अलीगढ़: जिले में मुस्लिम परिवार की बच्ची योगा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है. छोटी सी उम्र में दमदार योग कर परिवार का नाम रोशन किया है. 12 साल की उरूज मुदस्सिर राज्य स्तरीय योगा प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुकी है. हालांकि, उरूज के परिवार पर कट्टरपंथियों ने योगा नहीं करने का दबाव भी डाला. परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन, मां आशी ने तमाम विरोध को दरकिनार कर अपनी बेटी को योग करने से नहीं रोका. मां आशी मुदस्सिर ने बेटी की हौसला अफजाई की और कट्टरपंथियों की बातों को मानने से इनकार कर दिया. आशी अलीगढ़ में ऊपरकोट स्थित जामा मस्जिद के पास रहती हैं. सात साल की उम्र में ही उरूज ने योगा की फोटो देखकर ही कठिन से कठिन योग करना सीखा. आज उनकी इस प्रतिभा को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी भी सराहते हैं. जिले में योगा का कहीं भी कार्यक्रम हो, उरूज को प्रदर्शन के लिए बुलाया जाता है.
बहुत ही कम उम्र में उरुज योग के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है. कठिन से कठिन योगासन को बहुत ही आसानी से करती है. उरुज मुदस्सीर क्लास सिक्स की विद्यार्थी है. उरुज बताती है कि फोटो देखकर ही कठिन से कठिन योगासन करने का प्रयास किया. दरअसल, स्पोर्ट्स के शिक्षक शमशाद निसार ने लॉकडाउन के दौरान उरूज को योग की फोटो भेजी. उरुज ने योगासन को करने की प्रैक्टिस की और डेली प्रैक्टिस से योग को बेहतर कर सकी. 7 साल की उम्र से ही उरुज योगा कर रही है. 2021 में आगरा में स्टेट लेवल के योग कंपटीशन में उरूज ने स्वर्ण पदक जीता. इसके अलावा जिले भर में कई जगह योग प्रतियोगिता में भाग लेकर मेडल और सर्टिफिकेट हासिल किए. उरुज आज लोगों को योगा भी सिखाती है. इस बार योग दिवस पर उरुज मैसेज देना चाहती है कि लोग योग करें, इससे सेहत सही रहती है. अलीगढ़ के विधायक, डीएम और मेयर सम्मानित कर चुके हैं. वहीं, उरूज डाइट में हेल्दी फूड लेती है और जंक फूड से दूर रहती है.
उरूज की मां आशी मुदस्सिर प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका है. पिता मोहम्मद मुदस्सिर हार्डवेयर कारोबारी हैं. आशी मुदस्सिर बताती हैं कि लॉकडाउन के समय ऑनलाइन क्लास होती थी तो स्पोर्ट्स के टीचर शमशाद निसार ने योगा के कुछ पिक्चर भेजें. इसे देखकर उरूज योगा की प्रैक्टिस करती थी. बाद में योगा में उसकी दिलचस्पी बढ़ गई. वहीं, जब शमशाद निसार सर ने उरूज के योगा को देखा तो उसकी परफॉर्मेंस को मंच पर दिखाने का मौका मिला. जिले में कई कंपटीशन जीत चुकी है. वहीं, स्टेट लेवल की प्रतियोगिता भी जीती है. उरूज़ के कठिन योगा को देखकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के टीचर और कर्मचारियों ने भी खूब सराहा. मां आशी ने बताया कि शुरू में ऐसा नहीं लग रहा था कि इतने कठिन योगासन को उरूज कर सकती है. लेकिन, डेली प्रैक्टिस से कठिन से कठिन योगासन उरूज कर रही है. देखने में उरूज भले ही छोटी है. लेकिन, अपने योग के जरिए पहचान बनाई है.
हालांकि, इस्लाम में सूर्य नमस्कार जैसे योगासन का विरोध होता है और योग को हिंदू संस्कृति का अंग माना जाता है. आशी कहती हैं कि योग को लेकर बहुत कठिनाई आई. क्योंकि, हमारा कल्चर पर्दे वाला है. कुछ लोगों ने विरोध किया. बच्ची को योगासन कराने से मना भी किया. लेकिन, आशी मुदस्सिर ने तमाम विरोध को दरकिनार कर अपनी बेटी को योग करने से कभी नहीं रोका. उसकी हौसला अफजाई की. आशी बताती हैं कि कट्टरपंथियों की बातों को नहीं माना और बेटी के साथ खड़े रहकर योग करने का पूरा समर्थन किया.
यह भी पढ़ें: International Yoga Day 2023 : सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर में किया योग