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गलवान घाटी विवाद : चीन ने भारत के खिलाफ नया मोर्चा खोला - चीन ने भारत के साथ नया मोर्चा खोला

चीन ने शुक्रवार रात को बिना किसी आधार के गलवान घाटी के श्योक इलाके पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा किया है. यह भारत-चीन संबंधों के लिए ज्यादा गंभीर है, जो बीते अप्रैल से निचले स्तर पर पहुंच गया है. पढ़ें विस्तार से...

inidia china dispute
भारत चीन सीमा विवाद
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Published : Jun 20, 2020, 10:57 AM IST

Updated : Jun 20, 2020, 12:46 PM IST

नई दिल्ली : चीन ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा कर भारत के खिलाफ इस मामले को और गंभीर कर दिया है, जबकि भारत का दशकों से कहना है कि यह एक सुलझा हुआ मुद्दा है और इसे लेकर कोई सीमा विवाद नहीं है.

वहीं, चीन ने शुक्रवार रात को बिना किसी आधार के गलवान घाटी के श्योक इलाके पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा किया. यह भारत-चीन संबंधों के लिए ज्यादा गंभीर है, जो बीते अप्रैल से निचले स्तर पर पहुंच गया है. साथ ही चीन ने इस विवाद के समाधान के लिए एक सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता का प्रस्ताव भी रखा है.

गलवान घाटी को लेकर चीन के दावे के बाद भारत और चीन दोनों ने अपनी सीमाओं पर सेना, तोपखाने और विमान की तैनाती के साथ एक विशाल सैन्य निर्माण किया है. वहीं, भारतीय नौसेना भी पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तट पर हाई अलर्ट पर है.

यह भी पढ़ें- बॉयकॉट चीन: जानिए क्यों भारत के लिए मुश्किल है चीन को आर्थिक रूप से दंडित करना

भारत पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने शुक्रवार रात बीजिंग में कहा, 'गलवान घाटी चीन-भारत सीमा के पश्चिम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी क्षेत्र में स्थित है. कई वर्षों से चीनी सैनिक इस क्षेत्र में गश्त और ड्यूटी पर हैं.'

चीन के इस दावे से पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक के दौरान कहा था कि किसी ने भी भारतीय सीमाओं में प्रवेश नहीं किया है और न ही किसी ने भारतीय पोस्ट पर कब्जा किया है. साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि चीन ने गलवान घाटी में एलएसी पर 15 जून को जो किया, उससे पूरा देश आहत और नाराज है.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद 16 जून को चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली के हवाले से कहा था कि गलवान घाटी क्षेत्र पर चीन का अधिकार है.

यह भी पढ़ें- गलवान के बहादुरों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे : वायुसेना प्रमुख

उसी दिन 'ईटीवी भारत' ने चीन द्वारा नए मुद्दे को जन्म देने के महत्व को रेखांकित किया था. चीन का यह कदम इसलिए चौंकाने वाला था कि भारतीय सेना दशकों से पूर्व में वास्तविक नियंत्रण रेखा तक कम से कम दो-तीन किमी दूर नदी के दोनों किनारों पर उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बिना किसी बाधा के गश्त कर रही थी.

लेकिन शुक्रवार को चीन ने 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ कुछ अन्य क्षेत्रों को लेकर मौजूद विवाद के अलावा एक अन्य गंभीर मोर्चा खोलते हुए गलवान घाटी पर भारतीय धारणा को चुनौती दी.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी दावा किया कि चुशूल-मोल्दो में दोनों सेनाओं के लेफ्टिनेंट-जनरल रैंक के कमांडरों के बीच छह जून की बैठक में भारतीय पक्ष के साथ एक समझौता हुआ था, जिसमें भारत ने कहा था कि वह गश्त के दौरान गलवान नदी के मुहाने को पार नहीं करेगा और निर्माण कार्य नहीं करेगा.

यह भी पढ़ें- तिब्बती प्रधानमंत्री बोले- तिब्बत के मुद्दे को हल करने से ही बनेगी बात

साथ ही चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने कहा कि जमीन पर स्थिति से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच दूसरी कमांडर स्तर की बैठक जल्द से जल्द होनी चाहिए.

गलवान घाटी भारत के लिए बड़ा सैन्य महत्व रखती है क्योंकि इसकी ऊंचाई 255 किमी लंबी एक महत्वपूर्ण सड़क की निगरानी करती है, जो प्रमुख भारतीय सैन्य अड्डे दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से श्योक गांव को जोड़ती है, जो पृथ्वी पर सबसे ऊंचा वायु क्षेत्र है.

