नई दिल्ली : भारत ने शुक्रवार को मानव अधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 45वें सत्र में चिंता जताते हुए कहा कि मानव अधिकारों पर परिषद को ध्यान देने की आवश्यकता है.
भारतीय राजनयिक पवन बाधे ने परिषद को संबोधित करते हुए कोरोना महामारी के दौरान लाभ उठाने वाले आतंकवादियों को लेकर चिंताओं जताई. इंटरनेट और सोशल मीडिया पर फेक कंटेंट के बढ़ते प्रसार पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन के पहले सचिव बाधे ने कहा कि ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर आतंकवादियों द्वारा लक्षित लोगों की उपस्थिति बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि यह आतंकवादी घृणा फैलाने वाले भाषणों, फर्जी समाचारों और छेड़छाड़ किए गए वीडियो के जरिए गलत सूचना प्रसारित कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि आतंकवादी समूहों ने सुरक्षा बलों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए समर्थकों को प्रेरित किया है.
बाधे ने कहा कि कोरोना के कारण हम एक वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के बीच सभी देश यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कहीं इसके प्रभाव से कमजोर राष्ट्र पीछे न छूट जाएं. साथ ही हम आतंकवादियों द्वारा लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुए वित्तीय और भावनात्मक संकट का फायदे उठाकर समाज के सामंजस्य को बिगाड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों को देख रहे हैं.
बाधे ने गैर-सरकारी संगठनों की आड़ में देश में चल रहे टेरर-फंडिंग पर भी बात की और पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों को वित्त सहायता देने के लिए फंड एकत्र करता रहा है.
भारतीय राजनयिक ने कहा कि धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर फंड का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है. यह आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए गंभीर खतरा है. यह लोकतंत्र को कमजोर करता है और कानून के शासन को खतरे में डालता है.
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उन्होंने रेखांकित किया कि यह विचार, अभिव्यक्ति और एसोसिएशन की स्वतंत्रता के पर एक हमला है. इसके अलावा आतंकवाद के कार्य व्यक्तिगत पीड़ितों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, यह समग्र रूप से पीड़ितों के परिवारों और समाज द्वारा अधिकारों की एक श्रृंखला को भी प्रभावित करता है.
उन्होंने आगे कहा कि हर आतंकवादी घटना महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के मानवाधिकारों पर प्रभाव डालती है. उन्होंने परिषद से आग्रह किया कि आतंकवादी विचारधाराओं द्वारा उनकी कट्टरपंथी सोच को रोकने के लिए सबसे कमजोर समूहों विशेष रूप से बच्चों और युवा व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरुकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाए.
उन्होंने दोहराया कि कोविड-19 के साथ दुनिया जूझ रही है, आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने के लिए देशों के बीच सहयोग होना महत्वपूर्ण है.
इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान की ओर से दिए गए बयान के जवाब में राइट ऑफ रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए भारतीय राजनयिक विमर्ष आर्यन ने कहा कि महामारी के इस असाधारण समय में जब हर कोई मनुष्य की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक मास्क लगा रहा है. दुर्भाग्य से, पाकिस्तान मानव अधिकारों के एक चैंपियन की तरह के भद्दे मास्क का उपयोग कर रहा है, जबकि हकीकत यह है कि वह खुद अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित और अत्याचार कर मानव अधिकारों का हनन कर रहा है.