इंदौर। न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 23 सितंबर को पारित अपने आदेश में राज्य के मुख्य सचिव को तीन महीने के भीतर इस मामले में तर्कसंगत और मौखिक आदेश पारित करने का भी निर्देश दिया. बता दें कि इस मामले को यहां की एक विशेष अदालत ने पिछले महीने बंद कर दिया था. ये कथित पेंशन घोटाला 2005 में हुआ था. इंदौर नगर निगम में हुए इस कथित पेंशन घोटाला मामले को लेकर राज्य सरकार ने भाजपा महासचिव विजयवर्गीय और अन्य पर 17 साल तक मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी थी. शिकायतकर्ता केके मिश्रा मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष हैं. मिश्रा ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
केके मिश्रा दो माह के अंदर नया आवेदन दें : हाईकोर्ट के आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई. इसमें केके मिश्रा द्वारा कथित पेंशन घोटाले पर दायर याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें दो सप्ताह की अवधि के भीतर पहले के आवेदन और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ एक नया आवेदन दाखिल करने का निर्देश है. केके मिश्रा की याचिका पर बहस के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी से संबंधित अभ्यावेदन पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा.
Indore Pension Scam पेंशन घोटाले पर कैलाश विजयवर्गीय मौन, केस के लिए कांग्रेस की कवायद जारी
पेंशन घोटाले में 33 करोड़ के घपले का आरोप : बता दें कि इंदौर की विशेष अदालत ने 29 अगस्त को तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय और अन्य लोक सेवकों के खिलाफ कथित पेंशन घोटाला मामले को बंद कर दिया था. राज्य सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी थी. मिश्रा ने आरोप लगाया कि जब विजयवर्गीय 2000 से 2005 तक इंदौर के मेयर थे, तब इंदौर नगर निगम ने बेसहारा, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों को राष्ट्रीय बैंकों और डाकघरों के बजाय सहकारी संस्थानों के माध्यम से पेंशन का भुगतान किया था. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जो लोग अपात्र या मृत या यहां तक कि गैर-मौजूदा व्यक्तियों को पेंशन मिली, जिससे सरकार को 33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. (पीटीआई)
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