कोलकाता : सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि भारतीय बलों और चीन की सेना पीएलए के बीच लद्दाख में गतिरोध के बाद से पूर्वी कमान के अधीन आने वाले इलाके में घुसपैठ या किसी बड़ी झड़प की कोई घटना नहीं हुई है.
चौहान ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद से भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सौहार्द्र और आपसी भरोसा समाप्त हो गया है. चीजों को स्थिर होने में समय लगेगा.
उन्होंने कहा कि लद्दाख में गतिरोध के बाद से पूर्वी कमान की जिम्मेदारी के अधीन आने वाले इलाके में घुसपैठ या किसी बड़ी झड़प की कोई घटना नहीं हुई है. भारतीय सेना और पीएलए ने लद्दाख संकट के दौरान एहतियातन कुछ बलों की तैनाती की थी, जिसमें सर्दियां शुरू होने के बाद पूर्वी सेक्टर में लगातार कमी आ रही है.
चौहान ने विजय दिवस पर यहां ‘फोर्ट विलियम’ में संवाददाताओं से कहा कि बहरहाल भारतीय सेना सर्दियों में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि पीएलए ने सड़क से जुड़ी आधारभूत विकास की गतिविधियां तेज की है और सिक्कम सीमा और अरुणाचल प्रदेश के कामेंग में सुरक्षा बढ़ायी है.
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान ने कहा कि हम भी इसके हिसाब से और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने सीमाई इलाके के पास गांव बसाने का प्रयास किया. वहां पर वे घुमंतू तिब्बती आबादी को बसाने का प्रयास कर रहे हैं.
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डोकलाम के संबंध में उन्होंने कहा कि यह भूटान और चीन के बीच का मुद्दा है. भारत की भागीदारी इसमें तब होती है जब ‘हमें तीनों देशों के बीच के स्थान पर फैसला करना होता है.
उन्होंने कहा कि भूटान मित्र देश है जिसके साथ भारत सरकार के करीबी संबंध हैं. भूटान सरकार और भूटान की सेना ने इस क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए हैं. उन्होंने जो भी कदम उठाए हैं, हम उससे आश्वस्त हैं.
पीएलए द्वारा सितंबर में अरुणाचल प्रदेश के पांच युवाओं को कथित तौर पर अगवा किए जाने और फिर छोड़ने की घटना पर उन्होंने कहा कि पश्चिमी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना, पाकिस्तान के सामने जिस स्थिति में है, उसके मुकाबले राज्य में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनाती उससे अलग है . उन्होंने कहा कि कुछ स्थान हैं जहां तैनाती नहीं है लेकिन वहां पर नियमित तौर पर गश्त की जाती है .