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Krishna Janmashtami 2023: चारों पहर अपना रूप रंग बदलते हैं भगवान, गया की इस मंदिर में चतुर्भुज रूप में बांसुरी लिए विराजमान हैं श्री कृष्णा

गया के प्राचीन कृष्ण द्वारिका मंदिर में भगवान कृष्ण की काले पत्थर की अष्टधातु की प्रतिमा है. जो चारों पहर अपना रूप बदलती रहती है. यहां बांसुरी लिए हुए भगवान श्री कृष्णा बाल रूप और चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं. पढ़ें पूरी खबर..

गया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
गया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2023, 9:50 AM IST

Updated : Sep 6, 2023, 12:55 PM IST

गया की प्राचीन कृष्ण द्वारिका मंदिर

गयाः बिहार के गया में भगवान श्री कृष्ण की सदियों पुरानी प्रतिमा स्थापित है. गया के कृष्ण द्वारिका मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की यह बाल रूप की प्रतिमा चतुर्भुज रूप में बांसुरी लिए हुए विराजमान है. ऐसी प्रतिमा दुर्लभ रूप में ही देखने को मिलती है. खास बात ये है कि मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की प्रतिमा चारों पहर अपना रूप बदलती हैं.

ये भी पढ़ेंः Krishna Janmashtami 2023: आज या कल मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी..? जानें पूजा करने का शुभ मुहूर्त..

गया के कृष्ण द्वारिका में है अदभुत प्रतिमाः जानकारों का कहना है कि कुएं से धार्मिक आवाज की गूंज के बाद इस प्रतिमा को वहां पाया गया था और वहीं पर स्थापित कर दिया गया. यह 300 साल से भी ज्यादा पुरानी कहानी है. अत्यंत प्राचीन काल की यह प्रतिमा काले रंग में अष्टधातु के पत्थर में प्रतीत होती है. इस प्राचीन प्रतिमा की कलाकारी देखते ही बनती है. यहां बांसुरी लिए हुए भगवान श्री कृष्णा बाल रूप में चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं. ऐसी प्रतिमा दुर्लभ होती है.

दुर्लभ रूप में विराजमान हैं श्री कृष्णाः इस संबंध में पुजारी अरविंद कुमार मिश्रा बताते हैं कि यहां 300 से 400 साल पुराना मंदिर है. यहां भगवान को खरीद कर स्थापित नहीं किया गया है. भगवान कुएं में मिले थे. कुएं में मिलने के बाद प्राचीन इस प्रतिमा को वहीं पर स्थापित किया गया. यह बाल गोपाल की प्रतिमा के रूप में हैं. चारों पहर अपना रूप बदलते हैं. जिस स्त्री को बाल गोपाल नहीं होते, उनकी मनोकामना की पूर्ति होती है और गोद भर जाती है.

भगवान कृष्ण की अष्टधातु की प्रतिमा
भगवान कृष्ण की अष्टधातु की प्रतिमा

"300-350 वर्ष पहले एक कुएं से धार्मिक गूंज आ रही थी. देखा गया तो भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत प्रतिमा वहां पर थी. इसके बाद इस कुएं पर भगवान कृष्ण की इस अद्भुत प्रतिमा को स्थापित कर दिया गया, तब से यह प्रतिमा यहां विराजमान है. इस मंदिर में चमत्कारिक तौर पर मुरादें पूरी होती है. जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है"- अरविंद कुमार मिश्रा, पुजारी, कृष्ण द्वारका मंदिर

चोरों पहर रूप बदलते हैं भगवानः मंदिर के पुजारी के अनुसार सुबह, दोपहर, संध्या और रात में इनके बदले हुए रूप के दर्शन किए जा सकता हैं. सुबह में भगवान मुस्कुराते हुए, दोपहर में कुछ और, संध्या में कुछ और तो रात्रि में कुछ और मुद्रा में दिखते हैं. भगवान की ये चमत्कारी मुद्रा देख यहां आने वाले लोग अपने आप को धन्य मानते हैं. यह अति प्राचीन मंदिर है और यहां ये अति प्राचीन प्रतिमा है. प्रतिमा के संबंध में जन्म काल का किसी को पता नहीं है.