गलवान और श्योक नदियों के संगम स्थल से लगभग एक किमी दूर उच्च ऊंचाई पर हुई 15 जून की हिंसक घटना की वजह से यह मुद्दा और ज्वलंत हो गया है.

नई दिल्ली : चीन ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा कर भारत के खिलाफ इस मामले को और गंभीर कर दिया है, जबकि भारत का दशकों से कहना है कि यह एक सुलझा हुआ मुद्दा है और इसे लेकर कोई सीमा विवाद नहीं है.

वहीं, चीन ने शुक्रवार रात को बिना किसी आधार के गलवान घाटी के श्योक इलाके पर क्षेत्रीय संप्रभुता का दावा किया. यह भारत-चीन संबंधों के लिए ज्यादा गंभीर है, जो बीते अप्रैल से निचले स्तर पर पहुंच गया है. साथ ही चीन ने इस विवाद के समाधान के लिए एक सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता का प्रस्ताव भी रखा है.

गलवान घाटी को लेकर चीन के दावे के बाद भारत और चीन दोनों ने अपनी सीमाओं पर सेना, तोपखाने और विमान की तैनाती के साथ एक विशाल सैन्य निर्माण किया है. वहीं, भारतीय नौसेना भी पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तट पर हाई अलर्ट पर है.

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भारत पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने शुक्रवार रात बीजिंग में कहा, 'गलवान घाटी चीन-भारत सीमा के पश्चिम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी क्षेत्र में स्थित है. कई वर्षों से चीनी सैनिक इस क्षेत्र में गश्त और ड्यूटी पर हैं.'

चीन के इस दावे से पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक के दौरान कहा था कि किसी ने भी भारतीय सीमाओं में प्रवेश नहीं किया है और न ही किसी ने भारतीय पोस्ट पर कब्जा किया है. साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि चीन ने गलवान घाटी में एलएसी पर 15 जून को जो किया, उससे पूरा देश आहत और नाराज है.

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद 16 जून को चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली के हवाले से कहा था कि गलवान घाटी क्षेत्र पर चीन का अधिकार है.

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उसी दिन 'ईटीवी भारत' ने चीन द्वारा नए मुद्दे को जन्म देने के महत्व को रेखांकित किया था. चीन का यह कदम इसलिए चौंकाने वाला था कि भारतीय सेना दशकों से पूर्व में वास्तविक नियंत्रण रेखा तक कम से कम दो-तीन किमी दूर नदी के दोनों किनारों पर उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बिना किसी बाधा के गश्त कर रही थी.

लेकिन शुक्रवार को चीन ने 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ कुछ अन्य क्षेत्रों को लेकर मौजूद विवाद के अलावा एक अन्य गंभीर मोर्चा खोलते हुए गलवान घाटी पर भारतीय धारणा को चुनौती दी.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी दावा किया कि चुशूल-मोल्दो में दोनों सेनाओं के लेफ्टिनेंट-जनरल रैंक के कमांडरों के बीच छह जून की बैठक में भारतीय पक्ष के साथ एक समझौता हुआ था, जिसमें भारत ने कहा था कि वह गश्त के दौरान गलवान नदी के मुहाने को पार नहीं करेगा और निर्माण कार्य नहीं करेगा.

यह भी पढ़ें- तिब्बती प्रधानमंत्री बोले- तिब्बत के मुद्दे को हल करने से ही बनेगी बात

साथ ही चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने कहा कि जमीन पर स्थिति से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच दूसरी कमांडर स्तर की बैठक जल्द से जल्द होनी चाहिए.

गलवान घाटी भारत के लिए बड़ा सैन्य महत्व रखती है क्योंकि इसकी ऊंचाई 255 किमी लंबी एक महत्वपूर्ण सड़क की निगरानी करती है, जो प्रमुख भारतीय सैन्य अड्डे दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से श्योक गांव को जोड़ती है, जो पृथ्वी पर सबसे ऊंचा वायु क्षेत्र है.

गलवान और श्योक नदियों के संगम स्थल से लगभग एक किमी दूर उच्च ऊंचाई पर हुई 15 जून की हिंसक घटना की वजह से यह मुद्दा और ज्वलंत हो गया है.

Last Updated : Jun 20, 2020, 12:46 PM IST
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