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Kabul House से निकाले गए 16 परिवारों का दर्द, 11 दिसंबर को होनी है बेटी की शादी, उससे पहले ही हो गए बेघर

Dehradun administration evicted 16 families from 144 year old Kabul House उत्तराखंड के देहरादून में ईस्ट कैनल रोड पर स्थित 144 साल पुराने काबुल हाउस में प्रशासन ने शत्रु संपत्ति की कार्रवाई की, जिसके तहत प्रशासन ने वहां रह रहे 16 परिवारों को एक ही दिन में बेघर कर दिया. काबुल हाउस से जिन परिवारों को निकाला गया है, वो वहां करीब 70 साले से बसे हुए थे. इन्ही में से कुछ परिवारों की पीड़ा ईटीवी भारत ने सुनी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 3, 2023, 9:51 PM IST

Updated : Nov 4, 2023, 12:50 PM IST

Kabul House से निकाले गए 16 परिवारों का दर्द

देहरादून (उत्तराखंड): बीती दो नवंबर को देहरादून जिला प्रशासन ने 144 साल पुराने काबुल हाउस को शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए वहां रह रहे 16 परिवारों को एक ही रात में बेघर कर दिया. इनमें कई परिवार तो ऐसे हैं, जो पिछले 70 साल से काबुल हाउस में रहे थे, लेकिन एक ही झटके में वो परिवार आज सड़कों पर आ गए. उनकी इस पीड़ा को शायद ही कोई समझ पाए. ऐसे ही एक परिवार के बारे में आपको बताते हैं, जिनके घर 11 दिसंबर को शादी की शहनाइयां बजनी थी, लेकिन शादी के एक महीने पहले ही परिवार के सिर से छत उठ गई है. रातों रात ये परिवार सड़क पर आ गया.

बेटी की शादी की तैयारी करें या घर ढूंढे: काबुल हाउस से जिन 16 परिवारों को निकाला गया है, उसमें एक संजय का परिवार भी है. संजय ने बताया कि आगामी 11 दिसंबर को उनकी बेटी की शादी होनी है. परिवार के सभी लोग शादी की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उससे पहले ही उन पर बड़ी विपदा आ गई. जिस घर में वो पिछले 70 सालों से रह रहे थे, जिस आंगन से उनकी बेटी की डोली उठनी थी, प्रशासन ने उस घर से ही उन्हें निकाल दिया.
पढ़ें- देहरादून में अफगानिस्तान के राजा का ऐतिहासिक काबुल हाउस सील, 16 परिवारों से खाली करवाया कब्जा, 40 सालों से अटका था केस

कई परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर: संजय के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो बेटी की शादी की तैयारी करें या फिर किराए का मकान ढूंढे. संजय ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही बहुत कमजोर है. वहीं जिस युवती की एक महीने बाद शादी होनी है, उससे भी ईटीवी भारत के संवाददाता रोहित सोनी ने बात की. हालांकि, इस परिस्थिति में वो कुछ ज्यादा बोल नहीं पाई.

खुले आसमान में गुजारी रात: वहीं कई और परिवार भी हैं, जिनके सामने संजय जैसे ही चुनौतियां हैं. सबकी चिंता यही है कि इस ठंड के इस मौसम में वो अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएं. इतना ही नहीं, प्रशासन ने बिजली-पानी की लाइन काटने के साथ ही शौचालय का गेट भी बंद कर दिया है. ऐसे हालात में इन परिवारों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Kabul House
घर के आंगन में बिखरा पड़ा सामान.

