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अदालतों में हैं ‘टाइम मशीन’: बम्बई हाईकोर्ट

बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ती एस नायडू ने लंबे समय से कोर्ट में चल रहे मामलों का हवाला देते कहा कि अदालतों में ‘टाइम मशीन’ हैं जहां मामले लंबे समय तक चलते रहते है. उन्होने यह तब कहा जब वो 1986 में किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में दायर किये मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे.

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Published : Sep 7, 2019, 10:38 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 8:10 PM IST

मुंबई उच्च न्यायालय

मुंबई: बंबई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने भारतीय अदालतों में मुकदमों को समाप्त होने में अत्यधिक समय लगने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अदालतों में ‘टाइम मशीन’ हैं, जहां मामले अनिश्चितकाल तक चलते रहते हैं.

बता दें, किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में अदालत ने शुक्रवार को कहा कि यह मुकदमा 1986 में शुरू हुआ था, इसके बाद कई अपील, आवेदन और याचिकाएं दायर हुईं लेकिन मामला फिर भी

नहीं सुलझा और वास्तविक मकान मालिक और किरायेदार अब जीवित भी नहीं हैं.

न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने कहा कि कई मामलों में दोनों पक्षों के वादियों की मृत्यु हो जाती है और मुकदमेबाजी उनकी बाद की पीढ़ियों द्वारा की जाती है.

शहर निवासी रुक्मणीबाई द्वारा यह याचिका 1986 दायर की गई थी. याचिका में उन्होने अपनी संपत्ति से कुछ किरायेदारों को बाहर किये जाने का अनुरोध किया था.

मामले के दौरान उनकी मौत हो गई और फिर उनके वारिसों को ये मामला को संभालना पड़ा.

पढ़ें-ज्योतिरादित्य, दिग्विजय के बीच मतभेद सोनिया ने किया अनुशासनात्मक कमेटी का गठन

बता दें, किरायेदारों के खिलाफ 1986 में संपत्ति खाली कराये जाने की कार्रवाई शुरू की गई थी और निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय ने संपत्ति मालिकों के पक्ष में फैसला दिया था.

लेकिन वर्ष 2016 में किरायेदारों ने बदली परिस्थितियों का हवाला देते हुए एक बार फिर से उच्च न्यायालय का रूख किया था.

मुंबई: बंबई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने भारतीय अदालतों में मुकदमों को समाप्त होने में अत्यधिक समय लगने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अदालतों में ‘टाइम मशीन’ हैं, जहां मामले अनिश्चितकाल तक चलते रहते हैं.

बता दें, किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में अदालत ने शुक्रवार को कहा कि यह मुकदमा 1986 में शुरू हुआ था, इसके बाद कई अपील, आवेदन और याचिकाएं दायर हुईं लेकिन मामला फिर भी

नहीं सुलझा और वास्तविक मकान मालिक और किरायेदार अब जीवित भी नहीं हैं.

न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने कहा कि कई मामलों में दोनों पक्षों के वादियों की मृत्यु हो जाती है और मुकदमेबाजी उनकी बाद की पीढ़ियों द्वारा की जाती है.

शहर निवासी रुक्मणीबाई द्वारा यह याचिका 1986 दायर की गई थी. याचिका में उन्होने अपनी संपत्ति से कुछ किरायेदारों को बाहर किये जाने का अनुरोध किया था.

मामले के दौरान उनकी मौत हो गई और फिर उनके वारिसों को ये मामला को संभालना पड़ा.

पढ़ें-ज्योतिरादित्य, दिग्विजय के बीच मतभेद सोनिया ने किया अनुशासनात्मक कमेटी का गठन

बता दें, किरायेदारों के खिलाफ 1986 में संपत्ति खाली कराये जाने की कार्रवाई शुरू की गई थी और निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय ने संपत्ति मालिकों के पक्ष में फैसला दिया था.

लेकिन वर्ष 2016 में किरायेदारों ने बदली परिस्थितियों का हवाला देते हुए एक बार फिर से उच्च न्यायालय का रूख किया था.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 20:24 HRS IST




             
  • अदालतों में ‘टाइम मशीन’ हैं जहां मामले चलते रहते है: बम्बई उच्च न्यायालय



मुंबई, सात सितम्बर (भाषा) भारतीय अदालतों में मुकदमों को समाप्त होने में अत्यधिक समय लगने का जिक्र करते हुए बम्बई उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि अदालतों में ‘‘टाइम मशीन’’ हैं जहां मामले अनिश्चितकाल तक चलते रहते हैं।



किराया नियंत्रण अधिनियम से संबंधित एक मामले में अदालत ने शुक्रवार को कहा कि यह मुकदमा 1986 में शुरू हुआ था। इसके बाद कई अपील, आवेदन और याचिकाएं दायर हुईं लेकिन मामला फिर भी नहीं सुलझा, जबकि वास्तविक भू-स्वामी और किरायेदार अब जीवित नहीं रहे हैं।



न्यायमूर्ति दामा एस नायडू ने कहा कि कई मामलों में दोनों पक्षों के वादियों की मृत्यु हो जाती है लेकिन मुकदमेबाजी बाद की पीढ़ियों द्वारा की जाती है।



शहर निवासी रुक्मणीबाई द्वारा यह याचिका दायर की गई थी। याचिका में उसने अपनी संपत्ति से कुछ किरायेदारों को बाहर किये जाने का अनुरोध किया था। मामले के दौरान उसकी मौत हो गई और उसके वारिसों ने इस मामले को संभाल लिया।



किरायेदारों के खिलाफ 1986 में संपत्ति खाली कराये जाने की कार्रवाई शुरू की गई थी और निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय ने संपत्ति मालिकों के पक्ष में फैसला दिया था।



वर्ष 2016 में किरायेदारों ने बदली परिस्थितियों का हवाला देते हुए फिर से उच्च न्यायालय का रूख किया था।


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 8:10 PM IST
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