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जियोथर्मल एनर्जी से बिजली उत्पादन के लिए तपोवन में लगेगा पायलट प्रोजेक्ट, सीईए ने उत्तराखंड सरकार को भेजा पत्र

Electricity generation from geothermal energy in Uttarakhand उत्तराखंड में बिजली की खपत बढ़ती जा रही है. वर्तमान स्थिति यह है कि यूपीसीएल बिजली की खपत को पूरा करने में नाकाम साबित हो रहा है. यही वजह है कि ऊर्जा विभाग बिजली उत्पादन को लेकर हर उपाय अपना रहा है. ऐसे में उत्तराखंड में मौजूद तमाम जियोथर्मल रिसोर्स, विद्युत उत्पादन के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं. रिसर्च से पता चला है कि उत्तराखंड में 10 हजार मेगावाट से ज्यादा जियोथर्मल एनर्जी उत्पादन की क्षमता है.

geothermal energy in Uttarakhand
जियोथर्मल एनर्जी से बिजली
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 26, 2023, 9:36 AM IST

Updated : Dec 27, 2023, 8:47 AM IST

जियोथर्मल एनर्जी से बिजली उत्पादन

देहरादून: उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है. लेकिन यहां राज्य के लिए ही पर्याप्त बिजली नहीं है. ऐसे में अब जियोथर्मल रिसोर्स पर उम्मीद टिकी है. आइसलैंड में जियोथर्मल रिसोर्स के जरिए विद्युत उत्पादन किया जा रहा है. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार और वाडिया इंस्टीट्यूट, जियोथर्मल एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं. भारत सरकार ने भी जियोथर्मल एनर्जी पर अनुमति दे दी है. आखिर क्या है जियोथर्मल एनर्जी, कैसे होगा इस्तेमाल, क्या है संभावनाएं? पढ़िए ये खास रिपोर्ट.

geothermal energy in Uttarakhand
उत्तराखंड में 40 जियोथर्मल स्थान चिन्हित

उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी पर फोकस: उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित आर्थिक संसाधनों में सिमटा हुआ है. हालांकि उत्तराखंड में तमाम नदियां हैं जिनके जरिए बड़ी मात्रा में विद्युत उत्पादन किया जा सकता है. लेकिन अभी तक पर्याप्त एनर्जी उत्पन्न करने में सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में वैज्ञानिक उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मौजूद जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से इलेक्ट्रिकल एनर्जी उत्पन्न करने जा रहे हैं. इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत तपोवन स्थित जियोथर्मल रिसोर्स पर प्लांट लगाया जाएगा. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी, भारत सरकार ने जियोथर्मल एनर्जी के प्रमोशन को लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र भी भेजा है, ताकि वैकल्पिक एनर्जी पर जोर दिया जा सके.

उत्तराखंड में जियोथर्मल रिसोर्स का लगा पता: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि वर्तमान समय में क्लाइमेट चेंज की बात कर रहे हैं, लेकिन क्लाइमेट चेंज की मुख्य वजह ग्रीन हाउस गैस एमिशन है जो फ्यूल इस्तेमाल करने से निकलता है. फ्यूल के अलावा दूसरा एनर्जी रिसोर्स अभी नहीं है जिससे ग्लोबल एनर्जी रिक्वायरमेंट को पूरा किया जा सके. हालांकि, एनर्जी के तमाम अन्य सोर्स हाइड्रोजन, विंड, सौर, ईवी और जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स हैं. ऐसे में रिन्यूएबल और ग्रीन एनर्जी जिससे कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलता है. इसको देखते हुए उत्तराखंड में मौजूद जियोथर्मल रिसोर्स का पता लगाया गया है.

