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान भी भू कानून में काफी रियायत दी गई. जिसके चलते उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, तमाम संगठन सख्त भू कानून की मांग कर रहे हैं.

Challenges For Dhami Government
सीएम धामी का बढ़ा कद

इसको देखते हुए हाल ही में धामी सरकार ने भू कानून समिति की रिपोर्ट का परीक्षण किए जाने को लेकर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय 'प्रारूप समिति' का गठन किया है. ऐसे में साल 2024 धामी सरकार के लिए इसलिए भी बड़ा चुनौती पूर्ण रहेगा कि कैसे उत्तराखंड में सख्त भू कानून को लागू किया जाए?

उत्तराखंड में मूल निवास: हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए आदेश जारी किया था. आदेश के तहत जिनके पास मूल निवास प्रमाण पत्र है, उनको अब स्थायी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी. हालांकि, इसके बाद ही उत्तराखंड में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 करने की मांग उठने लगी. साथ ही 24 दिसंबर को तमाम संगठनों से जुड़े लोगों ने देहरादून में विशाल महारैली की.

उससे एक दिन पहले ही 23 दिसंबर को सीएम धामी के निर्देश पर निर्णय लिया गया कि भू कानून के लिए गठित प्रारूप समिति मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में मानकों का निर्धारण किए जाने को लेकर अपनी संस्तुति देगी. ऐसे में साल 2024 के दौरान मूल निवास का मामला और बड़े आंदोलन की ओर बढ़ सकता है, जो धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहेगी.

कैबिनेट विस्तार: साल 2024 धामी मंत्रिमंडल विस्तार के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दरअसल, लंबे समय से कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री बनने की आस में तमाम विधायक बैठे हुए हैं. लिहाजा, संभावना जताई जा रही है कि साल 2024 में मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. बता दें कि धामी मंत्रिमंडल में चार सीट खाली चल रही हैं.

हालांकि, साल 2022 में सरकार के गठन के बाद से ही तीन सीटें खाली चल रही थी, लेकिन इसी साल 2023 में कैबिनेट मंत्री रहे चंदन रामदास का निधन हो गया. जिसके चलते धामी मंत्रिमंडल की एक और सीट खाली हो गई थी. लिहाजा, वर्तमान समय में धामी मंत्रिमंडल में चार सीटें खाली हैं. ऐसे में धामी मंत्रिमंडल की खाली सीटों को भरने के लिए विधायकों का चयन धामी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के सालाना बजट से करीब 4 गुना ज्यादा पर MoU साइन, धरातल पर उतरा निवेश तो बदल जाएगी प्रदेश की तस्वीर!

एमओयू की ग्राउंडिंग: डेस्टिनेशन उत्तराखंड और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तराखंड में निवेश के लिए साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू साइन हुए हैं. हालांकि, इन्वेस्टर्स समिट के लिए आयोजित दो दिवसीय मुख्य कार्यक्रम से पहले ही 44 हजार करोड़ रुपए की ग्राउंडिंग हो चुकी थी. वहीं, अब राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती यही है कि जो करार निवेशकों के साथ हुए हैं, उन करार के तहत शत प्रतिशत ग्राउंडिंग की जा सके.

Challenges For Dhami Government
सीएम धामी के नेतृत्व में हुए कई ऐतिहासिक फैसले

हालांकि, इसके लिए इन्वेस्टर्स समिट का मुख्य कार्यक्रम संपन्न होने के बाद ही धामी सरकार कई दौर की बैठक कर चुकी है. साथ ही इस बाबत सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी लोगों के सहयोग से ही ज्यादा से ज्यादा एमओयू को धरातल पर उतारा जा सके. इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को स्थापित किया जा सके. ताकि, स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार मिल सके.

उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति: साल 2024 में लोकायुक्त के नियुक्ति की संभावना है. दरअसल, लंबे समय से लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग उठती आ रही है. जिसको लेकर अगस्त 2023 में हाईकोर्ट ने तीन महीने के भीतर लोकायुक्त के गठन के निर्देश दिए थे. जिसके बाद धामी सरकार की ओर से लोकपाल की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी गठित कर दी गई.

फिर 22 सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सर्च कमेटी की पहली बैठक की गई. जिसमें सर्च कमेटी में विधि वेत्ता की नियुक्ति के लिए नामों पर चर्चा की गयी. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव से पहले धामी सरकार, लोकायुक्त को नियुक्त कर मास्टर स्ट्रोक खेल सकती है.

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन: राज्य को 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिली है. ऐसे में सफलतापूर्वक 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करना धामी सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहने वाली है. दरअसल, साल 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है. जिसके लिए खेल विभाग तैयारियों को मुकम्मल करने की कवायद में जुटा हुआ है, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय खेलों का आयोजन सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

देवभूमि उत्तराखंड को नशा मुक्त बनानाः उत्तराखंड में अवैध नशे का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. ऐसे में धामी सरकार ने साल 2025 तक ड्रग्स फ्री उत्तराखंड का लक्ष्य रखा है. जिसके तहत राज्य सरकार शहर से लेकर गांव-गांव स्तर पर भी जागरूकता अभियान चलाने जा रही है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में अवैध नशे का कारोबार फैल रहा है, उसे तोड़ना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.

यही वजह है कि सरकार आम जनता की भागीदारी के साथ ही स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को अपने इस अभियान में शामिल करने जा रही है. ताकि, सरकार ने जो साल 2025 तक नशा मुक्ति उत्तराखंड का लक्ष्य रखा है, उसको साकार कर सके. ऐसे में नशे पर लगाम लगाकर लक्ष्य को पाना भी एक चुनौती है.

टीबी मुक्त उत्तराखंड: सरकार ने साल 2024 तक उत्तराखंड राज्य को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. उस दिशा में स्वास्थ्य विभाग बृहद स्तर पर अभियान चला रहा है. ताकि, उत्तराखंड को टीबी मुक्त किया जा सके. ऐसे में धामी सरकार के लिए साल 2024 तक टीबी मुक्त उत्तराखंड के लक्ष्य को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. क्योंकि, मौजूदा समय में उत्तराखंड में करीब साढ़े 12 हजार मरीज टीबी से ग्रसित हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी से ग्रसित मरीजों को ठीक करने के लिए नि-क्षय मित्र बनाए गए हैं.
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Last Updated : Jan 1, 2024, 4:39 PM IST
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