रायपुर : आम आदमी पार्टी लगातार अपने संगठन को मजबूत कर रही है.दिल्ली और पंजाब के बाद अब आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व छत्तीसगढ़ में आप की सरकार बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है. इसके लिए आम आदमी पार्टी के नेता लगातार प्रदेश में दौरे कर रहे हैं.ऐसे में ये कहना गलत ना होगा कि आने वाले समय में प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.
केंद्रीय नेतृत्व कर रहा छत्तीसगढ़ का दौरा : आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी अब छत्तीसगढ़ में अपनी संभावनाएं ढूंढ रहा है. इसलिए अब आम आदमी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का लगातार छत्तीसगढ़ दौरा जारी है. 5 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने रायपुर पहुंच कर कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लिया था .वहीं अब 2 जुलाई को फिर से अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान का छत्तीसगढ़ दौरा हो रहा है.दोनों बिलासपुर में बड़ी सभा लेंगे. 4 महीने के अंतराल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का छत्तीसगढ़ दौरा है.
''आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ अपने प्रत्याशियों को विधानसभा चुनाव में उतारेगी. लगातार छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी का संगठन बढ़ता जा रहा. प्रदेश में 6 लाख से अधिक लोग आम आदमी पार्टी के सदस्य बने चुके हैं. दिल्ली और पंजाब में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने मॉडल ऑफ गवर्नेंस दिया है. इससे छत्तीसगढ़ की जनता का आम आदमी पार्टी पर भरोसा बढ़ा है. आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा में ऐतिहासिक परिणाम छत्तीसगढ़ से देखने को मिलेंगे.'' कोमल हुपेंडी, प्रदेशाध्यक्ष आप
आम आदमी पार्टी का रहा वोट प्रतिशत : साल 2018 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से 50 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को ज्यादा वोट हासिल नहीं हुए थे. 2018 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 1 लाख 25 हजार वोट मिले थे. 2018 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत सिर्फ 0.9 था. हालांकि 2023 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है .ऐसे में जानकारों का कहना है कि 2023 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ सकता है.
"छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी ने अपनी पैठ 2014 रख दी थी. 2014 से ही आप की सक्रियता प्रदेश में देखने मिल गई थी. आम आदमी पार्टी का प्रभाव बस्तर क्षेत्र में दिखाई देता है,लेकिन अभी आम आदमी पार्टी ऐसी स्थिति में नहीं है कि, छत्तीसगढ़ में वह कांग्रेस और भाजपा के समकक्ष नजर आए,लेकिन जिस तरह से उनके राष्ट्रीय नेतृत्व का लगातार आना हो रहा है. उनके द्वारा से भी लगता है कि अब छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी अपना कद और अपनी जमीन मजबूत करना चाह रही है. निश्चित तौर पर इसका प्रभाव आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा.'' अनिरुद्ध दुबे,राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार
क्या है बीजेपी और कांग्रेस की सोच : छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का यह साफ तौर पर कहना है कि उनका आपस में मुकाबला है तीसरे दल का उनसे कोई मुकाबला नहीं है.
" भाजपा विधानसभा चुनाव की तैयारियों के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुटी हुई है , हमारा लगातार कार्यक्रम चल रहा है . हम महा जनसंपर्क अभियान कर रहे हैं. जिसमें लोगों को मोदी सरकार की उपलब्धि के साथ भाजपा के 15 साल के कार्यकाल की उपलब्धि भी बता रहे हैं, हम 2023 में छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाएंगे और 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार ही देश में बनेगी. छत्तीसगढ़ में किसी तीसरे मोर्चे से भाजपा का मुकाबला नहीं है. हमारा सीधा मुकाबला कांग्रेस से होगा." नलनीश ठोकने,प्रवक्ता कांग्रेस
"छत्तीसगढ़ में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. 2023 के चुनाव और 2024 के चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस पार्टी जुट गई है.हमारा मुकाबला सीधा भारतीय जनता पार्टी से है.तीसरे दल का हमसे कोई मुकाबला नहीं है. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार जनता के लिए काम कर रही है, जनता का पूरा विश्वास कांग्रेस पर है .आने वाले चुनावों में हम फिर से छत्तीसगढ़ में सरकार बनाएंगे".धनंजय सिंह, प्रवक्ता कांग्रेस
AAP किन सीटों का बिगाड़ सकती है खेल : छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी की मजबूती की बात की जाए तो सरगुजा और बस्तर संभाग की सीटों पर आम आदमी पार्टी समीकरण बिगाड़ सकती है. 2018 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी भानूप्रतापपुर से चुनाव लड़े थे और उन्हें 10 हजार वोट प्राप्त हुए थे. ऐसे में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र और ट्राइबल सीटों पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता घर घर जाकर पार्टी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. ऐसी संभावनाएं भी जताई जा रही है कि सरगुजा और बस्तर की ट्राइबल सीटों पर आम आदमी पार्टी चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती है.
2018 में किन सीटों पर बिगड़ा खेल: 2018 विधानसभा चुनाव का परिवर्तन का चुनाव था.इस चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड सीटें मिलीं.बीजेपी जहां सत्ता से बाहर हुई.तो वहीं प्रदेश की सात सीटें ऐसी थी.जहां कांग्रेस की सुनामी का कोई असर नहीं हुआ. इन सात सीटों पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा देखने को मिला. 2018 के चुनाव में कोटा, लोरमी , मरवाही , खैरागढ़ और बलौदा बाजार इन 5 सीटों पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने जीत का परचम लहराया.वहीं दूसरी तरफ पामगढ़ और जैजैपुर में बहुजन समाज पार्टी का किला कोई भी दिग्गज नहीं भेद सका.लेकिन मौजूदा समय में जनता कांग्रेस जे अजीत जोगी की मौत के बाद कमजोर दिख रही है.ऐसे में आम आदमी पार्टी एक बड़ी छाप छोड़ सकती है.