प्रदेश में जियोथर्मल रिसोर्स से मिल सकती है 10,600 मेगावाट बिजली: जियोकेमिकल और जियोलॉजिकल अध्ययन से प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल रिसोर्स की जानकारी मिली है. ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि इस रिसोर्स के रिजर्वर का तापमान कितना है. अगर जियोथर्मल रिसोर्स के एनर्जी को टैप करते हैं तो कितने साल तक एनर्जी ले सकेंगे. लिहाजा, प्रदेश में 40 जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स को चिन्हित किया गया है. इसमें सभी जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स की अलग अलग एनर्जी प्रोड्यूस करने की क्षमता है. ऐसे में अगर सभी 40 जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से एनर्जी जनरेट करेंगे तो करीब 10,600 मेगावाट बिजली उत्पन्न कर सकेंगे. साथ ही कहा कि प्रदेश में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा मार्गों पर काफी मात्रा में जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स मौजूद हैं.

आइसलैंड में बाइनरी पावर प्लांट के जरिए उत्पन्न हो रही है इलेक्ट्रिकल एनर्जी: वाडिया संस्थान के निदेशक ने कहा कि आइसलैंड में जियोथर्मल एनर्जी से इलेक्ट्रिकल एनर्जी पैदा की जा रही है. इसके लिए आइसलैंड में बाइनरी पावर प्लांट का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से एनर्जी पैदा करने की तकनीकी को जानने के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट के एक वैज्ञानिक को आइसलैंड भेजा था. जिससे टेक्निक की जानकारी मिली है. लिहाजा, वाडिया इंस्टीट्यूट टेस्टिंग प्रक्रिया के तहत तपोवन में मौजूद जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से एनर्जी उत्पन्न करने जा रहा है. इससे ये पता चलेगा कि बाइनरी पावर प्लांट लगाने में कितना खर्चा आएगा, ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये फाइनेंशियल बाएबल है या नहीं.

तपोवन में पायलट प्रोजेक्ट लगाने के लिए वाडिया ने शुरू किया काम: साथ ही वाडिया संस्थान के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि तपोवन स्थित र्जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स में प्लांट लगाकर एनर्जी पैदा करने के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट एक अध्ययन और करेगा, जिसके तहत इस बात का पता लगाया जाएगा कि क्या इस प्रक्रिया का असर पर्यावरण पर तो नहीं पड़ रहा है. लिहाजा, एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट किया जाएगा. साथ ही कहा कि अभी प्लांट लगाने के लिए इक्विपमेंट मौजूद नहीं है. अभी जो वैज्ञानिक आइसलैंड से स्टडी करके आया है वो इसका पूरा प्लान तैयार कर रहा है कि किस तरह से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रोडक्शन किया जा सके. हालांकि, आइसलैंड के साथ समन्वय बनाना पड़ेगा और वहां के वैज्ञानिक इक्विपमेंट लेकर आएंगे. साथ ही सरकार से जो अनुमति चाहिए होगी उस दिशा में काम शुरू हो चुका है.

जियोथर्मल एनर्जी के प्रमोशन को लेकर सीईए ने भेजा सरकार को पत्र: उत्तराखंड के ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने जियोथर्मल एनर्जी के प्रमोशन को लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजा है. कुछ एंटरप्रेन्योर सामने आ रहे हैं. हालांकि, टेक्निकली जियोथर्मल से एनर्जी उत्पन्न करने की संभावना है, लेकिन फाइनेंशियल बाएबल की चेकिंग बाकी है. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने भी सरकार को अप्रोच किया था कि वो ट्रायल प्लांट बनाना चाहते हैं. जिसके चलते यूजेवीएनएल को जिम्मेदारी दी गई है कि वो सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी और वाडिया इंस्टीट्यूट के साथ कोऑर्डिनेट करे, ताकि एक पायलट प्लांट बना लें. उसके बाद उसके परफॉर्मेंस के आधार पर आगे का रोडमैप तैयार किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: हाईब्रिड एनर्जी से हिमालयी राज्यों में दूर होगा बिजली संकट, खुलेंगे रोजगार के द्वार

जियोथर्मल एनर्जी क्या है? जियोथर्मल एनर्जी पृथ्वी के भीतर की ऊष्मा होती है. जियोथर्मल शब्द ग्रीक शब्द जियो यानी पृथ्वी और थर्म मतलब गर्मी से आया है. भूतापीय ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है. दरअसल पृथ्वी के अंदर लगातार गर्मी पैदा होती रहती है. इसी जियोथर्मल एनर्जी को बिजली में बदलने की कोशिश हो रही है.