प्रशासन ने पहले ही दे दिया था नोटिस: प्रशासन का कहना है कि उन्होंने 25 अक्टूबर को सभी परिवारों को मकान खाली करने का नोटिस दिया था, लेकिन जब इन परिवारों ने प्रशासन के नोटिस के बाद भी मकान खाली नहीं किया तो दो नवंबर गुरुवार को जबरन लोगों को घरों से बाहर निकाला गया और काबुल हाउस को सील किया गया.
पढ़ें- कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण, बड़े जिम्मेदारों तक नहीं पहुंची जांच की आंच, हरक सिंह ने पहली बार इन अफसरों को लपेटा

नैनीताल हाईकोर्ट से मिली राहत: हालांकि, तीन नवंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने सभी बेघर परिवारों को अपना ठिकाना ढूंढ़ने के लिए एक माह का वक्त दे दिया, जिसके बाद प्रशासन ने सभी घरों का एक कमरा खोल दिया है, ताकि परिवार यहां पर रात गुजार सकें. बता दें कि करीब 400 करोड़ रुपए के काबुल हाउस संपत्ति पर पिछले 40 साल से विवाद जिलाधिकारी कोर्ट देहरादून में चल रहा है. हालांकि, कुछ दिन पहले ही देहरादून डीएम ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए यहां हुए कब्जे को हटाने का आदेश जारी कर दिया था, जिसके चलते यहां रह रहे परिवारों को घर खाली करने का नोटिस दे दिया गया था.

Kabul House
सड़क पर आए 16 परिवार.

नोटिस दिए जाने के बावजूद घर न खाली करने पर प्रशासन की ओर से जबरन घरों को खाली कराया गया, साथ ही घरों को सील कर दिया गया. इस संपत्ति पर करीब 16 परिवार बसे हुए हैं, जिनकी कुल आबादी करीब 150 है. कब्जेदारों का कहना है कि वो पिछले 70 सालों से यह बसे हैं, बावजूद इसके सरकार को अब क्यों याद आ रही है.

काबुल हाउस का इतिहास: बता दें कि, देहरादून में काबुल हाउस को साल 1879 में राजा मोहम्मद याकूब खान ने बनवाया था. मोहम्मद याकूब खान अफगान के शाही परिवार से थे. मोहम्मद याकूब खान 1879 से 1923 में अपनी मृत्यु तक यहां रहे. फिर भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान याकूब खान के वशंज भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस गए थे. तभी काबुल हाउस पर कुछ परिवारों ने कब्जा कर लिया था, जो पिछले 70 सालों से यहां बसे हुए थे, लेकिन शत्रु संपत्ति होने के चलते प्रशासन ने अब उन सभी परिवारों को काबुल हाउस से निकाल दिया गया है.

Kabul House से निकाले गए 16 परिवारों का दर्द

देहरादून (उत्तराखंड): बीती दो नवंबर को देहरादून जिला प्रशासन ने 144 साल पुराने काबुल हाउस को शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए वहां रह रहे 16 परिवारों को एक ही रात में बेघर कर दिया. इनमें कई परिवार तो ऐसे हैं, जो पिछले 70 साल से काबुल हाउस में रहे थे, लेकिन एक ही झटके में वो परिवार आज सड़कों पर आ गए. उनकी इस पीड़ा को शायद ही कोई समझ पाए. ऐसे ही एक परिवार के बारे में आपको बताते हैं, जिनके घर 11 दिसंबर को शादी की शहनाइयां बजनी थी, लेकिन शादी के एक महीने पहले ही परिवार के सिर से छत उठ गई है. रातों रात ये परिवार सड़क पर आ गया.

बेटी की शादी की तैयारी करें या घर ढूंढे: काबुल हाउस से जिन 16 परिवारों को निकाला गया है, उसमें एक संजय का परिवार भी है. संजय ने बताया कि आगामी 11 दिसंबर को उनकी बेटी की शादी होनी है. परिवार के सभी लोग शादी की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उससे पहले ही उन पर बड़ी विपदा आ गई. जिस घर में वो पिछले 70 सालों से रह रहे थे, जिस आंगन से उनकी बेटी की डोली उठनी थी, प्रशासन ने उस घर से ही उन्हें निकाल दिया.
पढ़ें- देहरादून में अफगानिस्तान के राजा का ऐतिहासिक काबुल हाउस सील, 16 परिवारों से खाली करवाया कब्जा, 40 सालों से अटका था केस

कई परिवारों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर: संजय के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो बेटी की शादी की तैयारी करें या फिर किराए का मकान ढूंढे. संजय ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही बहुत कमजोर है. वहीं जिस युवती की एक महीने बाद शादी होनी है, उससे भी ईटीवी भारत के संवाददाता रोहित सोनी ने बात की. हालांकि, इस परिस्थिति में वो कुछ ज्यादा बोल नहीं पाई.

