देहरादून (उत्तराखंड): दीपावली के दिन उत्तरकाशी जिले में बड़ा हादसा हुआ. जिले के सिलक्यारा से डंडाल गांव तक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 40 वर्कर अंदर फंसे रह गए. 24 घंटे से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद श्रमिकों को बाहर नहीं निकाला जा सका है. राहत और बचाव कार्य मौके पर जारी है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी हादसे वाली जगह पहुंचकर ताजा हालात का जायजा लिया है. फिलहाल मौके पर प्रशासन मुस्तैद है.
ऐसे में देहरादून के जाने माने वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विपुल कंडवाल ने सुरंग में फंसे श्रमिकों को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें और कुछ सुझाव सरकार को दिए हैं, जिससे अंदर फंसे लोगों का जीवन बचाया जा सके. डॉ विपुल का कहना है कि मैटर ये नहीं करता है कि अंदर फंसे श्रमिक 30 साल के हैं या फिर 50 से 60 साल के हैं. बल्कि अंदर फंसे वर्करों की लेवल ऑफ इंजरी पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि सबसे पहले सुरंग में फंसे लोगों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन है.
उन्होंने कहा कि सुरंग के मलबे को जल्द से जल्द हटाना जरूरी है. तभी लोगों को सेफगार्ड किया जा सकता है. सुरंग से रेस्क्यू किए जाने के बाद श्रमिकों की स्थिति के हिसाब से इंजरी देखनी पड़ेगी. सुरंग के ढहने के बाद श्रमिक की मानसिक स्थिति पर कितना प्रभाव पड़ा है, यह श्रमिकों के बाहर निकलने पर ही पता चल पाएगा. कई बार बारही चोट से ज्यादा खतरा अंदरूनी चोट से होता है. उन्होंने कहा कि श्रमिकों को मिनिमम इंजरी और जल्दी निकालने की दिशा में काम करना चाहिए.
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डॉ. विपुल कंडवाल की माने तो इस तरह के हादसों में जल्द से जल्द रेस्क्यू किया जाना चाहिए. अगर सुरंग में लोग दबे हुए हैं तो जितना विलंब होगा. उससे ऑक्सीजन की कमी और भोजन की कमी बढ़ेगी और मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं.