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ट्रैफिक रूल तोड़ने वाले खबरदार! बॉडी कैमरे से लैस हैं जवान.. अब तेज गाड़ी चलाएंगे तो मशीन पकड़ लेगी

सड़कों पर अक्सर ही तेज गाड़ी चलाते हुए लोग नजर आएंगे. कई लोग ट्रैफिक नियम को तोड़ना तो अपना धर्म समझते हैं. ऐसे में बिहार में यातायात पुलिस (Bihar Traffic Police) को अब हाईटेक किया जा रहा है. इसी कड़ी में मुंगेर की यातायात पुलिस को भी आधुनिक उपकरण मुहैया कराए गए हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Traffic police became HighTech  in Munger
ट्रैफिक रूल तोड़ने वाले खबरदार! बॉडी कैमरे से लैस हैं जवान
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Published : Dec 29, 2021, 6:37 AM IST

मुंगेरः बिहार में यातायात पुलिस अब आधुनिक संसाधनों से लैस हो गई है. बॉडी वॉर्न कैमरा (Body Worn Camera) और ई-चालान मशीन के साथ वह सड़कों पर निगरानी के लिए उतर चुकी है. वहीं, बिहार के मुंगेर में भी ट्रैफिक पुलिस हाईटेक (High Tech Traffic Police In Munger) हो गई है. नियम के विरुद्ध वाहन चलाने वालों का पारदर्शिता के साथ चालान काटा जा रहा है. इस संसाधन से लैस होने के बाद पुलिस को बेवजह वाहन चालकों के आरोपों से निजात भी मिलेगी.

मुंगेर जिला यातायात थाना को दो बॉडी वॉर्न कैमरा दिया गया है. इस बॉडी कैमरे और ई-चालान मशीन के माध्यम से नियम के विरुद्ध वाहन चलाने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है. इस कैमरे में बिना हेलमेट चालाकों की सभी गतिविधि कैमरे में रिकॉर्ड हो जाती है. जिससे वाहन चालक बेवजह पुलिस पर आरोप नहीं लगाएगे कि हम हेलमेट पहने थे. पुलिस ने हमसे जबरन बिना हेलमेट बाइक चलाने का आरोप में जुर्माना वसूल लिया.

मुंगेर जिले में आज से इस कैमरे की शुरआत यतायात थानध्यक्ष अंजुम होदा खां ने की. उन्होंने किला परिसर क्षेत्र में वाहनों की जांच की. जांच के दौरान 6 लोगों से 9 हजार रुपये वसूले गये. थानाध्यक्ष ने बताया कि मुंगेर एसपी जगन्नाथ जला रेड्डी की पहल पर दो बॉडी वॉर्न कैमरा मिला है. इसकी आज से शुरुआत की गई.

देखें वीडियो

थानाध्यक्ष ने ये भी बताया कि इस कैमरे में ऑडियो, वीडियो और फोटो आदि रिकॉर्ड होती है. इस कैमरे से जांच के दौरान 100-200 मीटर तक सामने से आ रहे वाहनों की रिकॉर्डिंग की जा सकती है. आगे उन्होंने कहा कि अब वाहन जांच के दौरान कोई भी व्यक्ति पुलिस पर कोई आरोप नहीं लगा सकता क्योंकि जांच के दौरान सभी चीजें इस कैमरे से रिकॉर्ड होंगी.

क्या है बॉडी वॉर्न कैमरा
बॉडी वॉर्न कैमरा एक नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक वीडियो डिवाइस है. इस डिवाइस के माध्यम से लगभग 200 मीटर तक की वीडियो छवि एचडी क्वालिटी में रिकॉर्ड हो जाती है. इसमें वीडियो के साथ-साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड होता है. इसके अलावा बॉडी वॉर्न कैमरा में फोटो भी लेने की सुविधा है. इसे ट्रैफिक पुलिस कर्मी अपने कंधे पर इसे लगाकर रखते हैं. वाहन जांच के दौरान जैसे ही किसी वाहन को ये लोग देखते हैं, उनके शोल्डर पर लगा ये डिवाइस वाहन चालक की गतिविधि को कैद कर लेता है. मसलन अगर कोई वाहन चालक बिना हेलमेट के ही आ रहा है, तो पुलिस उसे रोकती है और हेलमेट नहीं लगाने के कारण उससे जुर्माना वसूल करती है. उसकी सारी गतिविधियां बॉडी वॉर्न कैमरा में भी रिकॉर्ड हो जाती हैं.

बॉडी वॉर्न कैमरा बाइक राइडर के हेलमेट पर लगे हुए कैमरे की तरह होता है. राइडर्स जिस तरह हेलमेट के ऊपर लगाकर बाइक राइडिंग के समय सभी गतिविधि को रिकॉर्ड करता है और जो चीजें गलत होती है उसे वह दिखाता भी है. उसी तरह यातायात पुलिस भी बॉडी वॉर्न कैमरे से लैस हो गई है. यतायात पुलिस को सुदृढ़ और पारदर्शिता बनाने के लिए बॉडी वॉर्न कैमरा दिया गया है. जिससे की वाहन चेकिंग के दौरान किसी भी गतिविधि काे रिकॉर्ड किया जा सके.