जियोथर्मल एनर्जी से बिजली उत्पादन

देहरादून: उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है. लेकिन यहां राज्य के लिए ही पर्याप्त बिजली नहीं है. ऐसे में अब जियोथर्मल रिसोर्स पर उम्मीद टिकी है. आइसलैंड में जियोथर्मल रिसोर्स के जरिए विद्युत उत्पादन किया जा रहा है. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार और वाडिया इंस्टीट्यूट, जियोथर्मल एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं. भारत सरकार ने भी जियोथर्मल एनर्जी पर अनुमति दे दी है. आखिर क्या है जियोथर्मल एनर्जी, कैसे होगा इस्तेमाल, क्या है संभावनाएं? पढ़िए ये खास रिपोर्ट.

geothermal energy in Uttarakhand
उत्तराखंड में 40 जियोथर्मल स्थान चिन्हित

उत्तराखंड में जियोथर्मल एनर्जी पर फोकस: उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित आर्थिक संसाधनों में सिमटा हुआ है. हालांकि उत्तराखंड में तमाम नदियां हैं जिनके जरिए बड़ी मात्रा में विद्युत उत्पादन किया जा सकता है. लेकिन अभी तक पर्याप्त एनर्जी उत्पन्न करने में सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में वैज्ञानिक उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मौजूद जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से इलेक्ट्रिकल एनर्जी उत्पन्न करने जा रहे हैं. इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत तपोवन स्थित जियोथर्मल रिसोर्स पर प्लांट लगाया जाएगा. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी, भारत सरकार ने जियोथर्मल एनर्जी के प्रमोशन को लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र भी भेजा है, ताकि वैकल्पिक एनर्जी पर जोर दिया जा सके.

उत्तराखंड में जियोथर्मल रिसोर्स का लगा पता: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि वर्तमान समय में क्लाइमेट चेंज की बात कर रहे हैं, लेकिन क्लाइमेट चेंज की मुख्य वजह ग्रीन हाउस गैस एमिशन है जो फ्यूल इस्तेमाल करने से निकलता है. फ्यूल के अलावा दूसरा एनर्जी रिसोर्स अभी नहीं है जिससे ग्लोबल एनर्जी रिक्वायरमेंट को पूरा किया जा सके. हालांकि, एनर्जी के तमाम अन्य सोर्स हाइड्रोजन, विंड, सौर, ईवी और जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स हैं. ऐसे में रिन्यूएबल और ग्रीन एनर्जी जिससे कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलता है. इसको देखते हुए उत्तराखंड में मौजूद जियोथर्मल रिसोर्स का पता लगाया गया है.

प्रदेश में जियोथर्मल रिसोर्स से मिल सकती है 10,600 मेगावाट बिजली: जियोकेमिकल और जियोलॉजिकल अध्ययन से प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल रिसोर्स की जानकारी मिली है. ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि इस रिसोर्स के रिजर्वर का तापमान कितना है. अगर जियोथर्मल रिसोर्स के एनर्जी को टैप करते हैं तो कितने साल तक एनर्जी ले सकेंगे. लिहाजा, प्रदेश में 40 जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स को चिन्हित किया गया है. इसमें सभी जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स की अलग अलग एनर्जी प्रोड्यूस करने की क्षमता है. ऐसे में अगर सभी 40 जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से एनर्जी जनरेट करेंगे तो करीब 10,600 मेगावाट बिजली उत्पन्न कर सकेंगे. साथ ही कहा कि प्रदेश में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा मार्गों पर काफी मात्रा में जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स मौजूद हैं.

