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अयोध्या मामला : मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के कई बार किए गए थे प्रयास

अयोध्या में राममंदिर के निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं. आइये डालते हैं एक नजर अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए अब तक किए मध्यस्थता के प्रयासों पर...

राम जन्मभूमि अयोध्या
राम जन्मभूमि अयोध्या
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Published : Aug 4, 2020, 8:24 AM IST

Updated : Aug 4, 2020, 9:36 AM IST

हैदराबादः पांच अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होने जा रहे हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए 175 प्रतिष्ठित अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. आइये जानते हैं अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए अबतक किए गए मध्यस्थता के प्रयासों के बारे में...

1986: कांची कामकोटि के तत्कालीन शंकराचार्य और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष अली मयान नदवी के बीच वार्ता शुरू हुई, लेकिन वह विफल रही.

1990: तब पीएम चंद्रशेखर ने दो समुदायों के बीच मध्यस्थता की कोशिश की. लेकिन वार्ता बाधित हो गई. विहिप के स्वयंसेवकों ने मस्जिद के एक हिस्से को नुकसान पहुंचाया.

जून 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या सेल बनाया और पार्टी के वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए नियुक्त किया, लेकिन वार्ता विफल रही.

2003: कांची के शंकराचार्य द्वारा समझौता करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास किया गया लेकिन AIPLMB को एक पत्र भेजे जाने के बाद यह विफल हो गया.

2010 - निर्मोही अखाड़ा ने 2010 में एबीवीपी और हाशिम अंसारी के साथ बातचीत शुरू की, लेकिन वे भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे.

2014: हिंदू दलों के साथ सबसे पुराने मुकदमे में हाशिम अंसारी के प्रयास विफल रहे

रिपोर्टों के अनुसार 2014 में अंसारी विवाद को खत्म करना चाहते थे और नए सिरे से शुरुआत करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक आउट ऑफ कोर्ट समझौता करना चाहते हैं. उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि उन्होंने अपने बेटे इकबाल को केस के संबंध में पावर ऑफ अटॉर्नी दी है.

अप्रैल 2015: अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि के मोहम्मद हाशिम अंसारी से मुलाकात के बाद वार्ता फिर शुरू हुई. हालांकि पहली बैठक के बाद मुलाकात आगे नहीं बढ़ी. हनुमान गढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत ज्ञान दास के साथ भी अंसारी ने बाताचीत शुरू की. इन्होंने एक योजना तैयार की जिसमें विवादित 70 एकड़ की जमीन पर एक मंदिर और एक मस्जिद बनाने की बात कही.

मई 2016- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने मोहम्मद हाशिम अंसारी से मुलाकात की. लेकिन इससे पहले कि कोई हल निकलता अंसारी का निधन हो गया.

मार्च 2017- चीफ जस्टिस जेएस खेहर के सुझाव

भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया. जिसमें उन्होंने हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने की पेशकश की. उन्होंने इसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका अदालत के बाहर बातचीत करना होगा.

2018 - श्री श्री रविशंकर ने भी सभी पक्षों के बीच बातचीत करने का प्रयास किया.

उच्च न्यायालय में मध्यस्थता के प्रयास

2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ की तीन न्यायधीशों की पीठ ने भी मध्यस्थता की कोशिश की. 3 अगस्त 2010 को बहस समाप्त होने के बाद बेंच ने सभी वकीलों को चेंबर में बुलाया और पूछा कि क्या वे सुलह करना चाहते हैं. हिंदू पक्ष के स्वीकार्य नहीं होने के बाद प्रक्रिया समाप्त हो गई.

यह भी पढ़ें - अयोध्या में रेलवे स्टेशन के कायाकल्प का काम जोरों पर

सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता

26 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का पक्ष लिया और पूछा कि क्या इस मामले में अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थों को भेजा जाए.

8 मार्च, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा मध्यस्थता की बात कही.

* 1 अगस्त, 2019: तीन सदस्यीय मध्यस्थता वाले पैनल ने सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपी

* 2 अगस्त, 2019: भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने छह मिनट की सुनवाई में कहा कि मध्यस्थता ने किसी भी तरह के समाधान नहीं दिया.

