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मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष के बीच दो खाली घरों में लगाई गई आग

मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष के बीच आज तड़के दो खाली पड़े घरों में आग लगा दी गई. इस आगजनी की घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

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Published : Aug 2, 2023, 1:35 PM IST

इंफाल: मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में बुधवार तड़के अज्ञात लोगों ने एक विशेष समुदाय के दो खाली पड़े घरों में आग लगा दी. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि लंगोल इलाके में दमकल की गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया और आग पर काबू पा लिया गया. उन्होंने बताया कि इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है.

उन्होंने बताया कि यह घटना इलाके में गार्ड बदलने के बीच के अंतराल के दौरान हुई. अधिकारी ने कहा कि चूंकि घरों को निवासियों ने छोड़ दिया था, इसलिए सेना के जवानों द्वारा उनकी सुरक्षा की जा रही थी और सीआरपीएफ कर्मियों को घरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी थी. उन्होंने कहा, जब सेना के जवान बाहर जा रहे थे और सीआरपीएफ के जवान अंदर जा रहे थे, तो उपद्रवियों ने घरों में आग लगा दी. मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार की ओर से हिंसा पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. विपक्षी दलों की ओर से भी इस मुद्दे को संसद में उठाया गया है.

ये भी पढ़ें- मणिपुर मामले पर राष्ट्रपति से मिले विपक्षी दल, खड़गे बोले- पीएम को करना चाहिए मणिपुर का दौरा

मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसके बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई)

इंफाल: मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में बुधवार तड़के अज्ञात लोगों ने एक विशेष समुदाय के दो खाली पड़े घरों में आग लगा दी. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि लंगोल इलाके में दमकल की गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया और आग पर काबू पा लिया गया. उन्होंने बताया कि इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है.

उन्होंने बताया कि यह घटना इलाके में गार्ड बदलने के बीच के अंतराल के दौरान हुई. अधिकारी ने कहा कि चूंकि घरों को निवासियों ने छोड़ दिया था, इसलिए सेना के जवानों द्वारा उनकी सुरक्षा की जा रही थी और सीआरपीएफ कर्मियों को घरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी थी. उन्होंने कहा, जब सेना के जवान बाहर जा रहे थे और सीआरपीएफ के जवान अंदर जा रहे थे, तो उपद्रवियों ने घरों में आग लगा दी. मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार की ओर से हिंसा पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. विपक्षी दलों की ओर से भी इस मुद्दे को संसद में उठाया गया है.

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मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसके बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई)

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