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'कोरोना ने पूरे देश की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ा, राज्यों की भी बढ़ गई है जवाबदेही'

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इसमें उन्होंने कोरोना को लेकर राज्य की स्थिति और राजनीतिक स्थिति पर बेबाकी के साथ सभी सवालों के जवाब दिए. पढ़ें पूरी खबर...

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झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी
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Published : May 25, 2020, 4:46 PM IST

Updated : May 25, 2020, 5:44 PM IST

हैदराबाद/रांचीः झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में कोविड 19 के खिलाफ सरकार की असमर्थता से थोड़ा भय पैदा हुआ है लेकिन संकट की इस घड़ी में भाजपा के कार्यकर्ता भी साथ खड़े हैं. गरीबों को राशन पहुंचाने से लेकर क्वारंटाइन सेंटर तक राहत देने का काम कर रहे हैं.

बाबूलाल ने कहा कि समय-समय पर राज्य के मुख्यमंत्री को सुझाव देते रहते हैं. उस पर अमल भी हो रहा है लेकिन उसमें थोड़ी देरी होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि क्रेडिट हमें मिल जाएगा. ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह ने उनसे झारखंड की आर्थिक स्थिति, रोजगार, पलायन और सरयू राय की वापसी सहित कई मुद्दों पर चर्चा की.

ईटीवी भारत से बाबूलाल मरांडी की बातचीत

निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की तरह निजी अस्पतालों को भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. देशभर में बड़े-बड़े अस्पताल हैं लेकिन कोविड19 की जांच में कहां चले गए, ये दुखद स्थिति है. निजी अस्पतालों को सामने आना चाहिए और सरकार को भी निर्देशित करना चाहिए ताकि कोविड 19 की जांच हो सके. ऐसे अस्पतालों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार दोनों को पहल करना चाहिए.

स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल

झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. लोगों को बुखार की दवा लाने के लिए भी कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. इस सवाल पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भी काफी प्रयास किया है. हजारीबाग, दुमका और पलामू में मेडिकल कॉलेज बन रहा है. देवघर में एम्स का निर्माण चल रहा है. ये ठीक से चालू हो गया तो समस्याएं कम होगी. हालांकि सरकार बदलने और लॉकडाउन के चलते थोड़ी देर होगी. यदि सब सुचारू हो गया तो दूरदराज के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड की आर्थिक स्थिति ही नहीं बल्कि पूरे देश की आर्थिक स्थिति गड़बड़ हो चुकी है. केंद्र सरकार मदद कर रही है जिसे हासिल करने के लिए राज्य को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. झारखंड में भी उद्योग-धंधे बंद है. ऐसा प्रतीत नहीं होता कि राज्य सरकार ने कोई प्राथमिकता तय की है.

हर मजदूर को मनरेगा में काम देना संभव नहीं है. इस प्रदेश की मुख्य समस्या बिजली है. गांवों तक बिजली सप्लाई की व्यवस्था सही करने पर उद्योग धंधे लगेंगे. पहले बुनियादी चीजें ठीक करने की जरूरत है, जिस पर सरकार का ध्यान नहीं है. बिजली की सप्लाई शुरू होने पर उद्योग चल पड़ेंगे और लोगों को रोजगार मिलने से पलायन रुक जाएगा.

भाजपा मजबूत कैसे बनेगी

उन्होंने की जनता की समस्याओं को वे हमेशा सरकार के सामने लाते रहते हैं. भाजपा भले ही सत्ता में नहीं है लेकिन हार जीत लगी रहती है. तब जनता दुखी थी, गुस्सा निकल जाता है. फिलहाल जनता नई सरकार को समझ रही है, आगे फिर हमें मौका मिलेगा. भाजपा देशभर में लगातार मजबूत हो रही है.

बाबूलाल मरांडी ने ये भी कहा कि वे हेमंत सोरेन को लगातार पत्र लिखकर जनता की समस्याओं से रुबरू कराते रहते हैं. इन पत्रों पर सरकार अमल भी करती है लेकिन कहीं क्रेडिट बंट न जाए इसलिए इसमें थोड़ा देर कर देते हैं.

सरयू राय से वापसी की बात

रघुवर दास को हराने वाले बागी नेता सरयू राय की भाजपा में वापसी को लेकर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे सरयू राय से बात करते रहते हैं. उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि वे खुद 14 साल बाद भाजपा में लौट आए हैं, सरयू राय के गए तो अभी ज्यादा वक्त भी नहीं बीता है. हालांकि बाबूलाल ने ये भी कहा कि भाजपा में वापसी का फैसला सरयू राय खुद लेगें. यदि कोई उत्तर आता है तो वे हाईकमान से बात करेंगे.

स्थानीय नीति और 36 बस्ती पर रुख स्पष्ट नहीं

स्थानीय नीति और 36 बस्ती के मुद्दे पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे फिलहाल सरकार के कदम का इंतजार कर रहे हैं. वे अपनी तरफ से सीधे कुछ नहीं बोलना चाहते लेकिन सरकार सलाह मांगेंगी तो उनके पास इसका हल है.