श्री कृष्ण का बाल रूप
श्री कृष्ण का बाल रूप

बाल रूप में भगवान करते हैं मनोकामना पूर्णः इस मंदिर में भगवान श्री कृष्णा बाल रूप में विष्णु रूप में बांसुरी लिए हुए विराजमान हैं. ऐसी प्रतिमा दुर्लभ होती है. यहां देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. भगवान की अद्भुत और दुर्लभ प्रतिमा की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. यहां भगवान बाल रूप में विराजमान हैं. ऐसे में यह बड़ी आस्था है, कि यहां संतान प्राप्ति की मन्नत को लेकर भक्त आते हैं. भक्त मानते हैं, कि यह भगवान के दर्शन पूजन करने से संतान की प्राप्ति जरूर होती है.

गया की प्राचीन कृष्ण द्वारिका मंदिर

गयाः बिहार के गया में भगवान श्री कृष्ण की सदियों पुरानी प्रतिमा स्थापित है. गया के कृष्ण द्वारिका मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की यह बाल रूप की प्रतिमा चतुर्भुज रूप में बांसुरी लिए हुए विराजमान है. ऐसी प्रतिमा दुर्लभ रूप में ही देखने को मिलती है. खास बात ये है कि मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की प्रतिमा चारों पहर अपना रूप बदलती हैं.

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गया के कृष्ण द्वारिका में है अदभुत प्रतिमाः जानकारों का कहना है कि कुएं से धार्मिक आवाज की गूंज के बाद इस प्रतिमा को वहां पाया गया था और वहीं पर स्थापित कर दिया गया. यह 300 साल से भी ज्यादा पुरानी कहानी है. अत्यंत प्राचीन काल की यह प्रतिमा काले रंग में अष्टधातु के पत्थर में प्रतीत होती है. इस प्राचीन प्रतिमा की कलाकारी देखते ही बनती है. यहां बांसुरी लिए हुए भगवान श्री कृष्णा बाल रूप में चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं. ऐसी प्रतिमा दुर्लभ होती है.

दुर्लभ रूप में विराजमान हैं श्री कृष्णाः इस संबंध में पुजारी अरविंद कुमार मिश्रा बताते हैं कि यहां 300 से 400 साल पुराना मंदिर है. यहां भगवान को खरीद कर स्थापित नहीं किया गया है. भगवान कुएं में मिले थे. कुएं में मिलने के बाद प्राचीन इस प्रतिमा को वहीं पर स्थापित किया गया. यह बाल गोपाल की प्रतिमा के रूप में हैं. चारों पहर अपना रूप बदलते हैं. जिस स्त्री को बाल गोपाल नहीं होते, उनकी मनोकामना की पूर्ति होती है और गोद भर जाती है.

भगवान कृष्ण की अष्टधातु की प्रतिमा
भगवान कृष्ण की अष्टधातु की प्रतिमा

"300-350 वर्ष पहले एक कुएं से धार्मिक गूंज आ रही थी. देखा गया तो भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत प्रतिमा वहां पर थी. इसके बाद इस कुएं पर भगवान कृष्ण की इस अद्भुत प्रतिमा को स्थापित कर दिया गया, तब से यह प्रतिमा यहां विराजमान है. इस मंदिर में चमत्कारिक तौर पर मुरादें पूरी होती है. जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है"- अरविंद कुमार मिश्रा, पुजारी, कृष्ण द्वारका मंदिर

चोरों पहर रूप बदलते हैं भगवानः मंदिर के पुजारी के अनुसार सुबह, दोपहर, संध्या और रात में इनके बदले हुए रूप के दर्शन किए जा सकता हैं. सुबह में भगवान मुस्कुराते हुए, दोपहर में कुछ और, संध्या में कुछ और तो रात्रि में कुछ और मुद्रा में दिखते हैं. भगवान की ये चमत्कारी मुद्रा देख यहां आने वाले लोग अपने आप को धन्य मानते हैं. यह अति प्राचीन मंदिर है और यहां ये अति प्राचीन प्रतिमा है. प्रतिमा के संबंध में जन्म काल का किसी को पता नहीं है.

श्री कृष्ण का बाल रूप
श्री कृष्ण का बाल रूप

बाल रूप में भगवान करते हैं मनोकामना पूर्णः इस मंदिर में भगवान श्री कृष्णा बाल रूप में विष्णु रूप में बांसुरी लिए हुए विराजमान हैं. ऐसी प्रतिमा दुर्लभ होती है. यहां देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. भगवान की अद्भुत और दुर्लभ प्रतिमा की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. यहां भगवान बाल रूप में विराजमान हैं. ऐसे में यह बड़ी आस्था है, कि यहां संतान प्राप्ति की मन्नत को लेकर भक्त आते हैं. भक्त मानते हैं, कि यह भगवान के दर्शन पूजन करने से संतान की प्राप्ति जरूर होती है.

Last Updated : Sep 6, 2023, 12:55 PM IST
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