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हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या राम का जन्मस्थान है, राम लला के वकील का SC में तर्क

अयोध्या जमीन विवाद पर 5 अगस्त से शुरू हुई इस सुनवाई का बुधवार को छठा दिन है. मंगलवार की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रखीं और आज भी वह ही अपनी बात आगे बढ़ा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट.
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Published : Aug 14, 2019, 11:43 AM IST

Updated : Sep 26, 2019, 11:17 PM IST

नई दिल्ली: अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. पांच अगस्त से शुरू हुई इस सुनवाई का बुधवार को छठा दिन था. आज की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं, इस दौरान अदालत की तरफ से उनसे सवाल पूछे गए कि क्या मंदिर को तोड़ने का आदेश बाबर ने ही दिया था, इसके क्या सबूत हैं. रामलला के वकील की तरफ से इस दौरान पुराणों का हवाला दिया गया. अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी.

पढ़ें: अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का पांचवां दिन, हिंदू पक्ष ने रखी ये दलीलें

सुनवाई के दौरान रामलला के वकील ने अपनी दलील कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि हिन्दुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है; अदालत को यह जांच नहीं करनी चाहिए कि यह कितना तार्किक है.

बता दें कि मंगलवार की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं और आज भी उन्होंने अदालत के सामने पुराणों का हवाला दिया. मंगलवार को राजीव धवन ने कहा था कि रामलला के वकील सिर्फ अदालत के फैसले को पढ़ रहे हैं, कोई तथ्य नहीं दे रहे हैं. जिसके बाद अब उन्होंने पुराणों का जिक्र करना शुरू किया है.

रामलला के वकील की तरफ से अदालत में स्कन्द पुराण का जिक्र किया गया है. उन्होंने इस दौरान सरयू नदी-राम जन्मभूमि के इतिहास और महत्व के बारे में बताया.

पढ़ें: अयोध्या केस : रोजाना सुनवाई जारी रहेगी, 13 अगस्त को अगली सुनवाई

रामलला के वकील के द्वारा स्कन्द पुराण का जिक्र किए जाने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जिन शब्दों का जिक्र कर रहे हैं, उनमें रामजन्मभूमि के दर्शन का जिक्र है. इसमें किसी देवता का जिक्र नहीं है. जिसपर वकील वैद्यनाथन ने कहा कि रामजन्मभूमि ही अपने आप में देवता है.

जस्टिस बोबडे ने पूछा कि इस जगह को बाबरी मस्जिद कब से कहना शुरू किया गया? रामलला के वकील ने इसपर जवाब दिया कि 19वीं सदी में, उससे पहले के कोई साक्ष्य नहीं हैं. उन्होंने पूछा कि इसका क्या सबूत है कि बाबर ने ही मस्जिद बनाने का आदेश दिया था. क्या इसका कोई सबूत है कि मंदिर को बाबर या उसके जनरल के आदेश के बाद ही ढहाया गया था.

पढ़ें: अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन की सुनवाई पूरी, रामलला के वकील ने अपना पक्ष रखा

इस पर रामलला के वकील ने कहा कि मंदिर को किसने ढहाया इस पर कई तरह के तथ्य हैं, लेकिन ये तय है कि इसे 1786 से पहले गिराया गया था.

रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन ने इस दौरान ब्रिटिश सर्वाईवर मार्टिन के स्केच का जिक्र किया, जिसमें 1838 के दौरान मंदिर के पिलर दिखाए गए थे. रिपोर्ट में दावा किया गया कि रामजन्मभूमि पर मंदिर ईसा मसीह के जन्म से 57 साल पहले मंदिर बना था. हिंदुओं का मानना है कि मुगलों के द्वारा मंदिर को तोड़ा गया. उन्होंने कहा कि यूरोप के इतिहास में तारीखों का जिक्र अहम है, लेकिन हमारे इतिहास में घटना महत्वपूर्ण है.

इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि तभी हमारे यहां इसे इतिहास कहा गया है, जिसमें तारीख नहीं इवेंट का जिक्र है. बाद में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि तो आप हमें इस वक्त तारीख या फैक्ट दिखाने के लिए बल्कि लोगों की आस्था को दर्शाने के लिए सबूत पेश कर रहे हैं.

पढ़ें: अयोध्या केस : दूसरे दिन की सुनवाई पूरी, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान ने रखा पक्ष

रामलला विराजमान की तरफ से वैद्यनाथन ने कहा कि जिस हिस्से पर हम हक की बात कर रहे हैं, उससे लोगों की आस्था जुड़ी है. इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है अयोध्या में बौद्ध, जैन, हिंदू और इस्लाम हर किसी का प्रभाव रहा है.

इस पर उन्होंने कहा कि वहां ऐसा था, लेकिन हिंदू धर्म के लोगों को जन्मभूमि को लेकर विश्वास बरकरार रहा.

वकील वैद्यनाथ ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड ने 1945 में कहा था कि राम के जन्मस्थान पर मस्जिद बनाई गई थी. इस पर जस्टिस बोबडे ने सुन्नी वक्फ बोर्ड से सवाल पूछा, राजीव धवन ने इस पर जवाब दिया कि उन्होंने 1946 फैसले के खिलाफ सूट दायर किया था.

पढ़ें: अयोध्या केस : CJI ने स्थिति साफ करने को कहा, अक्टूबर तक हो सकती है सुनवाई

रामलला के वकील की तरफ से कहा गया कि मुस्लिम कानून के तहत किसी दूसरी जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है. इसके अलावा उन्होंने जन्मभूमि स्थान के कुछ नक्शे भी अदालत के सामने रखे.

