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Muharram 2023: मुहर्रम पर ख्वाजा नगरी अजमेर में खेला गया हाईदौस, प्रशासन ने दी 100 तलवारें, 800 साल से हो रहा आयोजन - हाईदौस खेलने की वर्षों पुरानी परंपरा

आज मुहर्रम के मौके पर अजमेर में हाईदौस खेला गया. ख्वाजा नगरी में पिछले 800 सालों से इसका आयोजन होता आ रहा है. वहीं, सबसे खास बात यह है कि देश में केवल अजमेर में ही हाईदौस खेला जाता है.

Muharram 2023
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Published : Jul 29, 2023, 4:52 PM IST

ख्वाजा नगरी में खेला गया हाईदौस

अजमेर. मुहर्रम के मौके पर अजमेर में हाईदौस खेलने की वर्षों पुरानी परंपरा है, जो आज भी जीवंत है. इस परंपरा के तहत द अंदरकोटियान पंचायत से जुड़े लोग तलवारे हाथ में लहराते बड़े घेरे में हाईदौस खेलते हुए कर्बला का मंजर पेश करते हैं. खास बात यह है कि हाईदौस की परंपरा के लिए प्रशासन एक दिन पहले ही अंदरकोटियान पंचायत के लोगों को सौ तलवारे वितरित करता है. वहीं, हाईदौस के बाद तलवारे प्रशासन को वापस कर दी जाती है. सबसे खास बात यह है कि हाईदौस देश में केवल अजमेर और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हैदराबाद में ही खेला जाता है.

दरअसल, मुहर्रम पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. वहीं, अजमेर दरगाह क्षेत्र स्थित अंदरकोट में बीते 800 सालों से मुहर्रम की 10 तारीख को हाईदौस खेला जाता है. शनिवार को द अंदरकोटियान पंचायत की ओर से दरगाह क्षेत्र के अंदरकोट में हाईदौस का आयोजन किया गया. जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्रित हुए थे.

इसे भी पढ़ें - अजमेर दरगाह के खादिमों ने जिला प्रशासन से की मोहर्रम पर धार्मिक परंपरा निभाने के लिए गाइडलाइन में शिथिलता देने की मांग

इस दौरान हाइदौस खेलने के लिए प्रशासन ने एक दिन पहले द अंदरकोटियान पंचायत को 100 तलवारे और एक तोप दी थी. यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से ही बदस्तूर जारी है. आजादी से पूर्व अंग्रेज अधिकारी हाईदौस खेलने के लिए अंदरकोटियान पंचायत के पदाधिकारियों को तलवार वितरित किया करते थे, जिससे लोग हाईदौस खेलते थे और कर्बला के मंजर को पेश करते थे.

शनिवार को भी वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया. इस दौरान लोग चीखते-चिल्लाते हाथों में तलवार थामे लहराते हुए बड़े से घेरे में हाईदौस खेलते नजर आए. दोपहर के दौरान त्रिपोलिया गेट से हाईदौस खेलते हुए सैकड़ों लोग नंगी तलवारें लहराने लगे, जो चीखते-चिल्लाते आगे बढ़े. बताया गया कि हाईदौस के जरिए अंदरकोट पंचायत के लोग अपनी भावना व्यक्त करते हैं. साथ ही इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं.

Muharram 2023
800 साल पुरानी परंपरा

डोले शरीफ की निकाली सवारी - द अंदरकोटियान पंचायत के पदाधिकारी एसएम अकबर ने बताया कि हाईदौस के साथ ही डोले शरीफ की सवारी भी निकाली गई. इस गमजदा मौके पर ज्यादात्तर लोगों ने रोजा रखा. वहीं, कई लोगों ने छबील (प्याऊ) शर्बत और लंगर के रूप में खाना तकसीम (बांटा) किया. इस दौरान ढाई दिन के झोपड़े के समीप पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर, प्रशासनिक अधिकारी देविका तोमर, एसपी चुनाराम जाट समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. हाईदौस के बीच कई बार तोप भी दागे गए और बावड़ी पंहुचने के बाद डोले शरीफ को ठंडा किया गया.

इसे भी पढ़ें - अजमेर: कोरोना के चलते मुस्लिम समाज घरों में ही रहकर मनाएगा मुहर्रम

एक दर्जन से ज्यादा लोग हुए घायल - हाईदौस खेलते समय तलवारे लोग जोश में तेजी से लहराते हैं. इस कारण कई लोग जख्मी हो जाते हैं. इस बार हाईदौस खेलने के दौरान करीब डेढ दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गए. हालांकि, मौके पर मौजूद चिकित्सा विभाग की टीमों ने घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार दिया.

