वाराणसी: जी-20 सम्मेलन को लेकर शतकीय बैठक सोमवार को वाराणसी में शुरू हुई. तीन दिवसीय इस बैठक की शुरुआत वाराणसी के एक पांच सितारा होटल में हुई है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने किया. 19 देशों के 34 संगठनों से जुड़े 80 प्रतिनिधि अलग-अलग हिस्सों से इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए काशी पहुंचे. इनकी हिस्सेदारी दोपहर में देखने को मिली जबकि शाम को ये काशी भ्रमण को निकले. नमो घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे विदेशी मेहमान भारतीय परंपरा और यहां की संस्कृति में इस तरह से घुल मिल गए कि सब कुछ भूल कर यहां पर चल रहे पारंपरिक नृत्य कार्यक्रम में हिस्सेदार बन गए. इन्होनें जमकर कहरिया और बमरसिया लोकनृत्य का आनंद लिया.
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन एवं सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल डॉ. वीके सिंह ने वाराणसी में कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की जी20 बैठक का उद्घाटन किया. सिंह ने कहा कि भारत की जी 20 अध्यक्षता थीम एक पृथ्वी एक परिवार, एक भविष्य है. मंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और पोषण संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए बायो फोर्टिफाइड फसलों की किस्में अति महत्वपूर्ण होती हैं.
भारत में 5 मिलियन हेक्टयर से अधिक क्षेत्रफल में विभिन्न फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों की खेती की जा रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फसलों, बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन, मिट्टी तथा जल विशेषज्ञता, कृषि मशीनरी के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ भाकृअनुप संस्थानों और केवीके की अखिल भारतीय उपस्थिति और किसानों की पहुंच का उपयोग पौधों, जानवरों, मनुष्य और मशीन के साथ आईसीटी इंटरफेस प्रदान करने के लिए किया जा रहा है.
जनरल वीके सिंह ने आग्रह किया कि जी-20 देशों को कृषि की टिकाऊ पद्धतियों के विविध क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए जो फसल उत्पादन प्रणालियों के विविधीकरण, जल संसाधनों के प्रबंधन और उर्वरकों के कुशल उपयोग, बागवानी के प्रबंधन एवं मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा कि उभरती डिजिटल तकनीकों का उपयोग जी 20 देशों और दुनिया भर में खेती को आसान बनाने के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्री अन्न (मोटा अनाज ) वर्ष घोषित किया है, जो श्री अन्न के लाभों से दुनिया को अवगत एवं जागरूक करने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि भारत ने इसे जन आंदोलन बना दिया है और सभी जी 20 देशों से इस पहल का समर्थन करने का अनुरोध किया है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सचिव व महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक व संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप) ने बैठक में उपस्थित मेहमानों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि श्री अन्न के अंतरराष्ट्रीय वर्ष-2023 के उपलक्ष में भारत ने मिलेट्स और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि) पर एमएसीएस द्वारा इसे अपनाने के लिए जी 20 के सहयोग का भी प्रस्ताव किया है.
इसके बाद कृषि खाद्य प्रणाली परिवर्तन के लिए नवाचार और तकनीकी, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स, पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए खाद्य फसलों में बायोफोर्टिफिकेशन, पोषण और ब्ल्यू क्रांति के लिए उष्णकटिबंधीय समुद्री शैवाल की खेती, श्री अन्न के उत्पादन एवं पोषण हेतु प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि), पर एकीकृत दृष्टिकोण के रूप में समन्वित कार्रवाई के लिए साझेदारी और नीतियों के बनाने पर जोर दिया गया. इसके अलावा अन्य विषयों जैसे सीमा पार कीट और रोग, टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणालियों के लिए अनुसंधान एवं विकास प्राथमिकताएं, टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणालियों के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी और नवाचार, प्रकृतिक खेती, रेजिलिएट एग्रीफूड सिस्टम के निर्माण के लिए विज्ञान और नवाचार, जैविक नाइट्रिफिकेशन इनहिबिशन (बीएनआई): जीएचएस उत्सर्जन को कम करना और फसल की पैदावार बढ़ाना है.
18 अप्रैल को, प्रतिनिधि दल डिजिटल कृषि और सतत कृषि मूल्य श्रृंखला, कृषि अनुसंधान एवं विकास में सार्वजनिक निजी भागीदारी पर विचार-विमर्श करेंगे और एमएसीएस विज्ञप्ति द्वारा जी 20 देशों के कम्यूनिक में इस पर चर्चा करेंगे. G20 सदस्य देशों यानी ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए के लगभग 80 प्रतिनिधि और यूरोपीय संघ के अलावा आमंत्रित अतिथि देशों में बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, जमान, सिंगापुर, स्पेन यूएई, वियतनाम तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, एफएसबी, ओईसीडी, अध्यक्ष क्षेत्रीय संगठनों के एय ऑडा- एनईपीएडी, आसियान और भारत द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य यानी अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सीडीआर और एशियाई विकास बैंक इस तीन दिवसीय बैठक में भाग लेंगे.
फिलहाल जी-20 की बैठक के पहले दिन आए मेहमानों ने बनारस में भारतीय संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होने का कोई मौका नहीं छोड़ा. नमो घाट पर जहां पारंपरिक नृत्य में इन्होंने शिरकत की वहीं इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सभी नौका विहार करते हुए चीजें दशाश्वमेध घाट पहुंचे. जहां विधिवत गंगा पूजन करने के बाद उन्होंने गंगा आरती भी देखी. गंगा आरती की भव्यता और दिव्य रूप देखकर वह काफी मंत्रमुग्ध दिखाई दिए अलग-अलग देशों से आए मेहमानों ने गंगा आरती के इस रूप को देखकर खुशी जाहिर की उनका भव्य स्वागत गंगा सेवा निधि की तरफ से किया गया.