देहरादून (उत्तराखंड): बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में लगातार किसी न किसी बात को लेकर विवाद सामने आ रहा है. अब तक विपक्ष के नेता ही बदरी केदार में अनियमितताओं के मुद्दों को उठा रहे थे, लेकिन अब मंदिर समिति के कुछ सदस्यों ने ही इस मामले पर एसआईटी जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र सौंप दिया है. कांग्रेस भी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग करती आ रही है. हालांकि, इस पूरे मामले पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का पलटवार भी सामने आया है. उनका कहना है कि जिन सदस्यों के खिलाफ गड़बड़ियों को लेकर जांच शुरू हुई है, वही लोग सीएम को लिखे पत्र को अब सामने लेकर आए हैं.
छवि धूमिल होने का आरोप: मंदिर समिति के कई सदस्यों ने 18 मई 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और 12 जुलाई 2023 को समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय को लिखे पत्रों में जिन गंभीर मुद्दों को उठाया है, उनमें से- अजेंद्र अजय के भाई की तनख्वाह को लेकर सवाल, मंदिर में सोना प्रकरण को लेकर सवाल, बोर्ड बैठक में सदस्यों की नजरअंदाजी को लेकर सवाल, वीआईपी प्रोटोकॉल में सदस्यों को नजरअंदाज करने को लेकर सवाल, गर्भगृह में फोटो खींचने और रील्स बनाने को लेकर सवाल सहित करीब 21 बिंदू उठाए गए हैं.
इन पत्रों में बेहद गंभीर बातें लिखते हुए मंदिर समिति के तमाम सदस्यों ने कहा है कि मौजूदा समय में केदारनाथ और बदरीनाथ को लेकर भ्रष्टाचार और अनिमितता की खबरों से न केवल बदरीनाथ केदारनाथ की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि राज्य सरकार की छवि पर भी बट्टा लग रहा है. ऐसे में मौजूदा समय में इस पूरे मामले की एसआईटी जांच करवाना बेहद जरूरी है.
सोना-पीतल विवाद पर मांगी गई सफाई: मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा 12 जुलाई 2023 को अध्यक्ष अजेंद्र अजय को लिखे पत्र में ये भी पूछा गया है कि वर्तमान में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने-पीतल विवाद के दूरगामी दुष्परिणाम होंगे. इस विवाद के बाद कोई भी दानी अब दान में रुचि नहीं रखेंगे क्योंकि ये विवाद पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग ये सोच रहे हैं कि कहीं उनका सोना भी पीतल न बन जाए. पत्र में अध्यक्ष से इस बात को लेकर सफाई मांगी गई है कि जो सोना केदारनाथ के गर्भगृह में लगाया गया है उसे लगाने का प्रस्ताव किस बैठक में पास किया गया है.
वहीं, मंदिर समिति के सदस्य पुष्कर जोशी का कहना है कि पीएम मोदी और सीएम धामी सहित करोड़ों देशवासियों की आस्था धामों में है. समिति के सदस्य यही चाहते हैं कि जो भी बातें चल रही हैं, उसकी जांच होनी चाहिए. हम किसी के खिलाफ नहीं हैं. वहीं, मंदिर समिति के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं कि, उन्होंने यह पत्र मुख्यमंत्री को इसलिए लिखा है क्योंकि बहुत सारी चर्चाएं बाहर आ रही थीं और जो तमाम चर्चाएं हैं उस पर एक स्पष्टीकरण आना चाहिए. मई महीने में यह पत्र मुख्यमंत्री को लिखा गया था और अब तक इस पर कोई भी स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु उनसे कई सवाल पूछते हैं इसलिए सदस्यों ने यह पत्र सरकार को लिखा है.
वहीं, मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी से भी बातचीत हुई. उनका कहना है कि, हम यह चाहते हैं कि जो भी सच्चाई है, वह सामने आनी चाहिए. इसलिए समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले में पत्र लिखा है. उम्मीद है कि राज्य सरकार इस पूरे प्रकरण को लेकर जल्द ही कोई जांच करवाएगी. हालांकि, ये पत्र मई महीने में लिखा है लेकिन ये पत्र अब सामने आ रहा है.
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केदारनाथ जी में जो सोना लगा था उसका सच ये है। ये है वो पित्तल की दीवारें जिनका सोना अब उतरने लगा है। माफ़ी चाहूँगा मुझे ये सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए थे लेकिन जब हमारे आदरणीय बागेश्वर धाम वाले बाबा गर्भ गृह की तस्वीरें अपने पेज से पूरे दुनिया को दिखाकर बाबा केदार की मर्यादा को भंग… pic.twitter.com/3JHY4dLcBO
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विधायक उमेश कुमार ने ये कहा: इस बीच खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी इस मामले को उठाया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर केदारनाथ गर्भगृह में लगे सोने की कुछ तस्वीरें शेयर कर सवाल उठाए हैं. उमेश कुमार ने लिखा कि, इन पीतल की दीवारों से सोना अब उतरने लगा है. उन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के सोशल मीडिया पेज से शेयर केदारनाथ गर्भगृह की फोटो पर भी टिप्पणी की और कहा कि वो बाबा के साथ किया धोखा दुनिया को दिखा रहे हैं.
समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय का पलटवार: इस पूरे मामले पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से फोन पर बात की गई. अजेंद्र अजय का कहना है कि जिन लोगों ने सीएम को पत्र लिखा है वो उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं. जिन लोगों ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है उन लोगों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जांच शुरू हो गई है इसलिए ये सब परेशान हैं. अजेंद्र अजय ने सवाल उठाया कि, आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि मई और जुलाई में लिखा पत्र अब क्यों सामने आ रहा है, इसलिए क्योंकि उनके खिलाफ जांच शुरू हुई है. समिति के अध्यक्ष का कहना है कि पत्र लिखने वालों में कुछ समिति के सदस्य हैं और कुछ बाहर के लोग भी है.
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बहरहाल, सवाल ये भी खड़ा होता है कि अगर सीएम को मई महीने में पत्र लिखा गया था तो अब सामने क्यों आ रहा है? सवाल ये भी है कि कहीं मंदिर समिति में अंदरखाने ही कोई राजनीति तो नहीं कर रहा. बताया जा रहा है कि बदरीनाथ में वित्तीय अनियमितता को लेकर भी जांच के आदेश हो गए हैं. जांच समिति के एक सदस्य से ही जुड़ी है.
क्या है केदारनाथ मंदिर का सोने का मामला? अक्टूबर 2022 में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का काम पूरा हुआ था. बताया गया था कि मुंबई के एक व्यापारी ने 23 किलो सोना मंदिर समिति को दान किया है. इसके बाद केदारनाथ मंदिर की छप और दीवारों पर 550 सोने की प्लेटों से मढ़ी गई थीं. गोल्ड प्लेटिंग का कार्य एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) के 2 अफसरों की निगरानी में हुआ था.
काम पूरा होने के कुछ समय बाद चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने दान में मिले 23.78 किलो सोने के चोरी होने का आरोप लगा दिया. संतोष त्रिवेदी का आरोप था कि मंदिर के गर्भगृह में जब सोने की प्लेटें लगवाई गईं थीं, तो अब उन्हें पॉलिश करने की जरूरत क्या थी. उन्होंने इसकी जांच करने की मांग की थी. इसके साथ ही कांग्रेस ने भी जांच की मांग की थी. विवाद बढ़ता देख धार्मिक मामलों के सचिव ने जांच कमेटी बनाकर जांच शुरू कराई थी.