बिरादरी के लोग ही संभालते हैं व्यवस्था - हाईदौस घेरे में ही खेला जाए. साथ ही किसी तरह की कोई अव्यवस्था न हो इसका जिम्मा खुद पंचायत के लोग ही संभालते हैं. द अंदरकोटियान पंचायत के लोग ही वालियंटर्स के रूप में हाईदौस के दौरान लठ थामे मौजूद रहते हैं और व्यवस्थाओं को संभालते हैं. इस बार भी पंचायत के मौजवी लोग हाथों में लठ लेकर व्यवस्था संभालते नजर आए. हालांकि, बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता भी मौके पर मौजूद रहा.

नियमों का कई लोग करते हैं उल्लंघन - हाईदौस खेलने के दौरान कई लोग नियमों का उल्लंघन करते हुए भी नजर आए. साथ ही मौके पर बच्चे भी हाईदौस खेलते दिखे. जबकि बच्चों को हाईदौस से दूर रखा जाता है. मगर लोग बच्चों को भी घेरे में ले लेते हैं. हालांकि वोलियंटर्स बच्चों को बीच-बीच मे घेरे से दूर करते रहते हैं.

जायरीन के लिए हाईदौस बनता है आकर्षण - अजमेर में विश्वविख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हजारों लोग जियारत के लिए आते हैं. ऐसे में उनके लिए हाईदौस विशेष आकर्षण होता है. असल में देश में हाईदौस केवल अजमेर में खेला जाता है. वहीं, इस बिरादरी के लोग ही पाकिस्तान के हैदराबाद में भी रहते हैं, ऐसे में वहां भी हाईदौस खेला जाता है. यही वजह है कि सैकडों लोगों को नंगी तलवारे लहराते हुए जंग का मंजर पेश करते देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं.

ये बोले बिरादरी के लोग - बिरादरी के लोगों का कहना है कि सदियों से हाईदौस खेला जा रहा है. समय के साथ बिरादरी की आबादी भी बढ़ी है. अभी हाईदौस खेलने के लिए प्रशासन 100 तलवारें देता है, जो कम पड़ती है. एक तलवार से 4 से 5 लोग बारी-बारी से हाईदौस खेलते हैं. इस बीच लोगों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. कई बार इसको लेकर झगड़े भी हो जाते हैं. ऐसे में प्रशासन से तलवारों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की जाती रही है. इस बार प्रशासन से 100 तलवारों का ही लाइसेंस मिला है.

ख्वाजा नगरी में खेला गया हाईदौस

अजमेर. मुहर्रम के मौके पर अजमेर में हाईदौस खेलने की वर्षों पुरानी परंपरा है, जो आज भी जीवंत है. इस परंपरा के तहत द अंदरकोटियान पंचायत से जुड़े लोग तलवारे हाथ में लहराते बड़े घेरे में हाईदौस खेलते हुए कर्बला का मंजर पेश करते हैं. खास बात यह है कि हाईदौस की परंपरा के लिए प्रशासन एक दिन पहले ही अंदरकोटियान पंचायत के लोगों को सौ तलवारे वितरित करता है. वहीं, हाईदौस के बाद तलवारे प्रशासन को वापस कर दी जाती है. सबसे खास बात यह है कि हाईदौस देश में केवल अजमेर और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हैदराबाद में ही खेला जाता है.

दरअसल, मुहर्रम पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. वहीं, अजमेर दरगाह क्षेत्र स्थित अंदरकोट में बीते 800 सालों से मुहर्रम की 10 तारीख को हाईदौस खेला जाता है. शनिवार को द अंदरकोटियान पंचायत की ओर से दरगाह क्षेत्र के अंदरकोट में हाईदौस का आयोजन किया गया. जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्रित हुए थे.

इसे भी पढ़ें - अजमेर दरगाह के खादिमों ने जिला प्रशासन से की मोहर्रम पर धार्मिक परंपरा निभाने के लिए गाइडलाइन में शिथिलता देने की मांग

इस दौरान हाइदौस खेलने के लिए प्रशासन ने एक दिन पहले द अंदरकोटियान पंचायत को 100 तलवारे और एक तोप दी थी. यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से ही बदस्तूर जारी है. आजादी से पूर्व अंग्रेज अधिकारी हाईदौस खेलने के लिए अंदरकोटियान पंचायत के पदाधिकारियों को तलवार वितरित किया करते थे, जिससे लोग हाईदौस खेलते थे और कर्बला के मंजर को पेश करते थे.

