नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आज भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रणब मुखर्जी, संगीतकार व गायक भूपेन हजारिका (मरणोपरांत), समाजसेवी नानाजी देशमुख (मरणोपरांत) को भारत रत्न प्रदान किया.
भारत रत्न सम्मान का ऐलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को किया गया था.
प्रणब मुखर्जी
भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति बनने से पहले कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रह चुके हैं. उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता था. उन्होंने पहले वित्त मंत्रालय और अन्य आर्थिक मंत्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया है. मुखर्जी को साल 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड भी मिला था.
नानाजी देशमुख
नानाजी देशमुख एक समाजसेवी के साथ-साथ जनसंघ के संस्थापकों में शामिल थे. 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया था. लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. उन्हें 1999 में पद्म विभूषण भी प्रदान किया था. नानाजी देशमुख को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जा रहा है, उनकी ओर से वीरेंद्र जीत सिंह देश का सर्वोच्च सम्मान लेने आए.
भूपेन हजारिका
भूपेन हजारिका बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे. वह देश के सबसे अच्छे संगीतकार और गायक के तौर पर जाने जाते हैं. वह असम के रहने वाले थे. इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे. भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया, इसलिए उनके सुपुत्र तेज हजारिका सम्मान लेने पहुंचे.
उन्हें उनके कार्यों के लिए 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया. साथ ही उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
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इस सम्मान की स्थापना कब हुई?
कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में असाधारण और उल्लेखनीय देश सेवा करने वालों को राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान दिया जाता है. इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा की गई थी. पहला भारत रत्न सम्मान चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को प्रदान किया गया.