लेह : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी तनातनी के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख में करीब 30 हजार जवानों को तैनात किया है. पिछले महीने चीन के साथ हिंसक झड़प के बाद बढ़े तनाव के बीच भारत ने तीन अतिरिक्त ब्रिगेड की तैनाती की है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सामान्य तौर पर छह ब्रिगेड, यानी दो डिवीजनों को लद्दाख में एलएसी पर रखा जाता है. यहां पर सैनिकों को रोटेशन के आधार पर तैनात किया जाता है. लेकिन, 15 जून की हिंसक झड़प के बाद सेना ने तीन अतिरिक्त ब्रिगेड को तैनात किया है. हर ब्रिगेड में लगभग 3,000 सैनिक और सहायक होते हैं. चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में एक कमांडर सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और 70 से अधिक सैनिक घायल हुए थे.
सूत्रों ने बताया कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से तीन अतिरिक्त ब्रिगेड के लगभग 10,000 सैनिकों को लाया गया है. एलएसी पर अभी 14 कोर कमांड के तहत सेना की तीन डिविजन मौजूद हैं.
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ 2017 के सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले कुछ पैरा स्पेशल बल को भी लद्दाख भेजा गया है. भारतीय पैराट्रूपर्स अर्धसैनिक बलों के एक दर्जन से अधिक विशेष बल रेजिमेंट से आते हैं, जो अत्यंत कठिन इलाकों में उच्च जोखिम वाले अभियानों में प्रशिक्षित होते हैं. इसी तरह, लद्दाख स्काउट्स की पांच बटालियन और सेना की एक पैदल रेजिमेंट को पहाड़ी युद्ध में समर्थन के लिए तैयार रखा गया है.
सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारतीय सेना अपनी तैनाती को बढ़ा रही है. इसके तहत एम-777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों को लगाया गया है.
वहीं, वायुसेना ने अपने परिवहन विमान, सी-17 ग्लोबमास्टर-3 को तैयार रखा है, जिसका उपयोग सैनिकों को एयरलिफ्ट करने, सेना के वाहनों और टी-72/टी -90 टैंक जैसे भारी टैंकों को ले जाने के लिए किया जा सकता है.
सैन्य सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना रूसी सुखोई-30 लड़ाकू विमानों, मिग-29 जेट्स, इल्यूशिन-76 हेवी-लिफ्ट विमानों, एन-32 परिवहन विमानों, एमआई-17 यूटिलिटी हेलिकॉप्टरों के साथ चीन की किसी भी नापाक हरकत का जवाब देने के लिए तैयार है.
वहीं, नौसेना का पी-8 आई विमान आम तौर पर समुद्री गश्त के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसे लद्दाख में उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. पी-8 आई विमानों को 2017 में भारत-चीन गतिरोध के दौरान भी निगरानी के लिए तैनात किया गया था.
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सूत्रों ने कहा कि रूसी और पश्चिमी रक्षा प्रणाली के अलावा भारतीय सेना रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली का उपयोग कर रही है.
सैन्य सूत्रों ने कहा कि वह लद्दाख में की गई तैनाती से काफी संतुष्ट और आश्वस्त हैं. एक सूत्र ने कहा कि हमारे पास वह सब कुछ है, जिसकी एक आधुनिक सेना को जरूरत होती है.