शनिवार को भी वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया. इस दौरान लोग चीखते-चिल्लाते हाथों में तलवार थामे लहराते हुए बड़े से घेरे में हाईदौस खेलते नजर आए. दोपहर के दौरान त्रिपोलिया गेट से हाईदौस खेलते हुए सैकड़ों लोग नंगी तलवारें लहराने लगे, जो चीखते-चिल्लाते आगे बढ़े. बताया गया कि हाईदौस के जरिए अंदरकोट पंचायत के लोग अपनी भावना व्यक्त करते हैं. साथ ही इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं.

Muharram 2023
800 साल पुरानी परंपरा

डोले शरीफ की निकाली सवारी - द अंदरकोटियान पंचायत के पदाधिकारी एसएम अकबर ने बताया कि हाईदौस के साथ ही डोले शरीफ की सवारी भी निकाली गई. इस गमजदा मौके पर ज्यादात्तर लोगों ने रोजा रखा. वहीं, कई लोगों ने छबील (प्याऊ) शर्बत और लंगर के रूप में खाना तकसीम (बांटा) किया. इस दौरान ढाई दिन के झोपड़े के समीप पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर, प्रशासनिक अधिकारी देविका तोमर, एसपी चुनाराम जाट समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. हाईदौस के बीच कई बार तोप भी दागे गए और बावड़ी पंहुचने के बाद डोले शरीफ को ठंडा किया गया.

इसे भी पढ़ें - अजमेर: कोरोना के चलते मुस्लिम समाज घरों में ही रहकर मनाएगा मुहर्रम

एक दर्जन से ज्यादा लोग हुए घायल - हाईदौस खेलते समय तलवारे लोग जोश में तेजी से लहराते हैं. इस कारण कई लोग जख्मी हो जाते हैं. इस बार हाईदौस खेलने के दौरान करीब डेढ दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गए. हालांकि, मौके पर मौजूद चिकित्सा विभाग की टीमों ने घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार दिया.

बिरादरी के लोग ही संभालते हैं व्यवस्था - हाईदौस घेरे में ही खेला जाए. साथ ही किसी तरह की कोई अव्यवस्था न हो इसका जिम्मा खुद पंचायत के लोग ही संभालते हैं. द अंदरकोटियान पंचायत के लोग ही वालियंटर्स के रूप में हाईदौस के दौरान लठ थामे मौजूद रहते हैं और व्यवस्थाओं को संभालते हैं. इस बार भी पंचायत के मौजवी लोग हाथों में लठ लेकर व्यवस्था संभालते नजर आए. हालांकि, बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता भी मौके पर मौजूद रहा.

नियमों का कई लोग करते हैं उल्लंघन - हाईदौस खेलने के दौरान कई लोग नियमों का उल्लंघन करते हुए भी नजर आए. साथ ही मौके पर बच्चे भी हाईदौस खेलते दिखे. जबकि बच्चों को हाईदौस से दूर रखा जाता है. मगर लोग बच्चों को भी घेरे में ले लेते हैं. हालांकि वोलियंटर्स बच्चों को बीच-बीच मे घेरे से दूर करते रहते हैं.

जायरीन के लिए हाईदौस बनता है आकर्षण - अजमेर में विश्वविख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हजारों लोग जियारत के लिए आते हैं. ऐसे में उनके लिए हाईदौस विशेष आकर्षण होता है. असल में देश में हाईदौस केवल अजमेर में खेला जाता है. वहीं, इस बिरादरी के लोग ही पाकिस्तान के हैदराबाद में भी रहते हैं, ऐसे में वहां भी हाईदौस खेला जाता है. यही वजह है कि सैकडों लोगों को नंगी तलवारे लहराते हुए जंग का मंजर पेश करते देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं.

ये बोले बिरादरी के लोग - बिरादरी के लोगों का कहना है कि सदियों से हाईदौस खेला जा रहा है. समय के साथ बिरादरी की आबादी भी बढ़ी है. अभी हाईदौस खेलने के लिए प्रशासन 100 तलवारें देता है, जो कम पड़ती है. एक तलवार से 4 से 5 लोग बारी-बारी से हाईदौस खेलते हैं. इस बीच लोगों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. कई बार इसको लेकर झगड़े भी हो जाते हैं. ऐसे में प्रशासन से तलवारों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की जाती रही है. इस बार प्रशासन से 100 तलवारों का ही लाइसेंस मिला है.

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