हैदराबादः पांच अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होने जा रहे हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए 175 प्रतिष्ठित अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. आइये जानते हैं अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए अबतक किए गए मध्यस्थता के प्रयासों के बारे में...

1986: कांची कामकोटि के तत्कालीन शंकराचार्य और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष अली मयान नदवी के बीच वार्ता शुरू हुई, लेकिन वह विफल रही.

1990: तब पीएम चंद्रशेखर ने दो समुदायों के बीच मध्यस्थता की कोशिश की. लेकिन वार्ता बाधित हो गई. विहिप के स्वयंसेवकों ने मस्जिद के एक हिस्से को नुकसान पहुंचाया.

जून 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या सेल बनाया और पार्टी के वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए नियुक्त किया, लेकिन वार्ता विफल रही.

2003: कांची के शंकराचार्य द्वारा समझौता करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास किया गया लेकिन AIPLMB को एक पत्र भेजे जाने के बाद यह विफल हो गया.

2010 - निर्मोही अखाड़ा ने 2010 में एबीवीपी और हाशिम अंसारी के साथ बातचीत शुरू की, लेकिन वे भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे.

2014: हिंदू दलों के साथ सबसे पुराने मुकदमे में हाशिम अंसारी के प्रयास विफल रहे

रिपोर्टों के अनुसार 2014 में अंसारी विवाद को खत्म करना चाहते थे और नए सिरे से शुरुआत करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के साथ एक आउट ऑफ कोर्ट समझौता करना चाहते हैं. उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि उन्होंने अपने बेटे इकबाल को केस के संबंध में पावर ऑफ अटॉर्नी दी है.

अप्रैल 2015: अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि के मोहम्मद हाशिम अंसारी से मुलाकात के बाद वार्ता फिर शुरू हुई. हालांकि पहली बैठक के बाद मुलाकात आगे नहीं बढ़ी. हनुमान गढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत ज्ञान दास के साथ भी अंसारी ने बाताचीत शुरू की. इन्होंने एक योजना तैयार की जिसमें विवादित 70 एकड़ की जमीन पर एक मंदिर और एक मस्जिद बनाने की बात कही.

मई 2016- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने मोहम्मद हाशिम अंसारी से मुलाकात की. लेकिन इससे पहले कि कोई हल निकलता अंसारी का निधन हो गया.

मार्च 2017- चीफ जस्टिस जेएस खेहर के सुझाव

भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया. जिसमें उन्होंने हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने की पेशकश की. उन्होंने इसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए कहा कि सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका अदालत के बाहर बातचीत करना होगा.

2018 - श्री श्री रविशंकर ने भी सभी पक्षों के बीच बातचीत करने का प्रयास किया.

उच्च न्यायालय में मध्यस्थता के प्रयास

2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ की तीन न्यायधीशों की पीठ ने भी मध्यस्थता की कोशिश की. 3 अगस्त 2010 को बहस समाप्त होने के बाद बेंच ने सभी वकीलों को चेंबर में बुलाया और पूछा कि क्या वे सुलह करना चाहते हैं. हिंदू पक्ष के स्वीकार्य नहीं होने के बाद प्रक्रिया समाप्त हो गई.

यह भी पढ़ें - अयोध्या में रेलवे स्टेशन के कायाकल्प का काम जोरों पर

सर्वोच्च न्यायालय की मध्यस्थता

26 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का पक्ष लिया और पूछा कि क्या इस मामले में अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थों को भेजा जाए.

8 मार्च, 2019: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा मध्यस्थता की बात कही.

* 1 अगस्त, 2019: तीन सदस्यीय मध्यस्थता वाले पैनल ने सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपी

* 2 अगस्त, 2019: भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने छह मिनट की सुनवाई में कहा कि मध्यस्थता ने किसी भी तरह के समाधान नहीं दिया.

Last Updated : Aug 4, 2020, 9:36 AM IST
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