नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 95वीं जयंती है. इस अवसर पर PM मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 'सदैव अटल' पहुंचे हैं. दोनों ने यहां पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस दौरान पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई राजनीतिक दिग्गजों ने सदैव अटल स्मारक पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी.
आपको बता दें, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लखनऊ के लोकभवन में अटल बिहारी वाजपेयी के मूर्ति का अनावरण भी करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके भी भावांजलि अटल बिहारी वाजपेयी को अर्पित की.
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देशवासियों के दिलों में बसे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन। pic.twitter.com/9tCkmEUxnf
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— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2019
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्वीट किया, 'आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस के उपलक्ष्य में लोकोपकारी, पारदर्शी, सक्षम प्रशासन के प्रति नव प्रतिबद्धता और संकल्प लें.'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी आजाद भारत के उन महान राजनेताओं में थे, जिन्होंने देश की राजनीति के साथ-साथ राजनय को भी नई दिशा और नई ऊँचाई देने में कामयाबी हासिल की.
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी राष्ट्रवादी सोच, बेदाग छवि और राष्ट्र समर्पित जीवन से भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी. विचारधारा और सिद्धांतों पर आधारित अटल जी के जीवन में सत्ता का तनिक मात्र मोह नहीं रहा. उनके नेतृत्व में देश ने सुशासन को चरितार्थ होते देखा.'
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गौरतलब है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने सहजपूर्ण और कविमन के कारण अजातशत्रु कह जाते थे, जिनका सम्मान हरेक राजनीतिक दल करते थे. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे. पहली बार 1996 में संख्याबल नहीं होने के कारण सरकार 13 दिन में गिर गई. दूसरी बार 1998 में प्रधानमंत्री बनें, लेकिन जयललिता के समर्थन वापस लेने के बाद करीब 13 महीने बाद ही 1999 में यह सरकार गिर गई. इसके बाद 1999 में फिर से आम चुनाव का ऐलान हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी तब पूरे पांच वर्ष सरकार चलाया और राष्ट्रहित में अनेकोनेक निर्णय किया था.