खुले आसमान में गुजारी रात: वहीं कई और परिवार भी हैं, जिनके सामने संजय जैसे ही चुनौतियां हैं. सबकी चिंता यही है कि इस ठंड के इस मौसम में वो अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएं. इतना ही नहीं, प्रशासन ने बिजली-पानी की लाइन काटने के साथ ही शौचालय का गेट भी बंद कर दिया है. ऐसे हालात में इन परिवारों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Kabul House
घर के आंगन में बिखरा पड़ा सामान.

प्रशासन ने पहले ही दे दिया था नोटिस: प्रशासन का कहना है कि उन्होंने 25 अक्टूबर को सभी परिवारों को मकान खाली करने का नोटिस दिया था, लेकिन जब इन परिवारों ने प्रशासन के नोटिस के बाद भी मकान खाली नहीं किया तो दो नवंबर गुरुवार को जबरन लोगों को घरों से बाहर निकाला गया और काबुल हाउस को सील किया गया.
पढ़ें- कॉर्बेट पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण, बड़े जिम्मेदारों तक नहीं पहुंची जांच की आंच, हरक सिंह ने पहली बार इन अफसरों को लपेटा

नैनीताल हाईकोर्ट से मिली राहत: हालांकि, तीन नवंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने सभी बेघर परिवारों को अपना ठिकाना ढूंढ़ने के लिए एक माह का वक्त दे दिया, जिसके बाद प्रशासन ने सभी घरों का एक कमरा खोल दिया है, ताकि परिवार यहां पर रात गुजार सकें. बता दें कि करीब 400 करोड़ रुपए के काबुल हाउस संपत्ति पर पिछले 40 साल से विवाद जिलाधिकारी कोर्ट देहरादून में चल रहा है. हालांकि, कुछ दिन पहले ही देहरादून डीएम ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए यहां हुए कब्जे को हटाने का आदेश जारी कर दिया था, जिसके चलते यहां रह रहे परिवारों को घर खाली करने का नोटिस दे दिया गया था.

Kabul House
सड़क पर आए 16 परिवार.

नोटिस दिए जाने के बावजूद घर न खाली करने पर प्रशासन की ओर से जबरन घरों को खाली कराया गया, साथ ही घरों को सील कर दिया गया. इस संपत्ति पर करीब 16 परिवार बसे हुए हैं, जिनकी कुल आबादी करीब 150 है. कब्जेदारों का कहना है कि वो पिछले 70 सालों से यह बसे हैं, बावजूद इसके सरकार को अब क्यों याद आ रही है.

काबुल हाउस का इतिहास: बता दें कि, देहरादून में काबुल हाउस को साल 1879 में राजा मोहम्मद याकूब खान ने बनवाया था. मोहम्मद याकूब खान अफगान के शाही परिवार से थे. मोहम्मद याकूब खान 1879 से 1923 में अपनी मृत्यु तक यहां रहे. फिर भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान याकूब खान के वशंज भारत छोड़कर पाकिस्तान में बस गए थे. तभी काबुल हाउस पर कुछ परिवारों ने कब्जा कर लिया था, जो पिछले 70 सालों से यहां बसे हुए थे, लेकिन शत्रु संपत्ति होने के चलते प्रशासन ने अब उन सभी परिवारों को काबुल हाउस से निकाल दिया गया है.

Last Updated : Nov 4, 2023, 12:50 PM IST
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