'कोरोना ने पूरे देश की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ा, राज्यों की भी बढ़ गई है जवाबदेही'

हैदराबाद/रांचीः झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में कोविड 19 के खिलाफ सरकार की असमर्थता से थोड़ा भय पैदा हुआ है लेकिन संकट की इस घड़ी में भाजपा के कार्यकर्ता भी साथ खड़े हैं. गरीबों को राशन पहुंचाने से लेकर क्वारंटाइन सेंटर तक राहत देने का काम कर रहे हैं.

बाबूलाल ने कहा कि समय-समय पर राज्य के मुख्यमंत्री को सुझाव देते रहते हैं. उस पर अमल भी हो रहा है लेकिन उसमें थोड़ी देरी होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि क्रेडिट हमें मिल जाएगा. ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह ने उनसे झारखंड की आर्थिक स्थिति, रोजगार, पलायन और सरयू राय की वापसी सहित कई मुद्दों पर चर्चा की.

ईटीवी भारत से बाबूलाल मरांडी की बातचीत

निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की तरह निजी अस्पतालों को भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. देशभर में बड़े-बड़े अस्पताल हैं लेकिन कोविड19 की जांच में कहां चले गए, ये दुखद स्थिति है. निजी अस्पतालों को सामने आना चाहिए और सरकार को भी निर्देशित करना चाहिए ताकि कोविड 19 की जांच हो सके. ऐसे अस्पतालों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार दोनों को पहल करना चाहिए.

स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल

झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं. लोगों को बुखार की दवा लाने के लिए भी कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. इस सवाल पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भी काफी प्रयास किया है. हजारीबाग, दुमका और पलामू में मेडिकल कॉलेज बन रहा है. देवघर में एम्स का निर्माण चल रहा है. ये ठीक से चालू हो गया तो समस्याएं कम होगी. हालांकि सरकार बदलने और लॉकडाउन के चलते थोड़ी देर होगी. यदि सब सुचारू हो गया तो दूरदराज के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड की आर्थिक स्थिति ही नहीं बल्कि पूरे देश की आर्थिक स्थिति गड़बड़ हो चुकी है. केंद्र सरकार मदद कर रही है जिसे हासिल करने के लिए राज्य को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. झारखंड में भी उद्योग-धंधे बंद है. ऐसा प्रतीत नहीं होता कि राज्य सरकार ने कोई प्राथमिकता तय की है.

हर मजदूर को मनरेगा में काम देना संभव नहीं है. इस प्रदेश की मुख्य समस्या बिजली है. गांवों तक बिजली सप्लाई की व्यवस्था सही करने पर उद्योग धंधे लगेंगे. पहले बुनियादी चीजें ठीक करने की जरूरत है, जिस पर सरकार का ध्यान नहीं है. बिजली की सप्लाई शुरू होने पर उद्योग चल पड़ेंगे और लोगों को रोजगार मिलने से पलायन रुक जाएगा.

भाजपा मजबूत कैसे बनेगी

उन्होंने की जनता की समस्याओं को वे हमेशा सरकार के सामने लाते रहते हैं. भाजपा भले ही सत्ता में नहीं है लेकिन हार जीत लगी रहती है. तब जनता दुखी थी, गुस्सा निकल जाता है. फिलहाल जनता नई सरकार को समझ रही है, आगे फिर हमें मौका मिलेगा. भाजपा देशभर में लगातार मजबूत हो रही है.

बाबूलाल मरांडी ने ये भी कहा कि वे हेमंत सोरेन को लगातार पत्र लिखकर जनता की समस्याओं से रुबरू कराते रहते हैं. इन पत्रों पर सरकार अमल भी करती है लेकिन कहीं क्रेडिट बंट न जाए इसलिए इसमें थोड़ा देर कर देते हैं.

सरयू राय से वापसी की बात

रघुवर दास को हराने वाले बागी नेता सरयू राय की भाजपा में वापसी को लेकर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे सरयू राय से बात करते रहते हैं. उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि वे खुद 14 साल बाद भाजपा में लौट आए हैं, सरयू राय के गए तो अभी ज्यादा वक्त भी नहीं बीता है. हालांकि बाबूलाल ने ये भी कहा कि भाजपा में वापसी का फैसला सरयू राय खुद लेगें. यदि कोई उत्तर आता है तो वे हाईकमान से बात करेंगे.

स्थानीय नीति और 36 बस्ती पर रुख स्पष्ट नहीं

स्थानीय नीति और 36 बस्ती के मुद्दे पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे फिलहाल सरकार के कदम का इंतजार कर रहे हैं. वे अपनी तरफ से सीधे कुछ नहीं बोलना चाहते लेकिन सरकार सलाह मांगेंगी तो उनके पास इसका हल है.

Last Updated : May 25, 2020, 5:44 PM IST
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