वैद्यनाथन ने कहा कि वहां कस्तूरी पिलर की मौजूदगी की बात कही, जिनमें फूल-शिव-विष्णु और कृष्ण की तस्वीरें थीं. उन्होंने दावा किया कि इन पिलर की जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है.

नई दिल्ली: अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. पांच अगस्त से शुरू हुई इस सुनवाई का बुधवार को छठा दिन था. आज की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं, इस दौरान अदालत की तरफ से उनसे सवाल पूछे गए कि क्या मंदिर को तोड़ने का आदेश बाबर ने ही दिया था, इसके क्या सबूत हैं. रामलला के वकील की तरफ से इस दौरान पुराणों का हवाला दिया गया. अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी.

पढ़ें: अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का पांचवां दिन, हिंदू पक्ष ने रखी ये दलीलें

सुनवाई के दौरान रामलला के वकील ने अपनी दलील कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि हिन्दुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है; अदालत को यह जांच नहीं करनी चाहिए कि यह कितना तार्किक है.

बता दें कि मंगलवार की सुनवाई में रामलला की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखीं और आज भी उन्होंने अदालत के सामने पुराणों का हवाला दिया. मंगलवार को राजीव धवन ने कहा था कि रामलला के वकील सिर्फ अदालत के फैसले को पढ़ रहे हैं, कोई तथ्य नहीं दे रहे हैं. जिसके बाद अब उन्होंने पुराणों का जिक्र करना शुरू किया है.

रामलला के वकील की तरफ से अदालत में स्कन्द पुराण का जिक्र किया गया है. उन्होंने इस दौरान सरयू नदी-राम जन्मभूमि के इतिहास और महत्व के बारे में बताया.

पढ़ें: अयोध्या केस : रोजाना सुनवाई जारी रहेगी, 13 अगस्त को अगली सुनवाई

रामलला के वकील के द्वारा स्कन्द पुराण का जिक्र किए जाने पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जिन शब्दों का जिक्र कर रहे हैं, उनमें रामजन्मभूमि के दर्शन का जिक्र है. इसमें किसी देवता का जिक्र नहीं है. जिसपर वकील वैद्यनाथन ने कहा कि रामजन्मभूमि ही अपने आप में देवता है.

जस्टिस बोबडे ने पूछा कि इस जगह को बाबरी मस्जिद कब से कहना शुरू किया गया? रामलला के वकील ने इसपर जवाब दिया कि 19वीं सदी में, उससे पहले के कोई साक्ष्य नहीं हैं. उन्होंने पूछा कि इसका क्या सबूत है कि बाबर ने ही मस्जिद बनाने का आदेश दिया था. क्या इसका कोई सबूत है कि मंदिर को बाबर या उसके जनरल के आदेश के बाद ही ढहाया गया था.

पढ़ें: अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन की सुनवाई पूरी, रामलला के वकील ने अपना पक्ष रखा

इस पर रामलला के वकील ने कहा कि मंदिर को किसने ढहाया इस पर कई तरह के तथ्य हैं, लेकिन ये तय है कि इसे 1786 से पहले गिराया गया था.

रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन ने इस दौरान ब्रिटिश सर्वाईवर मार्टिन के स्केच का जिक्र किया, जिसमें 1838 के दौरान मंदिर के पिलर दिखाए गए थे. रिपोर्ट में दावा किया गया कि रामजन्मभूमि पर मंदिर ईसा मसीह के जन्म से 57 साल पहले मंदिर बना था. हिंदुओं का मानना है कि मुगलों के द्वारा मंदिर को तोड़ा गया. उन्होंने कहा कि यूरोप के इतिहास में तारीखों का जिक्र अहम है, लेकिन हमारे इतिहास में घटना महत्वपूर्ण है.

इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि तभी हमारे यहां इसे इतिहास कहा गया है, जिसमें तारीख नहीं इवेंट का जिक्र है. बाद में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि तो आप हमें इस वक्त तारीख या फैक्ट दिखाने के लिए बल्कि लोगों की आस्था को दर्शाने के लिए सबूत पेश कर रहे हैं.

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रामलला विराजमान की तरफ से वैद्यनाथन ने कहा कि जिस हिस्से पर हम हक की बात कर रहे हैं, उससे लोगों की आस्था जुड़ी है. इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है अयोध्या में बौद्ध, जैन, हिंदू और इस्लाम हर किसी का प्रभाव रहा है.

इस पर उन्होंने कहा कि वहां ऐसा था, लेकिन हिंदू धर्म के लोगों को जन्मभूमि को लेकर विश्वास बरकरार रहा.

वकील वैद्यनाथ ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड ने 1945 में कहा था कि राम के जन्मस्थान पर मस्जिद बनाई गई थी. इस पर जस्टिस बोबडे ने सुन्नी वक्फ बोर्ड से सवाल पूछा, राजीव धवन ने इस पर जवाब दिया कि उन्होंने 1946 फैसले के खिलाफ सूट दायर किया था.

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रामलला के वकील की तरफ से कहा गया कि मुस्लिम कानून के तहत किसी दूसरी जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है. इसके अलावा उन्होंने जन्मभूमि स्थान के कुछ नक्शे भी अदालत के सामने रखे.

वैद्यनाथन ने कहा कि वहां कस्तूरी पिलर की मौजूदगी की बात कही, जिनमें फूल-शिव-विष्णु और कृष्ण की तस्वीरें थीं. उन्होंने दावा किया कि इन पिलर की जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है.

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Last Updated : Sep 26, 2019, 11:17 PM IST
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