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जल संरक्षण में मिसाल बना हरियाणा का यह गांव, पीएम मोदी ने भी की तारीफ

जीवन के लिए पानी बेहद जरूरी है, लेकिन पानी का लगातार दोहन हो रहा है, जिसके चलते देश के कई इलाकों में धरती का पानी सूख चुका है. इसी बीच हरियाणा के एक ग्राम पंचायत ने जल संरक्षण का बेड़ा उठाया है. इस पंचायत की तारीफ आज देशभर में हो रही है. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी तारीफ की है. पढ़िए ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

water campaign story from haryana
वर्षा जल संरक्षण
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Published : Jul 27, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Jul 29, 2020, 8:58 AM IST

पलवल : पानी जीवन के लिए सबसे अहम जरूरतों में से एक है. वैसे तो धरती का तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन इसके लगातार दोहन और बेजा इस्तेमाल के चलते कई क्षेत्रों में लोग प्यासे रह जाते हैं. कई इलाकों में धरती का पानी या तो सूख चुका है या फिर भू-जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. भारत में भी कई जिलों में भू-जल स्तर नीचे पहुंच चुका है. इसलिए जरूरत है आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की एक-एक बूंद सहेजने की.

बारिश का पानी भी कुदरत का ऐसा स्रोत है जिसे अगर सहेज लिया जाए तो पानी की किल्ल्त से काफी हद तक निजात मिल सकती है. हरियाणा के पलवल जिले में एक ऐसा गांव है, जिसने वर्षा जल संरक्षण के लिए दुनिया के सामने मिसाल पेश की.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

भिडूकी गांव ने पानी की अहमियत को बखूबी समझा है. ये गांव बारिश के पानी की बूंद-बूंद को बचाता है. ताकि भविष्य में पानी की किल्लतों का सामना ना करना पड़े. इस गांव की कोशिशों की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है. वहीं खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस गांव की तारीफ कर चुके हैं.

पलवल जिले के भिडूकी गांव में कुछ साल पहले बारिश के मौसम में लोगों को काफी परेशानी होती थी. गांव में पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गांव में जगह-जगह जल भराव हो जाता था. गांव में लड़कियों के लिए राजकीय कन्या विद्यालय है, बारिश के मौसम में स्कूल जाने का रास्ता गंदे पानी से भर जाता था. यहां तक स्कूल के ग्राउंड में भी बारिश का पानी जमा हो जाता था. मानसून के सीजन में ग्रामीणों को हर साल इस समस्या का सामना करना पड़ता था.

साल 2016 में गांव भिडूकी में सत्यदेव गौतम सरपंच चुने गए. सत्यदेव गौतम बीटेक और एमबीए कर चुके हैं. इन्होंने लाखों रुपये के पैकेज वाली नौकरी छोड़ कर अपने गांव की तस्वीर बदलने का सपना देखा और आज ये अपने सपने को पूरा करने में लगे हैं.

विद्यालय में लगाया गया वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट
सरपंच सत्यदेव गौतम ने सबसे पहले अपने गांव की छात्राओं की परेशानी को दूर करने का बीड़ा उठाया. सत्यदेव गौतम ने सरकारी स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया. सरपंच ने स्कूल भवन की छत के पानी को इकट्ठा करने के लिए पाइप लगाए. इसके बाद सड़क और स्कूल के बाकी जलभराव वाले स्थानों को नालियों के जरिए कनेक्ट किया और स्कूल के एक हिस्से में करीब आठ फीट चौड़ाई और दस फीट लंबाई की तीन अंडर ग्राउंड टंकियां बनवाईं.

कैसे किया जाता है जल संचय?
ये तीनों टंकियां एक दूसरे से कनेक्टेड हैं. पहले दो टैंक पानी को फिल्टर करने का काम करती हैं. पहली टंकी में सॉलिड वेस्ट छन जाता है. वहीं दूसरी टंकी में गारा-मिट्टी छन जाती है. वहीं तीसरी टंकी में 120 मीटर का बोरवैल किया गया है. इस बोरवैल के जरिए पूरे पानी को जमीन में भेज दिया जाता है. आपको बता दें कि जमीन में पानी भेजने से पहले पानी को शुद्ध करने के लिए फिल्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. टंकी में तीन तरह के आकार के धातु पत्थरों को परत दर परत लगाया गया है. उसके बाद बारीक रोड़ी पत्थरों को लगाया गया है. ताकी पानी की अशुद्धियां छन जाएं और शुद्ध पानी जमीन के भीतर चला जाए.

