हैदराबाद : प्लास्टिक के उपयोग को लेकर तमाम जागरूकता अभियान अक्सर देखे जाते हैं. ऐसे में वातावरण का ज्यादा नुकसान न हो यह हम सभी का नैतिक दायित्व भी है. एक नजर डालते हैं प्लास्टिक से जुड़े रोचक तथ्यों पर जिससे हम इसके उपयोग और इसके दुष्प्रभावों को अच्छे से समझ सकें.
- 1933 में, इंग्लैंड के नॉर्थविच में एक रासायनिक संयंत्र में दुर्घटनावश प्लास्टिक का निर्माण हुआ. इस प्लास्टिक का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है.
- 1965 में स्वीडिश कंपनी सेलोप्लास्ट द्वारा एक टुकड़ा पॉलीथीन शॉपिंग बैग को पेटेंट कराया गया.
- यूरोप में पहले से ही प्लास्टिक बैग बाजार के 80% भाग को नियंत्रित कर चुका था. इसके बाद 1979 में प्लास्टिक बैग विदेशों में भी जाना जाने लगा और व्यापक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में पेश हुआ.
- प्लास्टिक कंपनियों ने अपने उत्पाद को आक्रामक रूप से अपने कागज और दोबारा प्रयोग किए जा सकने वाले बैग से बेहतर बताकर बाजार में उतारना शुरू कर दिया.
- 1997 में एक नाविक और शोधकर्ता चार्ल्स मूर ने प्रशांत महासागर में द ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच की खोज की. कचरे का यह फ्लोटिंग लैंडफिल अमेरिकी शहर टेक्सास के आकार का दोगुना है. इसमें ज्यादातर कचरा प्लास्टिक ही है.
काफी पहले के कालखंड में इस स्थान पर कई लोगों द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबरें सामने आ चुकी हैं. इनमें बैग का प्रयोग होता था.बच्चों को घुटन महसूस होने की बातें भी सामने आई हैं, यहां पाया जाने वाला पदार्थ आश्चर्य जनक ढंग से त्वचा से चिपक जाता था.
आयरलैंड के लोगों ने 'चुड़ैल की निकर' (witch’s knickers) शब्द का पहली बार प्रयोग किया. यह ऐसे दृश्य में होता था जब कोई प्लास्टिक पेड़ों में फंस जाता था और फिर हवा चलने पर लहराता था.
कुछ और मशहूर नाम हैं-- शॉपर्स काइट्स, रीटेल्ड हॉक्स, और दी स्टेट बर्ड ऑफ व्योमिंग.
दक्षिण अफ्रीका में प्लास्टिक बैग के कारण इतना ज्यादा प्रदूषण हुआ है कि वहां के कई लोगों ने मजाक में अब प्लास्टिक बैग को ‘नया राष्ट्रीय फूल’ तक कहना शुरू कर दिया है.
उत्तरी प्रशांत महासागर में प्लवक (plankton) से 6 गुना अधिक प्लास्टिक का मलबा है. बता दें कि सभी प्राणी या वनस्पति, जो समुद्री जल में धारा के साथ प्रवाहित होते रहते हैं, उन्हें प्लवक के रूप में जाना जाता है.
समुद्री कछुओं की मौत का एक प्रमुख कारण प्लास्टिक के थैले हैं. कछुए इन थैलों को जेलिफ़िश समझ कर खा जाते हैं, जो उनकी मौत का एक बड़ा कारण है.
लेदरबैक समुद्री कछुओं में हर तीन में एक के पेट में प्लास्टिक पाया गया है.
टूटने या क्षतिग्रस्त होने के बावजूद प्लास्टिक बैग जहरीले होते हैं. यह आसानी से नष्ट नहीं होते, न ही पर्यावरण में मौजूद बैक्टिरिया इसे बायोडिग्रेड कर पाते हैं. यह फोटो-डीग्रेड होते हैं. इसका मतलब है छोटे कणों में टूटना और इससे पर्यावरण और प्रदूषित होता चला जाता है.
एक अनुमान के मुताबिक हर साल दुनिया भर में एक से पांच ट्रिलियन प्लास्टिक बैग की खपत होती है. पांच ट्रिलियन का मतलब हर एक मिनट में लगभग 10 मिलियन प्लास्टिक बैग का प्रयोग.
इतने प्लास्टिक को यदि एक साथ बांध दिया जाए, तो वे हर घंटे में सात बार दुनिया का चक्कर पूरा किया जा सकता है. और फ्रांस के आकार को दो बार कवर कर सकते हैं.
प्लास्टिक की एक थैली का औसत उपयोग समय… 12 मिनट है.
केवल 1 से 3% प्लास्टिक बैग दुनिया भर में पुनर्नवीनीकरण (recycle) किए जाते हैं.
आपके प्लास्टिक बैग पर जानवरों की चर्बी हो सकती है. किसी सामान के साथ घर्षण कम करने के लिए अधिकांश प्लास्टिक बैग्स में फिसलन वाले तत्व (slip agents) का प्रयोग किया जाता है. और स्लिप एजेंट मुख्य रूप से पशुओं की चर्बी से बनाए जाते हैं?
प्लास्टिक की थैलियों का उत्पादन पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और अन्य रसायनों के उपयोग से किया जाता है. इसका उत्पादन पर्यावरण के लिए विषाक्त है.
इंडोनेशिया की एक कंपनी ने एक ऐसा प्लास्टिक बैग बनाया है जिसे आप खा सकते हैं. यह कसावा (cassava), जो एक सब्जी की जड़ से उसका प्रयोग कर बनाया गया है.
कसावा अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के कई भागों में खाने की प्रमुख चीज है. हालांकि, इसका उपयोग विनिर्माण (manufacturing) में भी किया जा सकता है.
गर्मी और नमी जैसी पर्यावरणीय स्थितियों के आधार पर, प्लास्टिक की थैलियों को नष्ट होने में 15 से 1000 साल तक का समय लगता है.