आइसलैंड में बाइनरी पावर प्लांट के जरिए उत्पन्न हो रही है इलेक्ट्रिकल एनर्जी: वाडिया संस्थान के निदेशक ने कहा कि आइसलैंड में जियोथर्मल एनर्जी से इलेक्ट्रिकल एनर्जी पैदा की जा रही है. इसके लिए आइसलैंड में बाइनरी पावर प्लांट का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में प्रदेश में मौजूद जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से एनर्जी पैदा करने की तकनीकी को जानने के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट के एक वैज्ञानिक को आइसलैंड भेजा था. जिससे टेक्निक की जानकारी मिली है. लिहाजा, वाडिया इंस्टीट्यूट टेस्टिंग प्रक्रिया के तहत तपोवन में मौजूद जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स से एनर्जी उत्पन्न करने जा रहा है. इससे ये पता चलेगा कि बाइनरी पावर प्लांट लगाने में कितना खर्चा आएगा, ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये फाइनेंशियल बाएबल है या नहीं.

तपोवन में पायलट प्रोजेक्ट लगाने के लिए वाडिया ने शुरू किया काम: साथ ही वाडिया संस्थान के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि तपोवन स्थित र्जियोथर्मल एनर्जी रिसोर्स में प्लांट लगाकर एनर्जी पैदा करने के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट एक अध्ययन और करेगा, जिसके तहत इस बात का पता लगाया जाएगा कि क्या इस प्रक्रिया का असर पर्यावरण पर तो नहीं पड़ रहा है. लिहाजा, एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट किया जाएगा. साथ ही कहा कि अभी प्लांट लगाने के लिए इक्विपमेंट मौजूद नहीं है. अभी जो वैज्ञानिक आइसलैंड से स्टडी करके आया है वो इसका पूरा प्लान तैयार कर रहा है कि किस तरह से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रोडक्शन किया जा सके. हालांकि, आइसलैंड के साथ समन्वय बनाना पड़ेगा और वहां के वैज्ञानिक इक्विपमेंट लेकर आएंगे. साथ ही सरकार से जो अनुमति चाहिए होगी उस दिशा में काम शुरू हो चुका है.

जियोथर्मल एनर्जी के प्रमोशन को लेकर सीईए ने भेजा सरकार को पत्र: उत्तराखंड के ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने जियोथर्मल एनर्जी के प्रमोशन को लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजा है. कुछ एंटरप्रेन्योर सामने आ रहे हैं. हालांकि, टेक्निकली जियोथर्मल से एनर्जी उत्पन्न करने की संभावना है, लेकिन फाइनेंशियल बाएबल की चेकिंग बाकी है. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने भी सरकार को अप्रोच किया था कि वो ट्रायल प्लांट बनाना चाहते हैं. जिसके चलते यूजेवीएनएल को जिम्मेदारी दी गई है कि वो सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी और वाडिया इंस्टीट्यूट के साथ कोऑर्डिनेट करे, ताकि एक पायलट प्लांट बना लें. उसके बाद उसके परफॉर्मेंस के आधार पर आगे का रोडमैप तैयार किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: हाईब्रिड एनर्जी से हिमालयी राज्यों में दूर होगा बिजली संकट, खुलेंगे रोजगार के द्वार

जियोथर्मल एनर्जी क्या है? जियोथर्मल एनर्जी पृथ्वी के भीतर की ऊष्मा होती है. जियोथर्मल शब्द ग्रीक शब्द जियो यानी पृथ्वी और थर्म मतलब गर्मी से आया है. भूतापीय ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है. दरअसल पृथ्वी के अंदर लगातार गर्मी पैदा होती रहती है. इसी जियोथर्मल एनर्जी को बिजली में बदलने की कोशिश हो रही है.

Last Updated : Dec 27, 2023, 8:47 AM IST
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