सरपंच ने गांव की हरिजन बस्ती में भी लगाया प्रोजेक्ट
सरपंच सत्यदेव गौतम की पहल से गांव की हरजिन बस्ती में करीब 40 घरों को वाटर हार्वेस्टिंग की वजह से एक नई जिंदगी मिली है. पहले पानी की निकासी नहीं होने के चलते इन मकानों के सामने पानी भरा रहता था, लेकिन अब यहां भी वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया गया है.

अब बारिश के मौसम में हरिजन बस्ती की गलियों में पानी इकट्ठा नहीं होता. लोगों का आना जाना सुगम हो गया है. जब भी बारिश आती है तो यहां बना प्लांट भी स्कूल के प्लांट की तरह ही काम करता है. बारिश के बाद पूरा पानी नालियों के जरिए इक्ट्ठा होकर टैंक तक पहुंचता है और धीरे-धीरे जमीन में रिसता रहता है.

गांव के जोहड़ को खेतों से किया कनेक्ट
भिडूकी गांव ने जल संरक्षण के लिए सिर्फ वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट ही नहीं लगाए. इस गांव के सरपंच ने मानसून में गांव के बीचो-बीच तालाब का पानी ओवरफ्लो होने की समस्या को भी अपनी सूझ-बूझ से अवसर में बदल दिया.

सरपंच सत्यदेव गौतम ने जोहड़ को सीवरेज लाइन के जरिए खेतों से कनेक्ट कर दिया. अब मानसून के सीजन में जब भी इस तालाब का पानी निश्चित सीमा से ऊपर पहुंचता है तो पंपसेट लगाकर सीवरेज पाइप के जरिए पानी खेतों तक पहुंचाया जा सकता है.

गांव के हर खेत तक पानी पहुंचाया जा सके, इसके लिए सरपंच सत्यदेव को उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई काम आई. सरपंच ने गांव खेतों में करीब दो किलोमीटर तक हर 200 से 300 मीटर की दूरी पर 6 फीट चौड़ाई और 10 फीट लंबाई के पिट का निर्माण करवाया है. इन पिट से जोहड़ का सिवरेज पाइप कनेक्टेड है. ऐसे में जब भी किसानों को पानी की जरूरत पड़ती है. किसान इन पिट्स में पाइप डाल कर खेतों की सिंचाई कर लेते हैं.

गांव के बाहर बनाया गया है कच्चा जोहड़
वर्षा जल संरक्षण के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ते हुए डेढ़ साल पहले भिडूकी गांव के बाहर चार एकड़ जमीन में एक तालाब का भी निर्माण करवाया गया है. ये तालाब पूरी तरह से कच्चा है, ताकि बारिश का पानी इसमें जमा हो सके. इस तालाब से कृषि कार्यों के लिए भी पानी प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसका मुख्य मकसद है कि इस तालाब में जमा पानी प्राकृतिक रूप से धरती में समा जाए, ताकि भूजल का स्तर भी बढ़ता रहे.

आपको बता दें कि गांव के सरपंच सत्यदेव ने इन दोनों जोहड़ों को पाइप लाइन के जरिए गांव के बाहर से निकल रहे रजवाहे (छोटी नहर) से भी कनेक्ट किया है. ताकि अत्याधिक बारिश के मौसम में पानी सीमा से ऊपर पहुंच जाए तो इन दोनों जोहड़ों के पानी को नहर में छोड़ा जा सके. इससे गांव में बाढ़ की समस्या भी नहीं होगी और रजवाहे में छोड़े गए पानी से दूसरे किसानों का भी भला हो सकेगा.

पढ़ें : ईरान ने अमेरिका से तनाव के बीच समुद्र में विमान वाहक की एक प्रतिकृति उतारी

सिटी मजिस्ट्रेट भी कर रहे तारीफ
भिडूकी गांव की पीएम मोदी की तरफ से तारीफ किये जाने के बाद पलवल जिला मजिस्ट्रेट जितेंद्र कुमार भी गदगद हैं. वो एक तरफ गांव के सरपंच की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, वहीं दूसरे गांवों के सरपंचों को इस तरह की मुहीम से प्रेरणा लेने के लिए अपील कर रहे हैं.