ये भी पढ़ें- वरिष्ठ आईपीएस मनोज मालवीय बने पश्चिम बंगाल के नए पुलिस प्रमुख

दरअसल, इससे पहले शहर में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर ऑफलाइन जुर्माना वसूला जाता था. परिवहन विभाग के माध्यम से ट्रैफिक पुलिस को रसीद दी जाती थी. रसीद से जो वसूली होती थी उसकी एंट्री होती है. इस एंट्री में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आती थीं. कई बार तो महीनों तक रसीद के बारे में परिवहन विभाग को जानकारी ही नहीं मिलती. जिससे यह पता नहीं चलता था कि विभाग की ओर से दी गई रसीद का कितना उपयोग हुआ और कितने राजस्व की वसूली हुई. इस परेशानी को देखते हुए अब हर शहर में ट्रैफिक पुलिस को हैंडहोल्ड डिवाइस देने की तैयारी की जा रही है.

मुंगेरः बिहार में यातायात पुलिस अब आधुनिक संसाधनों से लैस हो गई है. बॉडी वॉर्न कैमरा (Body Worn Camera) और ई-चालान मशीन के साथ वह सड़कों पर निगरानी के लिए उतर चुकी है. वहीं, बिहार के मुंगेर में भी ट्रैफिक पुलिस हाईटेक (High Tech Traffic Police In Munger) हो गई है. नियम के विरुद्ध वाहन चलाने वालों का पारदर्शिता के साथ चालान काटा जा रहा है. इस संसाधन से लैस होने के बाद पुलिस को बेवजह वाहन चालकों के आरोपों से निजात भी मिलेगी.

मुंगेर जिला यातायात थाना को दो बॉडी वॉर्न कैमरा दिया गया है. इस बॉडी कैमरे और ई-चालान मशीन के माध्यम से नियम के विरुद्ध वाहन चलाने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है. इस कैमरे में बिना हेलमेट चालाकों की सभी गतिविधि कैमरे में रिकॉर्ड हो जाती है. जिससे वाहन चालक बेवजह पुलिस पर आरोप नहीं लगाएगे कि हम हेलमेट पहने थे. पुलिस ने हमसे जबरन बिना हेलमेट बाइक चलाने का आरोप में जुर्माना वसूल लिया.

मुंगेर जिले में आज से इस कैमरे की शुरआत यतायात थानध्यक्ष अंजुम होदा खां ने की. उन्होंने किला परिसर क्षेत्र में वाहनों की जांच की. जांच के दौरान 6 लोगों से 9 हजार रुपये वसूले गये. थानाध्यक्ष ने बताया कि मुंगेर एसपी जगन्नाथ जला रेड्डी की पहल पर दो बॉडी वॉर्न कैमरा मिला है. इसकी आज से शुरुआत की गई.

देखें वीडियो

थानाध्यक्ष ने ये भी बताया कि इस कैमरे में ऑडियो, वीडियो और फोटो आदि रिकॉर्ड होती है. इस कैमरे से जांच के दौरान 100-200 मीटर तक सामने से आ रहे वाहनों की रिकॉर्डिंग की जा सकती है. आगे उन्होंने कहा कि अब वाहन जांच के दौरान कोई भी व्यक्ति पुलिस पर कोई आरोप नहीं लगा सकता क्योंकि जांच के दौरान सभी चीजें इस कैमरे से रिकॉर्ड होंगी.

क्या है बॉडी वॉर्न कैमरा
बॉडी वॉर्न कैमरा एक नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक वीडियो डिवाइस है. इस डिवाइस के माध्यम से लगभग 200 मीटर तक की वीडियो छवि एचडी क्वालिटी में रिकॉर्ड हो जाती है. इसमें वीडियो के साथ-साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड होता है. इसके अलावा बॉडी वॉर्न कैमरा में फोटो भी लेने की सुविधा है. इसे ट्रैफिक पुलिस कर्मी अपने कंधे पर इसे लगाकर रखते हैं. वाहन जांच के दौरान जैसे ही किसी वाहन को ये लोग देखते हैं, उनके शोल्डर पर लगा ये डिवाइस वाहन चालक की गतिविधि को कैद कर लेता है. मसलन अगर कोई वाहन चालक बिना हेलमेट के ही आ रहा है, तो पुलिस उसे रोकती है और हेलमेट नहीं लगाने के कारण उससे जुर्माना वसूल करती है. उसकी सारी गतिविधियां बॉडी वॉर्न कैमरा में भी रिकॉर्ड हो जाती हैं.

बॉडी वॉर्न कैमरा बाइक राइडर के हेलमेट पर लगे हुए कैमरे की तरह होता है. राइडर्स जिस तरह हेलमेट के ऊपर लगाकर बाइक राइडिंग के समय सभी गतिविधि को रिकॉर्ड करता है और जो चीजें गलत होती है उसे वह दिखाता भी है. उसी तरह यातायात पुलिस भी बॉडी वॉर्न कैमरे से लैस हो गई है. यतायात पुलिस को सुदृढ़ और पारदर्शिता बनाने के लिए बॉडी वॉर्न कैमरा दिया गया है. जिससे की वाहन चेकिंग के दौरान किसी भी गतिविधि काे रिकॉर्ड किया जा सके.

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दरअसल, इससे पहले शहर में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर ऑफलाइन जुर्माना वसूला जाता था. परिवहन विभाग के माध्यम से ट्रैफिक पुलिस को रसीद दी जाती थी. रसीद से जो वसूली होती थी उसकी एंट्री होती है. इस एंट्री में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आती थीं. कई बार तो महीनों तक रसीद के बारे में परिवहन विभाग को जानकारी ही नहीं मिलती. जिससे यह पता नहीं चलता था कि विभाग की ओर से दी गई रसीद का कितना उपयोग हुआ और कितने राजस्व की वसूली हुई. इस परेशानी को देखते हुए अब हर शहर में ट्रैफिक पुलिस को हैंडहोल्ड डिवाइस देने की तैयारी की जा रही है.

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