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उत्तराखंड में आफत बनकर बरसता है मॉनसून, पिछले 3 सालों में एक हजार करोड़ रुपए पानी में डूबे - उत्तराखंड सरकार न्यूज

infrastructure development उत्तराखंड में मॉनसून सीजन के दौरान जन-जीवन तो अस्त-व्यस्त होता ही है. साथ ही साथ सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान होता है. तेज बारिश होने की वजह से नदी-नाले उफान पर होते हैं, जिससे सड़कें और पुल उनके तेज बहाव में बह जाते हैं और प्रदेश सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा इससे उबरने में लगता है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 4, 2023, 10:01 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 10:53 PM IST

देहरादून: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड में हर साल प्राकृतिक आपदाओं का कहर बरसता है. सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई में हर साल कई करोड़ों रुपये लग जाते हैं. पिछले 3 सालों में लोक निर्माण विभाग का 1000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान केवल प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हुआ है.

infrastructure development
उत्तराखंड में आफत बनकर आता है मॉनसून

2021-22 में मॉनसून सीजन में 598 करोड़ का हुआ नुकसान: अगर बीते सालों की बात करें तो वर्ष 2021-22 में मॉनसून सीजन के चलते प्रदेश की सड़कों और पुलों को कुल मिलाकर 598 करोड़ का नुकसान हुआ था. वहीं वर्ष 2022-23 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 386 करोड़ का नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है. इस सत्र की बात करें तो वर्ष 2023-24 का अभी शुरुआती फेज चल रहा है और जून महीने के बाद से मॉनसून सीजन का आकलन किया जाता है.

इस मॉनसून सीजन में 1888 सड़कें हुईं बंद : इस मॉनसून सीजन में अगर पूरे प्रदेश भर में बंद हुई सड़कों की बात करें तो इस मॉनसून सीजन में 1888 सड़कें बंद हुई हैं. जिसमें से पौड़ी रीजन में अब तक सबसे ज्यादा 973 सड़कें मॉनसून सीजन में बाधित हुई हैं. दूसरे नंबर पर अल्मोड़ा रीजन में अब तक 440 सड़कें बंद हुई हैं और देहरादून रीजन में 377, जबकि हल्द्वानी रीजन में अब तक 98 सड़कें बंद हुई हैं. इनमें से ज्यादातर सड़कों को अस्थाई रूप से त्वरित आवाजाही के लिए खोल दिया जाता है. साथ ही 15 नेशनल हाईवे भी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बंद हुए हैं. वहीं, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की 693 सड़कें इस मॉनसून सीजन में बंद हुई हैं. कुल मिलाकर अब तक के मॉनसून सीजन में 2596 सड़कें और हाइवे बाधित हुए हैं. जिनमें से ज्यादातर सड़कों को खोल दिया गया है. वहीं, कुछ सड़कें ऐसी है जिन का स्थाई समाधान संभव नहीं है और इनके लिए बड़ी डीपीआर तैयार की जा रही है.

मार्गों को अस्थाई रूप से खोलने में तकरीबन 50 करोड़ से ज्यादा का खर्च: लोक निर्माण विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक मार्ग बंद होने के बाद उसे त्वरित अस्थाई रूप से खोलने में तकरीबन 50 करोड़ से ज्यादा का खर्च हो चुका है. वहीं, मार्ग और पुलों को पहले की तरह स्थाई रूप से निर्माण करने या फिर पुनर्निर्माण के लिए 325 करोड़ की लागत का अनुमान लगाया गया है. इस तरह से इस मॉनसून सीजन में अब तक दैवीय आपदा के चलते तकरीबन 375 करोड़ से ज्यादा का नुकसान का आकलन किया गया है.
ये भी पढ़ें: Watch: केदारनाथ हाईवे पर एक झटके में ढह गया रिजॉर्ट, Live वीडियो देखिए

आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग मिलकर करते हैं काम: लोकमान्य विभाग में विभाग अध्यक्ष दयानंद ने बताया कि हर साल विभाग का बड़ा बजट आपदा में टूटी सड़कों की मरम्मत के लिए निकलता है और लगातार हर साल बजट में प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी मत रखा जाता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग मिलकर इस रणनीति पर काम कर रहा है कि कम से कम नुकसान हो साथ ही कार्यों की गुणवत्ता को लेकर भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि आपदा प्रबंधन विभाग लगातार अपनी रणनीति प्रदेश में डिजास्टर मिटिगेशन की तरफ केंद्रित कर रहा है.