यकीनन भिडूकी गांव ने जो वर्षा जल को बचाने के लिए काम किए हैं, वो सराहनीय हैं, प्रेरणादायक हैं. ऐसी मुहीम का प्रचार भी होना चाहिए और विस्तार भी. ताकि गांव-गांव तक जागरूकता फैले और बारिश के पानी को बचाने के लिए संयुक्त प्रयास किया जाए क्योंकि जल है तभी कल है.

पलवल : पानी जीवन के लिए सबसे अहम जरूरतों में से एक है. वैसे तो धरती का तीन चौथाई हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन इसके लगातार दोहन और बेजा इस्तेमाल के चलते कई क्षेत्रों में लोग प्यासे रह जाते हैं. कई इलाकों में धरती का पानी या तो सूख चुका है या फिर भू-जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. भारत में भी कई जिलों में भू-जल स्तर नीचे पहुंच चुका है. इसलिए जरूरत है आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की एक-एक बूंद सहेजने की.

बारिश का पानी भी कुदरत का ऐसा स्रोत है जिसे अगर सहेज लिया जाए तो पानी की किल्ल्त से काफी हद तक निजात मिल सकती है. हरियाणा के पलवल जिले में एक ऐसा गांव है, जिसने वर्षा जल संरक्षण के लिए दुनिया के सामने मिसाल पेश की.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

भिडूकी गांव ने पानी की अहमियत को बखूबी समझा है. ये गांव बारिश के पानी की बूंद-बूंद को बचाता है. ताकि भविष्य में पानी की किल्लतों का सामना ना करना पड़े. इस गांव की कोशिशों की चर्चा आज पूरा देश कर रहा है. वहीं खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस गांव की तारीफ कर चुके हैं.

पलवल जिले के भिडूकी गांव में कुछ साल पहले बारिश के मौसम में लोगों को काफी परेशानी होती थी. गांव में पानी की निकासी नहीं होने की वजह से गांव में जगह-जगह जल भराव हो जाता था. गांव में लड़कियों के लिए राजकीय कन्या विद्यालय है, बारिश के मौसम में स्कूल जाने का रास्ता गंदे पानी से भर जाता था. यहां तक स्कूल के ग्राउंड में भी बारिश का पानी जमा हो जाता था. मानसून के सीजन में ग्रामीणों को हर साल इस समस्या का सामना करना पड़ता था.

साल 2016 में गांव भिडूकी में सत्यदेव गौतम सरपंच चुने गए. सत्यदेव गौतम बीटेक और एमबीए कर चुके हैं. इन्होंने लाखों रुपये के पैकेज वाली नौकरी छोड़ कर अपने गांव की तस्वीर बदलने का सपना देखा और आज ये अपने सपने को पूरा करने में लगे हैं.

विद्यालय में लगाया गया वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट
सरपंच सत्यदेव गौतम ने सबसे पहले अपने गांव की छात्राओं की परेशानी को दूर करने का बीड़ा उठाया. सत्यदेव गौतम ने सरकारी स्कूल में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया. सरपंच ने स्कूल भवन की छत के पानी को इकट्ठा करने के लिए पाइप लगाए. इसके बाद सड़क और स्कूल के बाकी जलभराव वाले स्थानों को नालियों के जरिए कनेक्ट किया और स्कूल के एक हिस्से में करीब आठ फीट चौड़ाई और दस फीट लंबाई की तीन अंडर ग्राउंड टंकियां बनवाईं.

कैसे किया जाता है जल संचय?
ये तीनों टंकियां एक दूसरे से कनेक्टेड हैं. पहले दो टैंक पानी को फिल्टर करने का काम करती हैं. पहली टंकी में सॉलिड वेस्ट छन जाता है. वहीं दूसरी टंकी में गारा-मिट्टी छन जाती है. वहीं तीसरी टंकी में 120 मीटर का बोरवैल किया गया है. इस बोरवैल के जरिए पूरे पानी को जमीन में भेज दिया जाता है. आपको बता दें कि जमीन में पानी भेजने से पहले पानी को शुद्ध करने के लिए फिल्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है. टंकी में तीन तरह के आकार के धातु पत्थरों को परत दर परत लगाया गया है. उसके बाद बारीक रोड़ी पत्थरों को लगाया गया है. ताकी पानी की अशुद्धियां छन जाएं और शुद्ध पानी जमीन के भीतर चला जाए.

सरपंच ने गांव की हरिजन बस्ती में भी लगाया प्रोजेक्ट
सरपंच सत्यदेव गौतम की पहल से गांव की हरजिन बस्ती में करीब 40 घरों को वाटर हार्वेस्टिंग की वजह से एक नई जिंदगी मिली है. पहले पानी की निकासी नहीं होने के चलते इन मकानों के सामने पानी भरा रहता था, लेकिन अब यहां भी वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया गया है.

अब बारिश के मौसम में हरिजन बस्ती की गलियों में पानी इकट्ठा नहीं होता. लोगों का आना जाना सुगम हो गया है. जब भी बारिश आती है तो यहां बना प्लांट भी स्कूल के प्लांट की तरह ही काम करता है. बारिश के बाद पूरा पानी नालियों के जरिए इक्ट्ठा होकर टैंक तक पहुंचता है और धीरे-धीरे जमीन में रिसता रहता है.

गांव के जोहड़ को खेतों से किया कनेक्ट
भिडूकी गांव ने जल संरक्षण के लिए सिर्फ वाटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट ही नहीं लगाए. इस गांव के सरपंच ने मानसून में गांव के बीचो-बीच तालाब का पानी ओवरफ्लो होने की समस्या को भी अपनी सूझ-बूझ से अवसर में बदल दिया.

सरपंच सत्यदेव गौतम ने जोहड़ को सीवरेज लाइन के जरिए खेतों से कनेक्ट कर दिया. अब मानसून के सीजन में जब भी इस तालाब का पानी निश्चित सीमा से ऊपर पहुंचता है तो पंपसेट लगाकर सीवरेज पाइप के जरिए पानी खेतों तक पहुंचाया जा सकता है.

गांव के हर खेत तक पानी पहुंचाया जा सके, इसके लिए सरपंच सत्यदेव को उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई काम आई. सरपंच ने गांव खेतों में करीब दो किलोमीटर तक हर 200 से 300 मीटर की दूरी पर 6 फीट चौड़ाई और 10 फीट लंबाई के पिट का निर्माण करवाया है. इन पिट से जोहड़ का सिवरेज पाइप कनेक्टेड है. ऐसे में जब भी किसानों को पानी की जरूरत पड़ती है. किसान इन पिट्स में पाइप डाल कर खेतों की सिंचाई कर लेते हैं.

गांव के बाहर बनाया गया है कच्चा जोहड़
वर्षा जल संरक्षण के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ते हुए डेढ़ साल पहले भिडूकी गांव के बाहर चार एकड़ जमीन में एक तालाब का भी निर्माण करवाया गया है. ये तालाब पूरी तरह से कच्चा है, ताकि बारिश का पानी इसमें जमा हो सके. इस तालाब से कृषि कार्यों के लिए भी पानी प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसका मुख्य मकसद है कि इस तालाब में जमा पानी प्राकृतिक रूप से धरती में समा जाए, ताकि भूजल का स्तर भी बढ़ता रहे.

आपको बता दें कि गांव के सरपंच सत्यदेव ने इन दोनों जोहड़ों को पाइप लाइन के जरिए गांव के बाहर से निकल रहे रजवाहे (छोटी नहर) से भी कनेक्ट किया है. ताकि अत्याधिक बारिश के मौसम में पानी सीमा से ऊपर पहुंच जाए तो इन दोनों जोहड़ों के पानी को नहर में छोड़ा जा सके. इससे गांव में बाढ़ की समस्या भी नहीं होगी और रजवाहे में छोड़े गए पानी से दूसरे किसानों का भी भला हो सकेगा.

पढ़ें : ईरान ने अमेरिका से तनाव के बीच समुद्र में विमान वाहक की एक प्रतिकृति उतारी

सिटी मजिस्ट्रेट भी कर रहे तारीफ
भिडूकी गांव की पीएम मोदी की तरफ से तारीफ किये जाने के बाद पलवल जिला मजिस्ट्रेट जितेंद्र कुमार भी गदगद हैं. वो एक तरफ गांव के सरपंच की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, वहीं दूसरे गांवों के सरपंचों को इस तरह की मुहीम से प्रेरणा लेने के लिए अपील कर रहे हैं.

यकीनन भिडूकी गांव ने जो वर्षा जल को बचाने के लिए काम किए हैं, वो सराहनीय हैं, प्रेरणादायक हैं. ऐसी मुहीम का प्रचार भी होना चाहिए और विस्तार भी. ताकि गांव-गांव तक जागरूकता फैले और बारिश के पानी को बचाने के लिए संयुक्त प्रयास किया जाए क्योंकि जल है तभी कल है.

Last Updated : Jul 29, 2020, 8:58 AM IST
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