ये भी पढ़ें: देहरादून में उफनते नाले में बहा व्यक्ति, पुलिया पार करते समय हुआ हादसा, सर्च ऑपरेशन जारी

देहरादून: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड में हर साल प्राकृतिक आपदाओं का कहर बरसता है. सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई में हर साल कई करोड़ों रुपये लग जाते हैं. पिछले 3 सालों में लोक निर्माण विभाग का 1000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान केवल प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हुआ है.

infrastructure development
उत्तराखंड में आफत बनकर आता है मॉनसून

2021-22 में मॉनसून सीजन में 598 करोड़ का हुआ नुकसान: अगर बीते सालों की बात करें तो वर्ष 2021-22 में मॉनसून सीजन के चलते प्रदेश की सड़कों और पुलों को कुल मिलाकर 598 करोड़ का नुकसान हुआ था. वहीं वर्ष 2022-23 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 386 करोड़ का नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है. इस सत्र की बात करें तो वर्ष 2023-24 का अभी शुरुआती फेज चल रहा है और जून महीने के बाद से मॉनसून सीजन का आकलन किया जाता है.

इस मॉनसून सीजन में 1888 सड़कें हुईं बंद : इस मॉनसून सीजन में अगर पूरे प्रदेश भर में बंद हुई सड़कों की बात करें तो इस मॉनसून सीजन में 1888 सड़कें बंद हुई हैं. जिसमें से पौड़ी रीजन में अब तक सबसे ज्यादा 973 सड़कें मॉनसून सीजन में बाधित हुई हैं. दूसरे नंबर पर अल्मोड़ा रीजन में अब तक 440 सड़कें बंद हुई हैं और देहरादून रीजन में 377, जबकि हल्द्वानी रीजन में अब तक 98 सड़कें बंद हुई हैं. इनमें से ज्यादातर सड़कों को अस्थाई रूप से त्वरित आवाजाही के लिए खोल दिया जाता है. साथ ही 15 नेशनल हाईवे भी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से बंद हुए हैं. वहीं, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की 693 सड़कें इस मॉनसून सीजन में बंद हुई हैं. कुल मिलाकर अब तक के मॉनसून सीजन में 2596 सड़कें और हाइवे बाधित हुए हैं. जिनमें से ज्यादातर सड़कों को खोल दिया गया है. वहीं, कुछ सड़कें ऐसी है जिन का स्थाई समाधान संभव नहीं है और इनके लिए बड़ी डीपीआर तैयार की जा रही है.

मार्गों को अस्थाई रूप से खोलने में तकरीबन 50 करोड़ से ज्यादा का खर्च: लोक निर्माण विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक मार्ग बंद होने के बाद उसे त्वरित अस्थाई रूप से खोलने में तकरीबन 50 करोड़ से ज्यादा का खर्च हो चुका है. वहीं, मार्ग और पुलों को पहले की तरह स्थाई रूप से निर्माण करने या फिर पुनर्निर्माण के लिए 325 करोड़ की लागत का अनुमान लगाया गया है. इस तरह से इस मॉनसून सीजन में अब तक दैवीय आपदा के चलते तकरीबन 375 करोड़ से ज्यादा का नुकसान का आकलन किया गया है.
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आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग मिलकर करते हैं काम: लोकमान्य विभाग में विभाग अध्यक्ष दयानंद ने बताया कि हर साल विभाग का बड़ा बजट आपदा में टूटी सड़कों की मरम्मत के लिए निकलता है और लगातार हर साल बजट में प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी मत रखा जाता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग मिलकर इस रणनीति पर काम कर रहा है कि कम से कम नुकसान हो साथ ही कार्यों की गुणवत्ता को लेकर भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि आपदा प्रबंधन विभाग लगातार अपनी रणनीति प्रदेश में डिजास्टर मिटिगेशन की तरफ केंद्रित कर रहा है.

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Last Updated : Aug 4, 2023, 10:53 PM IST
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